प्याज की बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा निर्यात पर पाबंदी लगाने से महाराष्ट्र की सियासत गर्म हो गई। महाराष्ट्र के सत्ताधारी दलों ने केन्द्र सरकार के इस फैसले को किसान विरोधी करार देते हुए सड़कों पर उतरने की चेतावनी दी है। केंद्र सरकार ने घरेलू बाजार में प्याज की उपलब्धता बढ़ाने और कीमत पर लगाम लगाने के उद्देश्य से इसके निर्यात पर सोमवार को प्रतिबंध लगा दिया था।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने केंद्र के प्याज निर्यात पर पाबंदी के फैसले का कड़ा विरोध किया है। शरद पवार ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात कर कहा कि प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के अचानक लिए गए निर्णय पर केंद्र को पुनर्विचार करना चाहिए। पवार ने ट्वीट किया कि गोयल ने उन्हें आश्वासन दिया है कि इस मुद्दे पर वाणिज्य, वित्त और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालयों के बीच यदि सहमति बनती है तो सरकार निर्णय पर पुनर्विचार करेगी। पवार ने कहा कि निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्याज के भरोसेमंद आपूर्तिकर्ता की भारत की छवि को नुकसान पहुंचेगा। पवार ने कहा कि इस निर्णय से महाराष्ट्र के प्याज उत्पादक काफी नाराज हैं।
महाराष्ट्र के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने कहा है कि किसान कोरोना की वजह से लगाए गए लॉकडाउन से पहले ही परेशान थे अब इस निर्णय से वह सड़क पर आ जाएंगे। उन्होंने कहा की इस समय प्याज का निर्यात किया जाना बहुत जरूरी है। लॉकडाउन की वजह से प्याज का दाम पहले से गिरा हुआ है उस पर किसान को ट्रांसपोर्टेशन का भी खर्च उठाना पड़ता है। एनसीपी और कांग्रेस से जुड़े किसान नेताओं का कहना है कि बिहार चुनाव को देखते हुए केंद्र सरकार ने देशभर के किसानों का गला घोटने का काम किया है।
