आगरा के खस्ताहाल फाउंड्री यानी ढलाई उद्योग को केंद्र सरकार की ओर से बड़ी राहत मिली है। पेट्रोलियम मंत्रालय ने गेल इंडिया से स्थानीय फाउंड्री उद्योग पर बकाया 6 करोड़ रुपये माफ करने के लिए कहा है।
पेट्रोलियम मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद गेल ने विवादित मिनिमम गारंटीड ऑफटेक (एमजीओ) समझौते में छूट दे दी है। इस फैसले से आगरा और फिरोजाबाद के 400 से अधिक औद्योगिक इकाइयों को फायदा होगा।
औद्योगिक सूत्रों के मुताबिक गेल ने जुलाई 2007 में आगरा के ढलाई उद्योग के साथ किए गए एमजीओ समझौते का हवाला देते हुए बकाया राशि की मांग की थी। यह समझौता गैस की न्यूनतम मात्रा लेने से संबध्द था। इन इकाइयों ने कपोला भट्ठी के लिए गेल की सीएनजी पाइपलाइन के लिए आवेदन किया था। लेकिन कपोला भट्ठी कामयाब नहीं हो सकी। इसके बाद कारोबारियों ने समझौते की शर्तो के तहत गेल द्वारा लिए जाने वाले 4 करोड़ रुपये को माफ करने की मांग की।
बकाए की वसूली के खिलाफ फाउंड्री ने अदालत का रुख किया जबकि इस दौरान बकाया राशि में बढोतरी जारी रही। इस समय बकाया बढ़कर 6 करोड़ रुपये हो चुका है। इसके बाद गेल ने फाउंड्री इकाइयों को वसूली के लिए नोटिस भेजा। फाउंड्री मालिकों द्वारा बकाया चुकाने का पक्का वादा नहीं करने की सूरत में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी जुलाई 2007 से लगातार इस इकाइयों को गैस आपूर्ति बंद करने की चेतावनी दे रही है।
हालांकि फाउंड्री इकाइयों ने इन नोटिसों के खिलाफ अदालत में गुहार लगाई। आगरा और फिरोजाबाद में इस समय प्रतिदिन 11 लाख घन मीटर मानक (एमएमएससीएमडी) सीएनजी की आपूर्ति की जाती है। यह आपूर्ति गैस पुनर्वास और विस्तार परियोजना (जीआरईपी) के तहत गैस के पाइपलाइन नेटवर्क से की जाती है।
इस गैस में से प्रति दिन करीब 8.2 लाख घन मीटर गैस का इस्तेमाल फिरोजाबाद की कांच का समान बनाने वाली इकाइयों द्वारा किया जाता है जबकि शेष गैस की खपत आगरा की ढलाई इकाइयों में होती है। हालांकि, नई तकनीक के अभाव में एमजीओ के तहत मिलने वाली पूरी गैस का इस्तेमाल नहीं हो पाता है।
आगरा आयरन फाउंड्री एसोसिएशन के अध्यक्ष अमर मित्तल ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि आगरा में करीब 200 ढलाई इकाइयों ने गेल के साथ व्यक्तिगत तौर पर एमजीओ किए हैं। ये समझौते 300 एमएमएससीएमडी गैस से लेकर 5,000 एमएमएससीएमडी गैस के लिए किए गए हैं। लेकिन 2007 की शुरुआत में कपोला भट्ठी के तैयार होने तक इनमें से कोई भी इकाई गैस का पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाती थी।
खपत में कमी होने के कारण इकाइयों पर एमजीओ के तहत बकाया बढ़ने लगा। गेल द्वारा वसूली के लिए भेजी गई नोटिसों में इस इकाइयों ने कुल 6 करोड़ रुपये की मांग की गई है। इतनी बड़ी राशि का भुगतान करने में अक्षम इन उद्योगपतियों ने पेट्रोलियम मंत्रालय में गुहार लगाई। इस सिलसिले में उद्यमियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा से मुलाकात कर अपनी बात रखी।
मित्तल ने कहा कि ‘ प्रति दिन 11 लाख घन मीटर गैस का आवंटन आगरा और फिरोजाबाद के लिए किया गया था और दोनों शहरों की इकाइयों ने पूरी गैस का इस्तेमाल किया है। इसलिए गेल को कोई नुकसान नहीं हुआ है। आगरा के ढलाई उद्योग की खस्ता हालत के मद्देनजर व्यक्तिगत एमजीओ के तहत बकाए को माफ कर देना चाहिए।’
ढलाई उद्योग इस समय ईंधन और कच्चे माल की कीमतों में आई तेजी की मार झेल रहा है और ऐसे में 6 करोड़ रुपये की वसूली से उद्योग दम तोड़ देता। उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद गेल उद्यमियों की मांगे मानने पर सहमत हो गया।
मित्तल ने बताया कि गेल द्वारा गैस कोटा को बढ़ाने और नए कनेक्शन जारी करने से पहले आगरा में किसी नई ढलाई इकाई की स्थापना नहीं होगी। इस बारे में गेल के अधिकारियों ने वादा किया है कि वे गैस के कोटे को 11 लाख से बढ़ाकर 14 लाख घन मीटर करने पर विचार करेंगे। हालंकि यह बढ़ोतरी ओएनजीसी से अतिरिक्त सीएनजी की उपलब्धता पर निर्भर करेगी।