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जमीन के बदले एयरपोर्ट में हिस्सेदारी चाहता है तमिलनाडु

Last Updated- December 11, 2022 | 7:42 PM IST

केंद्र द्वारा हवाईअड्डों के निजीकरण करने की स्थिति में तमिलनाडु सरकार ने राज्य के साथ आनुपातिक रूप से राजस्व साझा करना अनिवार्य कर दिया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब भारत सरकार ने चेन्नई, त्रिची, कोयंबटूर और मदुरै हवाईअड्डों को उन 25 हवाईअड्डों की सूची में शामिल किया है, जिनका 2022 और 2025 के बीच निजीकरण किया जाना है।
बुधवार को राज्य सरकार ने एक पॉलिसी नोट में कहा है कि राज्य ने जमीन अधिग्रहण सहित इन संपत्तियों में भारी मात्रा में निवेश किया है, जिसे देखते हुए यह फैसला किया गया है। राज्य सरकार जमीन का अधिग्रहण करती है और उसे एयरपोर्ट अथॉरिटी आफ इंडिया को मुफ्त में हस्तांतरित करती है और अगर ऐसी स्थित में प्राधिकरण या भारत सरकार संपत्तियों को किसी तीसरे पक्ष को हस्तांतरित करती है तो राज्य उसमें हिस्सेदारी लेगा।
पॉलिसी नोट में कहा गया है, ‘ऐसी स्थिति में इससे मिले मूल्य या राजस्व में राज्य सरकार की उस अनुपात में निश्चित रूप से हिस्सेदारी है, क्योंकि राज्य सरकार द्वारा जमीन में भारी निवेश किया गया है।’ यात्रियों की आवाजाही के आधार पर हवाईअड्डे चुने गए हैं और इनमें वे हवाईअड्डे शामिल हैं, जहां यात्रियों की सालाना आवाजाही 4 लाख से अधिक है। पिछले वित्त वर्ष के दौरान केंद्र सरकार ने संकेत दिए थे कि वह देश के 25 हवाईअड्डों के मुद्रीकरण से 20,782 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रही है। राज्य सरकार ने यह भी फैसला किया है कि अगर संपत्ति का हस्तांतरण किसी निजी पार्टी को किया जाता है तो उचित स्तर पर यह सुनिश्चित किया जाएगा कि हवाईअड्डा परियोजना विशेष उद्देश्य कंपनी (एसपीवी) में जमीन के मूल्य के बराबर राज्य सरकार की इक्विटी होगी या निवेश के अनुपात में उचित राजस्व बंटवारे की व्यवस्था की जानी चाहिए।
2007 में लिए गए नीतिगत फैसले के मुताबिक नए हवाईअड्डे बनाने या हवाईअड्डों के विस्तार में तमिलनाडु सरकार जमीन अधिग्रहण करती है और वह जमीन मुफ्त में इस काम के लिए सौंपती है।
केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह केंद्र सरकार का फैसला होगा कि राज्य सरकार की मांग स्वीकार करे या न करे। उन्होंने कहा कि यह पहला अवसर नहीं है, जब राज्य सरकार जमीन के बदले इक्विटी की मांग कर रही है। चंडीगढ़ हवाईअड्डे के मामले में पंजाब और हरियाणा सरकार ने एयरपोर्ट के विकास के लिए जमीन दी ती और जमीन की लागत को हवाईअड्डे के परिचालन और विकास के लिए गठित कंपनी में इक्विटी माना था। अधिकारी ने कहा, ‘इसके पहले राज्य सरकारों को हवाईअड्डे बनाने के लिए एएआई को मुफ्त जमीन देनी होती थी। लेकिन हवाईअड्डों के निजीकरण के साथ राज्य सरकारें कीमती जमीन मुहैया कराने को लेकर अनिच्छुक थीं। कुछ मामलों में पट्टे पर जमीन दी गई। कुछ राज्यों ने रणनीतिक वजहों से या ज्यादा मुनाफे के लिए जमीन की कीमत को एयरपोर्ट में हिस्सेदारी के रूप में रखी।’

चेन्नई में नया हवाईअड्डा
राज्य सरकार ने चेन्नई के नजदीक एक नया अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा बनाए जाने का प्रस्ताव रखा है। हवाई यातायात करने वाले लोगों की बढ़ती हुई संख्या को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह प्रस्ताव पेश किया है, जिससे लंबे समय के हिसाब से एयर ट्रांसपोर्ट सर्विस की वैश्विक मांग पूरी की जा सके।
सरकार ने तमिलनाडु इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (टिडको) को नया हवाईअड्डा बनाने के लिए जमीन चिह्नित करने का काम सौंपा है। टिडको ने इसके लिए पहले ही 4 संभावित जगहें चिह्नित की है और एएआई से व्यवहार्यता के अध्ययन का अनुरोध किया है। पॉलिसी नोट में कहा गया है कि एएआई अधिकारियों का एक दल चारों स्थलों का दौरा कर चुका है और उसे व्यवहार्यता रिपोर्ट सौंप दी है। चेन्नई एयरपोर्ट के विस्तार के बारे में पॉलिसी नोट में कहा गया है कि राज्य सरकार अप्रैल के अंत तक 30.57 एकड़ पट्टा भूमि चेन्नई एयरपोर्ट को सौंप रही है। एएआई ने राज्य सरकार से कहा है कि वह करीब 64.57 एकड़ पट्टा भूमि मुहैया कराए।

First Published - April 21, 2022 | 12:23 AM IST

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