पंजाब का टेक्सटाइल उद्योग नए जोश के साथ तैयार है। यह सही है कि बुनियादी ढांचे की बदहाली के कारण औद्योगिक इकाइयां राज्य से पलायन कर रही हैं लेकिन यदि बात कपड़ा मंत्रालय की टेक्सटाइल उपग्रेडेशन फंडिंग स्कीम (टफ्स) के तहत सब्सिडी हासिल करने की हो तो पंजाब की इकाइयां काफी आगे हैं।
राज्य की टेक्सटाइल इकाइयां टफ्स के तहत अधिकतम लाभ हासिल करने में कामयाब रही हैं।टफ्स योजना के तहत सब्सिडी हासिल करने के लिहाज से सितंबर 2006 तक पंजाब देश में चौथे स्थान पर था लेकिन मार्च 2007 के आंकड़ों के मुताबिक पंजाब एक पायदान चढ़कर तीसरे स्थान पर आ गया है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक पंजाब ने टफ्स के तहत मिलने वाली सब्सिडी के 14.85 प्रतिशत हिस्से का इस्तेमाल किया था।
तमिलनाड़ और महाराष्ट्र 28 प्रतिशत और 21 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ क्रमश: पहले और दूसरे स्थान पर हैं। गौरतलब है कि सब्सिडी हासिल करने के लिहाज से पंजाब 2006 में चौथे स्थान पर था। इस योजना के तहत अप्रैल 1999 से सिंतबर 2006 तक कुल 12,673 करोड़ रुपये जारी किए गए थे। इनमें से तमिलनाडु को 4,076 करोड़ रुपये, गुजरात को 1,844 करोड़ रुपये, महाराष्ट्र को 1,553 करोड़ रुपये और पंजाब को 1,347 करोड़ रुपये हासिल हुए थे।
वर्ष 2007 तक टफ्स के तहत कुल 2,7449 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई है। इस सब्सिडी का लाभ 10,000 से अधिक इकाइयों को मिला है।अमृतसर टेक्सटाइल आयुक्त कार्यालय के पूर्व उप निदेशक यू के शुक्ला ने बताया कि पंजाब और देश के अन्य हिस्सों की छोटी इकाइयों को टफ्स के तहत मिलने वाली सब्सिडी का अधिक फायदा नहीं मिल सका है।
उन्होंने कहा कि टफ्स के तहत कुल 7242 छोटी इकाइयों को दी गई सब्सिडी केवल 2,427 करोड़ रुपये ही है जो कुल वितरित राशि का केवल 9 प्रतिशत है। दूसरी ओर 2,974 गैर-एसएसआई इकाइयों को 25,022 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई जो कुल राशि का 91 प्रतिशत है।