महंगाई बढ़ गयी है, लेकिन नॉन वेज रेस्टोरेंट की ग्राहकी में कमी नहीं आयी है। इस प्रकार के रेस्टोरेंट में लोगों का आना-जाना पहले की तरह ही है।
ऐसा इसलिए है कि नॉन वेज खानों की कीमतों में बहुत ही मामूली इजाफा हुआ है। यह अलग बात है कि इसकी लागत में बढ़ोतरी बाजार के मुताबिक ही हुई है। लेकिन रेस्टोरेंट मालिक अपने ग्राहकों को बनाए रखने के लिए अपने मुनाफे के प्रतिशत को कम कर दिया है।
इससे उनके कुल लाभ में कमी नहीं आयी है। क्योंकि कीमत में मामूली बढ़ोतरी से उनके ग्राहकों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। किंग्सवे कैंप स्थित द डिनर रेस्टोरेंट की मालकिन अनु सक्सेना कहती है, पिछले दो सालों से हमने नॉन वेज की कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं की है। हमारे ग्राहक बंधे हुए हैं।
कीमत बढ़ने से उनके टूटने की आशंका है। वे यह भी कहती है कि एक किलोग्राम मटन व चिकन को तैयार करने में पिछले साल के मुकाबले इस साल 15 फीसदी तक का इजाफा हो गया है। खाद्य तेलों के दाम बढ़ गये हैं, मसालों के दाम बढ़ गए हैं। पटेल चेस्ट के सगुन रेस्टोरेंट के मनीष मल्होत्रा कहते हैं, पिछले दो सालों में मात्र 5-7 फीसदी का इजाफा किया है।
पिछले साल वे फुल प्लेट बटर चिकन 220 रुपये में बेचते थे और अब इसकी कीमत 230 रुपये हो गयी है। हांडी चिकन, कराही चिकन, तवा चिकन, चिकन करी व चिकन मसाले में भी लगभग इसी अनुपात में बढ़ोतरी की गयी है। मटन करी में पिछले साल के मुकाबले जरूर 10 फीसदी तक का इजाफा किया गया है।
पिछले साल मटन करी की कीमत 100 रुपये फुल प्लेट थी जो बढ़कर 110 रुपये हो गयी है। रोहिणी सेक्टर-8 डीडीए मार्केट के नॉन वेज विक्रेता सरदार सिंह कहते हैं, चिकन व मटन के दाम अधिक बढ़ाने से ग्राहकी खराब होने की पूरी आशंका रहती है। ऐसा इसलिए है कि अगर नॉन वेज की कीमत ज्याद बढ़ जाएगी तो वे इसे खाना छोड़ देंगे।