अगर इमामी लिमिटेड के 62 वर्षीय अध्यक्ष आर एस अग्रवाल और इमामी के संयुक्त अध्यक्ष 61 वर्षीय आर एस गोयनका को कोई बात खास बनाती है तो वह है काम के प्रति उनका जज्बा और उनमें छिपी गजब की क्रियाशीलता।
दोनों ही का परिवार काफी बड़ा है और जब इमामी ने झंडु फार्मास्यूटिक्ल्स का अधिग्रहण किया तो दोनों ही परिवार की ओर से इन्हें सहारा मिला था। गोयनका और अग्रवाल पहली बार तब मिले थे जब वे हाई स्कूल में पढ़ रहे थे। दोनों ने साथ साथ वाणिज्य, कानून और लेखा की पढ़ाई की और कुछ समय बिड़ला कंपनी में काम करने के बाद खुद का कारोबार खड़ा किया।
इन दोनों ने कंपनी में अपने अपने कार्य क्षेत्रों की पहचान बखूबी की है। जहां अग्रवाल मुख्य रूप से रणनीतिक योजना और कारोबारी मसलों पर अधिक ध्यान देते हैं, वहीं गोयनका कर संबंधी और वित्तीय योजना मसलों पर ध्यान देते हैं।
भले ही इन दोनों ने बहुत बड़ी शुरुआत नहीं की थी, मगर काम के प्रति अपने जोश और क्रियाशीलता के दम पर उन्होंने जल्दी ही बेहतर मुकाम हासिल कर लिया था। कुछ ही समय बाद ये पश्चिम बंगाल में कोलकाता के छोटी सी उत्पादन इकाई में आयुर्वेदिक दवा और सौंदर्य प्रसाधन का उत्पादन करने लगे थे।
शहर में मारवाड़ी समुदाय के उद्यमियों का कहना है कि इन दोनों ही उद्योगपतियों में उभरती क्षमताओं का पता लगाने की गजब की क्षमता है। इन्हें पता होता है कि इनके रास्ते में कौन सी संभावनाएं हैं और वे कैसे उन्हें अपनी मुट्ठी में कर सकते हैं। ये पहले इस बात का भी आभास कर लेते हैं कि इन्हें व्यर्थ में किन अधिग्रहणों या संयुक्त उद्यमों में हाथ नहीं डालना है।
झंडु के अधिग्रहण के पहले कंपनी का टर्नओवर 2,000 करोड़ रुपये का था, जिसमें पिछले कुछ सालों के दौरान 25 फीसदी की सालाना दर से बढ़ोतरी हो रही है। समूह के पास नकदी की भी किल्लत नहीं है और मनी मार्केट में कंपनी एक बड़े खिलाड़ी के तौर पर है। कंपनी अपने एफएमसीजी कारोबार में इकाइयों के विस्तार, आयात और घरेलू कारोबार में निवेश को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
कंपनी के एफएमसीजी कारोबार का गठन 1974 में किया गया था और आज यह करीब 750 करोड़ रुपये का है। अग्रवाल और गोयनका ने इमामी को त्वरित उपभोक्ता सामान (एफएमसीजी) कंपनी के रूप में स्थापित करने का फैसला लिया क्योंकि इसमें कम निवेश के साथ ऊंची विकास की संभावनाएं थीं।
अग्रवाल कहते हैं, ‘आर एस गोयनका पढ़ने में तेज और समझदार इंसान हैं और मैं उनसे वित्त के बारे में मार्गदर्शन लेता रहता हूं।’ लॉन्च के 5-6 साल में ही इमामी क्रीम और पाउडर ने बाजार में अपनी पकड़ बना ली थी। दरअसल, उन दिनों इमामी ने एक नए प्रयास के तौर पर ‘वैनीशिंग’ (ठंड में लगाई जाने वाली) क्रीम बाजार में उतारी थी।
आज बाजार में बिकने वाली सभी क्रीम इसी तकनीक के साथ बनाई जाती हैं, पर पहली दफा ऐसा प्रयास इमामी ने ही किया था। वर्ष 1978 में इमामी ने 90 साल पुरानी कंपनी हिमानी को खरीद लिया और 1980 तक इमामी ने हर घर में अपनी पहचान बना ली थी। इमामी ने ‘बोरोप्लस’ के नाम से ऐंटीसेप्टिक क्रीम बाजार में उतारी जिसकी ऐंटिसेप्टिक क्रीम के बाजार में हिस्सेदारी 75 फीसदी से अधिक है।
स्किन केयर और पर्सनलकेयर ब्रांड के बाद कंपनी ने हेल्थकेयर उत्पादों के साथ प्रयोग करने भी शुरू किए और इसी क्रम में कंपनी ने ‘सोना चांदी च्यवनप्राश’ और ‘मेंथोप्लस’ लॉन्च किया। धीरे धीरे कंपनी कागज उत्पादन, बॉल पेन टिप्स, रियल एस्टेट और फार्मेसी के कारोबार में भी कदम रख चुकी है। फिलहाल कंपनी में करीब 19,000 कर्मचारी काम कर रहे हैं।
देश के प्रमुख अखबारों को न्यूजप्रिंट सप्लाई करने वाली इमामी सबसे बड़ी कंपनी है। बॉल पेन टिप्स तैयार करने वाली दुनिया की प्रमुख कंपनियों में इमामी का स्थान चौथा है। रियल एस्टेट और फार्मेसी के कारोबार में इमामी दूसरे डेवलपर्स और रियल एस्टेट कंपनियों के साथ गठजोड़ कर रही है।
इमामी विस्तार की योजना बना रही थी और इसी क्रम में कंपनी ने महाराष्ट्र में डाक विभाग और आईटीसी लिमिटेड के साथ गठजोड़ किया ताकि ग्रामीण इलाकों में ग्राहकों को अपनी ओर खींच जा सके। कंपनी ने ग्रामीण पेट्रोल पंपों के जरिए अपने उत्पाद की बिक्री के लिए इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के साथ भी गठजोड़ किया।
कंपनी के लिए अच्छी बात यह है कि परिवार के सभी सदस्य ने विभिन्न कारोबारी क्षेत्रों में अपनी अपनी पकड़ बना ली है। आर एस गोयनका के भाई और कंपनी के प्रबंध निदेशक सुशील गोयनका कारोबार से जुड़े हर दिन के मामलों को देखते हैं। वहीं आर एस गोयनका के बेटे मोहन और मनीष गोयनका एफएमसीजी कारोबारी विकास को देखते हैं। आर एस अग्रवाल के बेटे आदित्य अग्रवाल एफएमसीजी कारोबार पर नजर रखते हैं तो वहीं उनके दूसरे बेटे हर्ष अग्रवाल के पास पर्सनल केयर उत्पादों की देखरेख का जिम्मा है।
दो दोस्तों ने रखी थी इमामी की नींव
25 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रहा सालाना कारोबार
1974 में रखी थी एफएमसीजी की नींव
रियल एस्टेट, कागज उत्पादन में भी दखल
