योजना आयोग और रेलवे मंत्रालय नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के आधुनिकीकरण परियोजना के मॉडल को लेकर आमने-सामने आ गए हैं।
लगभग 12,000 करोड़ रुपये की लागत से निजी सार्वजनिक भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत इस रेलवे स्टेशन का कायाकल्प किया जाना है। सूत्रों के मुताबिक इसके लिए लिए दोनों विभागों ने बिल्कुल अलग अनुदान मॉडल (एमसीए) समझौता तैयार किया है।
इस परियोजना के लिए बोली लगाने वाली कंपनियों ने योग्यता के लिए आवेदन भी कर दिया था। लेकिन रेल मंत्रालय की मांग पर पहले आए आवेदनों को रद्द करने के बाद नए आवेदन मंगाए थे। लेकिन अभी तक यह आवेदन वित्त मंत्रालय की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं।
आवेदन जमा करने की तिथि भी 20 जनवरी से बढ़ाकर 5 फरवरी कर दी गई है। अब योजना आयोग और रेल मंत्रालय के मतभेद को लेकर इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियों को इस परियोजना के टाले जाने का डर सता रहा है।
योजना आयोग के एमसीए को रेल मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, कानून विभाग और इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियों के सामने पेश कर दिया गया है। एक बार इसे मंजूरी मिल जाए तो फिर पीपीपी मॉडल पर बनने वाले 26 स्टेशनों का आधुनिकीकरण इसी मॉडल पर किया जाएगा।
इस मामले में रेल मंत्रालय भी पीछे नहीं है उसने भी अपना एमसीए बनाया है और वह योजना आयोग के एमसीए को लागू करने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं है।