कृषि के बिगड़ते हालातों को देखते हुए झारखंड में नाबार्ड के क्षेत्रीय मुख्यालय ने किसानों के बीच कृषि की आधुनिक तकनीक को व्यावाहरिक बनाने और किसानों के बीच इसके लिए जागरुकता फैलाने के लिए कैंप लगाने शुरु कर दिये है।
नाबार्ड ने इस तरह के कैंप किसान सहायक समूहों की सहायता से कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि शोध संस्थानों में लगाने की योजना बनाई है।नाबार्ड के सूत्रों ने बताया कि इन जागरूकता कार्यक्रमों का लक्ष्य किसानों को सरकारी मदद की तौर पर मिलने वाले ऋण का कृषि के विकास में समुचित तरीकें से प्रयोग करना सीखाना है।
किसान पर्याप्त रुप से जागरुक न होने के कारण इस पैसे का सही प्रयोग नहीं कर पाते है और ब्याज पर लिया गया यह पैसा यूं ही कृषि पैदावार बढ़ने की झूठी उम्मीदों में खर्च हो जाता है। नाबार्ड ने किसानों में जागरुकता फैलाने के कार्यक्रम को सफल बनाने के उद्देश्य से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले किसान सहायता समूहों के लिए इनाम की भी घोषणा की है।
नाबार्ड ने अपने कार्यक्रम का मूल्यांकन करने और झारखंड में अपने सहायक समूहों का ध्यान आर्कषित करने के उद्देश्य से राजधानी रांची में पालांडू स्थित बागवानी और कृषि वन शोध संस्थान में अपना जागरुकता केन्द्र लगाया। इस कैंप में किसान सहायक समूहों के 50 प्रतिनिधियों ने भाग लिया और जैविक कृषि और मौसमी सब्जियों की खेती के लिए किसानों को शिक्षित किया।
रांची में नाबार्ड के मुख्य महाप्रंबधक के सी शशिधर ने कहा कि राज्य में किसान सहायता समूहों की गतिविधियों में पिछले कुछ समय से गति आई है। शशिधर ने यह भी बताया कि 2007 में किसान सहायता समूहों की संख्या 763 थी, जो 2008 में बढ़कर 880 हो जाएगी। इसके अलावा नाबार्ड ने राज्य में अपनी शाखाओं को बढ़ाने की योजना बनाई है। उन्होंने बताया कि शाखाओं की संख्या बढ़ाने से झारखंड में किसान सहायता समूहों की संख्या अपने आप बढ़ जाएगी।