रियल एस्टेट क्षेत्र में मंदी की आंशका के बावजूद एनसीआर के प्रापर्टी डीलरों और बिल्डरों के हौसले बुलंद है।
उनके हिसाब से रियल एस्टेट क्षेत्र में आने वाले 10 से 15 वर्षो तक मंदी की गुंजाइश नहीं है। प्रापर्टी पंडितों को मानना है कि इसका एक बड़ा कारण यह है कि अभी देश में बहुत कम शहरीकरण हुआ है।
अगर 2001 की जनगणना के आंकड़ो को देखते है तो साफ पता चलता है कि देश की केवल 28 फीसदी जनसंख्या ही शहरों में निवास करती है। इसके अलावा प्रतिवर्ष शहरी जनसंख्या में 2.73 फीसदी की वृद्धि हो रही है। इसलिए अभी भारत में शहरीकरण की अपार संभावना मौजूद है।
प्रापर्टी विश्लेषकों का कहना है कि अगर एनसीआर क्षेत्र की बात ही की जाए तो गाजियाबाद और फरीदाबाद रियल एस्टेट के उभरते गढ़ है। औद्योगिक विकास के केन्द्र बनने, मेट्रों के पहुचंने और दिल्ली से बढ़ती कनेक्टीविटी के कारण गाजियाबाद और फरीदाबाद जैसे शहर एनसीआर के आम आदमी की पहली पंसद बनते जा रहे है।
प्रापर्टी डीलर शगुन सिंह का मानना है कि दिल्ली में तीसरी मंजिल के निर्माण को उच्चतम न्यायालय से मंजूरी मिलने और ग्रेटर नोएडा में जमीन के दामों में हुई बढोतरी ने आम आदमी की जेब से इन क्षेत्रों में जमीन खरीदने के अरमान को निकाल दिया है। इसलिए गाजियाबाद और फरीदाबाद रियल एस्टेट के लिए एक अच्छा बाजार साबित हो सकते है।
प्रापर्टी विश्लेषक अनिल सिंह का मानना है कि वर्तमान में रियल एस्टेट क्षेत्र में जिस तरह की मंदी की बात की जा रही है,वह क्षणिक मंदी है। एनसीआर में बिल्डरों द्वारा जिस तरह के मकान बनाए जा रहें है वह आम आदमी की जेब के बाहर है। जबकि एनसीआर की कुल जनसंख्या का 70 से 80 फीसदी सामान्य वेतन वाला है।
उसकी पहुंच 10 से 15 लाख के मकानों तक है जबकि इस तरह के मकानों की आपूर्ति बहुत कम है। इसलिए लोग ऐसे मकानों में पैसा निवेश करना चाहते है जो उनकी जेब के अनुकूल हो। इसके अलावा अनिल सिंह का कहना है किशेयर मार्केट में आई मंदी से रियल एस्टेट में निवेश के बढ़ने की गुंजाइश होती है लेकिन इस बार ऐसा न होने का कारण शायद बड़े निवेशकों द्वारा घाटे के चलते बड़े निवेश से हाथ खीचना, बैंक दरों का बढ़ना और सीमेंट व इस्पात की कीमतों में वृद्धि को मान सकते है।
वैसे तो एनसीआर में लोगों का बढ़ता जमावड़ा भी रियल एस्टेट की मांग में वृद्धि को दिखाता है। प्रापर्टी डीलर आन एन अग्रवाल का कहना है कि दिल्ली की ऊहा-पोह वाली जिंदगी से बचने के लिए भी लोग गाजियाबाद और फरीदाबाद की तरफ रुख कर कर रहें है। इन क्षेत्रों में रुख करने का एक मुख्य कारण यहां पर प्रापर्टी के दामों का नोएडा और दिल्ली से सस्ता होना है।