दिल्ली सरकार के गेहूं-दाल कम रखने के फरमान के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी इसी तरह के कानून को लागू करने की तैयारी है।
रोजमर्रा की जरुरी चीजों और अनाज के दाम पर काबू पाने में विफल रही माया सरकार ने अब गेहूं, चावल और खाद्य तेलों के भंडारण पर रोक संबंधी आदेश जारी करने की ठान ली है। प्रदेश के खाद्य और रसद विभाग ने इस कानून का मसौदा तैयार कर लिया है और जल्दी ही इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
इस कानून को गेहूं-चावल भंडारण और खाद्य तेल भंडारण आदेश 2008 के नाम से जाना जाएगा। राज्य सरकार का यह मानना है कि इस आदेश के प्रभावी होने के बाद कीमतों में गिरावट दर्ज की जाएगी और व्यापारी जमाखोरी नही कर सकेंगे। स्टॉक कम रखने की बाध्यता के चलते अनाज के दाम गिरेंगे साथ ही जनता को राहत मिल सकेगी।
हालांकि इस आदेश को लेकर व्यापारी सशंकित हैं और उन्होंने इसका विरोध भी करना शुरु कर दिया है। व्यापारियों का मानना है कि इस आदेश के बाद प्रदेश में इंसपेक्टर राज को बढ़ावा मिलेगा और उनका उत्पीड़न होगा। बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में यूपी उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के प्रवक्ता चंद्र कुमार छावड़ा ने बताया कि आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 आज के दौर में आप्रासांगिक हो गया है।
उनके अनुसार अब अगर ऐसा ही कोई और कानून आता है तो उससे कुछ हल होने वाला नही है। छाबड़ा के मुताबिक मुलायम सरकार ने इस कानून को स्थगित कर दिया था और तब से स्टॉक पर कोई सीमा नहीं है। उन्होंने इन आरोपों से इंकार किया कि व्यापारी माल जमा कर रखते हैं। छाबड़ा का कहना है कि अब जमाखोरी छोटे व्यापारी नही बल्कि बड़े कॉरपोरेट घराने कर रहे हैं वही बाजार को नियंत्रित कर रहे हैं।
इन सबके बावजूद प्रदेश के खाद्य आयुक्त दीपक त्रिवेदी का मानना है कि इस आदेश के बाद कीमतों में कमी आना लगभग तय है। गौरतलब है कि बीते साल फरवरी में भारत सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के तहत जरुरी सामानों के भंडारण पर रोक लगा दी थी। छह माह तक वैध इस आदेश में अनाज के अंतर्राराज्यीय स्थानांतरण व व्यापारियों के लाइसेंस का कोई जिक्र नही था।
इसके बाद मार्च में एक आदेश के तहत केंद्र सरकार ने गेहूं, चावल और तेलों के भंडारण पर भी रोक लगा दी थी। केंद्र सरकार के आदेश को यूपी को छोड़कर ज्यादातर राज्यों ने लागू कर दिया था। अब उत्तर प्रदेश सरकार ने, जबकि सरसों का तेल 80 रुपये और आटा 16 रुपये तक बिका तो इस आदेश की सुध ली और इसे नए सिरे से लागू करने का फैसला किया है।