वैश्विक आर्थिक मंदी के बीच भले ही देश का उद्योग जगत मुश्किलों के दौर से गुजर रहा हो लेकिन पूरे उत्तर प्रदेश के लघु, छोटे और मझोले उद्योग (एमएसएमई) चीन के कैनटॉन में आयोजित किए जा रहे आयात एवं निर्यात मेले में कारोबारी समझौते को लेकर बेहद उत्सुक नजर आ रहे हैं।
भारतीय उद्योग संघ के 16 सदस्यों वाले एक प्रतिनिधिमंडल ने मेले के प्रथम चरण में हिस्सा लिया। इस मेले में मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक और भवन निर्माण सामग्री आदि क्षेत्रों से जुड़े उद्यमी शामिल थे।
आईआईए के कार्यकारी निदेशक डी एस वर्मा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ समझौते को अंतिम रूप में देने में हमारे सदस्य काफी सफल रहे हैं। अभी कुछ समझौते चर्चा के चरण में है।’ वर्मा ने बताया, ‘हमारा उद्देश्य एमएसएमई को अंतरराष्ट्रीय पटल पर उचित स्थान दिलाना है।’
वास्तव में कैनटॉन मेले के नाम से प्रसिध्द यह इवेंट द्विवार्षिक है। मेले के तीसरे चरण के लिए 21 सदस्यों की एक प्रतिनिधिमंडल बनाई गई है जिसे 2 नवंबर को शुरू किया जाएगा। वर्मा ने बताया, ‘यह मेला चीन के सबसे बड़े व्यापार मेलों में से एक है इसलिए इसमें कोई शक नहीं कि इससे हमारे उद्यमियों को काफी फायदा मिलेगा।
इस मेले में हम विभिन्न सदस्यों को ले जा रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ संभावित व्यापारिक गठजोड़ की भी तलाश करेंगे।’ इस मेले में दो चरण और शामिल है जिसमें कि हस्तशिल्प, खाद्य पदार्थों, चिकित्सा उपकरण और वस्त्रों को आने वाले दिनों में कवर किया जाएगा। यह एसोसिएशन एमएसएमई मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा समर्थित है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में राज्य भर में करीब 15 लाख पंजीकृत और गैर पंजीकृत एमएसएमई मौजूद हैं।