एक ओर जहां लोग ‘सपनों के महल’ यानी घर खरीदने या बनाने की योजना बना रहे हैं।
वहीं वास्तुकला और फेंग शुई जैसी परंपरागत कलाओं को भी काफी चाव से अपनाया जा रहा है। नवाबों के शहर लखनऊ में वास्तु और फेंग शुई परामर्शदाताओं की संख्या 100 से भी अधिक है।
शहर के ख्यातिप्राप्त वास्तु परामर्शदाता और वास्तुकार संजीव गुप्ता ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘शहर के शिक्षित लोगों के बीच वास्तुकला की गुंजाइश बहुत अधिक है, जो वास्तु के महत्व को समझते हैं। लेकिन इसे प्रयोग करने से पहले उन्हें वास्तुकला के फायदे के बारे में जानकारी हासिल करना आवश्यक है और इसके परामर्श के लिए उन्हें हमेशा किसी विशेषज्ञ से मिलना चाहिए।’
वास्तुकला को मुख्य रूप से राज्य भर के जानेमाने बिल्डर्स और सरकारी विभाग इस्तेमाल करते हैं। परामर्शदाताओं की शुल्क 1000 रुपये से शुरू होकर 5000 रुपये तक है।
फेंग शुई और वास्तु विशेषज्ञ एस पी द्विवेदी ने बताया, ‘अपने दिन-प्रतिदिन के जीवन शैली और काम की स्थितियों को बेहतर बनाने के लिए फेंग शुई और वास्तु को अधिक से अधिक लोगों द्वारा अपनाया जा रहा है।’
शहर में फेंग शुई उत्पादों का बाजार भी काफी तेजी से बढ़ रहा है। उद्योग जगत से जुड़े सूत्रों ने बताया कि इसमें हर साल 15 फीसदी की बढ़ोतरी हो रही है। द्विवेदी ने बताया, ‘कुछ समय के बाद वास्तु और फेंग शुई लोगों के आम जीवन से जुड़ जाएगी। गैर मेट्रो शहरों में हाल ही में इसकी लोकप्रियता काफी बढ़ी है। इसकी लोकप्रियता के पीछे मीडिया का एक्सपोजर भी एक कारण है।’