facebookmetapixel
Spicejet Q2FY26 results: घाटा बढ़कर ₹635 करोड़ हुआ, एयरलाइन को FY26 की दूसरी छमाही में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीदRetail Inflation: खुदरा महंगाई अक्टूबर में घटकर कई साल के निचले स्तर 0.25% पर आई, GST कटौती का मिला फायदाGold ETFs में इनफ्लो 7% घटकर ₹7,743 करोड़ पर आया, क्या कम हो रही हैं निवेशकों की दिलचस्पी?चार्ट्स दे रहे ब्रेकआउट सिग्नल! ये 5 Midcap Stocks बना सकते हैं 22% तक का प्रॉफिट₹60 के स्मॉलकैप Metal Stock पर मिल सकता है 80% रिटर्न, ब्रोकरेज बोले – खरीदों; एंट्री का सही वक्तरूस से तेल सप्लाई रुकी तो क्या फिर बढ़ेंगे दाम? एक्सपर्ट बता रहे क्या होगा आगेHAL Q2FY26 results: पीएसयू डिफेंस कंपनी का मुनाफा 10% बढ़कर ₹1,669 करोड़, रेवेन्यू भी 11% बढ़ाAshok Leyland ने Q2 में किया धमाका! ₹9,588 करोड़ का रेवेन्यू, डिविडेंड का दिया तोहफाGemini AI विवाद में घिरा गूगल! यूजर्स की प्राइवेसी लीक करने के आरोपPM Kisan Scheme: कब तक आएगी पीएम किसान की 21वीं किस्त? जानें क्यों हो रही देरी

इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की 388 परियोजनाओं की लागत 4.65 लाख करोड़ रुपये बढ़ी

एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देरी और अन्य कारणों से इन परियोजनाओं की लागत बढ़ी है

Last Updated- August 20, 2023 | 12:36 PM IST
Economic Survey 2024: More facilities are needed for infrastructure, private sector investment is less than government Economic Survey 2024: इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए ज्यादा सुविधाओं की दरकार, प्राइवेट सेक्टर से ज्यादा खर्च कर रही सरकार

बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक के खर्च वाली 388 परियोजनाओं की लागत जुलाई 2023 में तय अनुमान से 4.65 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा बढ़ गई है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देरी और अन्य कारणों से इन परियोजनाओं की लागत बढ़ी है।

सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक की लागत वाली बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की निगरानी करता है।

मंत्रालय की जुलाई, 2023 की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की 1,646 परियोजनाओं में से 388 की लागत बढ़ गई है, जबकि 809 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘इन 1,646 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 23,92,837.89 करोड़ रुपये थी, लेकिन अब इसके बढ़कर 28,58,394.39 करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है। इससे पता चलता है कि इन परियोजनाओं की लागत 19.46 प्रतिशत यानी 4,65,556.50 करोड़ रुपये बढ़ गई है।’’

रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई 2023 तक इन परियोजनाओं पर 15,21,550.38 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, जो कुल अनुमानित लागत का 53.23 प्रतिशत है।

हालांकि, मंत्रालय ने कहा है कि यदि परियोजनाओं के पूरा होने की हालिया समयसीमा के हिसाब से देखें तो देरी से चल रही परियोजनाओं की संख्या कम होकर 602 पर आ जाएगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि देरी से चल रही 809 परियोजनाओं में से 177 परियोजनाएं एक महीने से 12 महीने, 192 परियोजनाएं 13 से 24 महीने की, 318 परियोजनाएं 25 से 60 महीने और 122 परियोजनाएं 60 महीने से अधिक की देरी से चल रही हैं।

इन 809 परियोजनाओं में विलंब का औसत 37.44 महीने है।

इन परियोजनाओं में देरी के कारणों में भूमि अधिग्रहण में विलंब, पर्यावरण और वन विभाग की मंजूरियां मिलने में देरी और बुनियादी संरचना की कमी प्रमुख है।

इसके अलावा परियोजना का वित्तपोषण, विस्तृत अभियांत्रिकी को मूर्त रूप दिये जाने में विलंब, परियोजना की संभावनाओं में बदलाव, निविदा प्रक्रिया में देरी, ठेके देने व उपकरण मंगाने में देरी, कानूनी व अन्य दिक्कतें, अप्रत्याशित भू-परिवर्तन आदि की वजह से भी इन परियोजनाओं में विलंब हुआ है।

First Published - August 20, 2023 | 12:36 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

संबंधित पोस्ट