भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बीते शुक्रवार को रीपो दर में 50 आधार अंक की कटौती के बाद सरकारी बॉन्डों की यील्ड में बढ़ोतरी जारी है। डीलरों ने यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि व्यापारियों द्वारा मुनाफे पर बॉन्ड की बिक्री करने से यील्ड बढ़ रही है।
सोमवार को बेंचमार्क 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड पर यील्ड 6 आधार अंक बढ़कर 6.35 फीसदी पर बंद हुआ, जो पिछले कारोबारी सत्र में 6.29 फीसदी था। शुक्रवार को बेंचमार्क यील्ड में 4 आधार अंक की वृद्धि हुई थी। हालांकि, शुक्रवार को लघु अवधि वाले बॉन्ड यील्ड में नरमी आई थी, लेकिन डीलरों ने बताया कि सोमवार को मुनाफावसूली से इसमें तेजी दर्ज की गई।
सोमवार को तीन साल की अवधि वाले सरकारी बॉन्ड पर यील्ड 5 आधार अंक बढ़कर 5.70 फीसदी हो गई, जबकि पांच वर्षीय बॉन्ड पर यील्ड में 8 फीसदी इजाफा हुआ और यह 5.95 फीसदी पर बंद हुई। उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को पांच और तीन वर्षीय दोनों बॉन्ड की यील्ड में 5 आधार अंक की गिरावट दर्ज की गई थी।
भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि इस साल फरवरी से अब तक नीतिगत दरों में 100 आधार अंक तक की कटौती कर दी गई है, जिसके बाद अब मौद्रिक नीति में वृद्धि को और समर्थन देने के लिए काफी सीमित गुंजाइश है। नीति के रुख को उदार से बदलकर तटस्थ कर दिया गया, जिसका असर बॉन्ड बाजार की धारणा पर पड़ा।
प्राथमिक डीलरशिप के एक डीलर ने कहा, ‘निजी और विदेशी बैंक अपनी स्थिति संभाल रहे हैं। दर में 50 आधार अंकों की कटौती के बाद कुछ खरीदारी हुई, लेकिन मुनाफावसूली के कारण बढ़त सीमित रही।’ उन्होंने कहा, ‘आंकड़ों से पता चलता है कि निजी और विदेशी बैंक शुद्ध विक्रेता रहे और आज भी वे मुनाफावसूली करते दिखे। अभी कुछ समय तक बिक्री जारी रहेगी।’
बाजार सहभागियों को उम्मीद है कि बेंचमार्क बॉन्ड के लिए नई ट्रेंडिंग रेंज मिलने से पहले आने वाले समय में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कम होने से अगले कुछ सत्रों में स्थिति बदल सकती है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में घट-बढ़ भी ध्यान देने योग्य क्षेत्र बना रहेगा। सरकारी बैंक के एक डीलर ने कहा, ‘रुख में बदलाव बाजार के लिए नकारात्मक था, इसलिए हम कुछ फेरबदल देख रहे हैं, जो कुछ दिनों तक बरकरार रहेगा।’ उन्होंने कहा, ‘मौद्रिक नीति समिति की बैठक से पहले हम जो तेजी देख रहे थे उसका मुकाबला मुनाफावसूली से हो रहा है। हम कुछ दिनों के बाद एक स्तर देख पाएंगे। हम देखेंगे कि अमेरिकी ट्रेजरी कैसे आगे बढ़ती है।’
बाजार सहभागियों ने कहा कि नकद आरक्षित अनुपात में कटौती से चालू वित्त वर्ष के बचे समय के लिए अतिरिक्त ओएमओ खरीद की जरूरत भी काफी हद तक कम हो गई है।