दिलवालों के शहर दिल्ली में 2008 काफी उठापटक भरा रहा। चाहे बात बस रैपिड ट्रांसपोर्ट (बीआरटी) की हो या ब्लू लाइन के कहर की, महंगाई हो या आतंकवाद , दिल्ली की जनता इस तरह की कई घटनाओं से जार-जार होती रही।
ट्रक वालों की हड़ताल के कारण रसोई घरों में सब्जियां कम पहुंचने लगी, तो महंगाई की वजह से टमाटर लाल और प्याज लोगों की आंखों में आंसू दे गया। साल के अंत में मंदी के माहौल के बीच डीडीए की हाउसिंग स्कीम कुछेक आम लोगों के आश्रय का इंतजाम कर गई।
दिल्ली ने एक बार फिर शीला दीक्षित पर भरोसा जताया है। उनकी 2009 में सबसे बड़ी चुनौती राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी और सीलिंग जैसे मसलों पर व्यापारियों की चिंताओं को दूर करने की होगी।
…कहीं रही खुशी
अंतरराष्ट्रीय मंदी का असर भी दिल्ली के हर उद्योगों और क्षेत्रों पर स्पष्ट तौर पर दिखा। लेकिन इसके बावजूद साल की सबसे सुखद खबर लेकर आई, डीडीए की हाउसिंग स्कीम। लगभग साढ़े पांच लाख लोगों ने अपने आशियाने के सपने को इस स्कीम के तहत पूरा करने के लिए आवेदन किया।
16 दिसंबर को जब ड्रॉ निकाला गया, तो लगभग 5000 लोगों का यह सपना साकार हुआ। शेयर बाजार की हलचलों में कई लोगों ने लाखों-करोड़ों गंवा दिए, लेकिन छठे वेतन आयोग की सिफारिशों ने सरकारी कर्मचारियों को राहत दी। वैसे भी दिल्ली में सबसे अधिक सरकारी कर्मचारी कार्यरत हैं।
उनके वेतन में जब इस सिफारिश की वजह से इजाफा हुआ, तो चारों तरफ खुशी की लहर फैल गई। दिल्ली में तीन केंद्रीय विश्वविद्यालय मौजूद है। यूजीसी ने जब प्राध्यापकों और विश्वविद्यालय के कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी को मंजूर कर लिया, तो खुशी दोगुनी हो गई।
साल के खत्म होते-होते राजनीतिक स्तर पर बदल रही दिल्ली में किसी प्रकार का बदलाव नहीं हुआ। शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस को लगातार तीसरी बार सत्ता की कुर्सी नसीब हुई।
और यहां दिखा गम
वर्ष 2008 दिल्ली के लिए कम विवाद लेकर नहीं आया। कहीं खेलगांव विवाद की चर्चा रही, तो कहीं बीआरटी कॉरिडोर का मामला छाया रहा। इस साल का सबसे विवादित मुद्दा सीलिंग का रहा।
उपहार कांड मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने अंसल बंधुओं की सजा कम कर दी, जिससे पीड़ित परिवारों में खासा निराशा देखने को मिली। 13 सितंबर क ो हुए सीरियल बम धमाके से पूरी दिल्ली दहल गई। इसमें 30 लोगों की जानें गई और लगभग 130 लोग जख्मी हुए।
अभी इस धमाके की गूंज थमी भी नहीं थी, कि 29 सितंबर को दिल्ली में फिर धमाका हुआ। इस धमाके में 3 लोगों की मौत हुई और 23 लोग घायल हुए। ट्रक वालों ने 3 जुलाई को देशव्यापी हड़ताल की घोषणा की, जिससे दिल्ली में कीमतें आसमान छूने लगी।
दिल्ली 2008
3 जुलाई को ट्रांसपोर्ट वालों की हड़ताल से दिल्ली में आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान पर पहुंची।
दिल्ली के प्रमुख व्यापारिक केंद्र में 13 सितंबर और 27 सितंबर को आतंकवादी बम विस्फोट हुए।
खेल गांव परियोजना और बीआरटी कॉरीडोर परियोजना बनी सरकार के गले की फांस।
16 दिसंबर को डीडीए आवासीय परियोजना का ड्रॉ निकला। करीब 5,238 से अधिक लोगों का अपने घर का सपना पूरा हुआ।
शीला दीक्षित ने 17 दिसंबर को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। यह उनका तीसरा कार्यकाल है।
24 दिसंबर को दिल्ली मेट्रो के छह साल पूरे हुए