लुधियाना एकीकृत टेक्सटाइल पार्क के 2010 तक बन कर तैयार होने का अनुमान है। इस टेक्सटाइल पार्क की स्थापना के लिए 115 करोड़ रुपये का निवेश किए जाने का अनुमान है जबकि परियोजना के पूरा होने के बाद लागत बढ़कर 1,500 करोड़ रुपये हो जा जाएगी।
इस पार्क की स्थापना से शहर में कपड़ा इकाइयों पर दबाव कम हो सकेगा। शहर की ज्यादातर टेक्सटाइल इकाइयां पार्क में स्थानांतरित होने के लिए तैयार हैं। इसके अलावा पार्क के तैयार होने के बाद टेक्सटाइल इकाइयों को कारोबार के विस्तार में भी मदद मिलेगी।लुधियाना एकीकृत टेक्सटाइल पार्क के प्रबंध निदेशक विनोद थापर ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि टेक्सटाइल पार्क की स्थापना लुधियाना से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर की जा रही है। यह पार्क लुधियाना दिल्ली रोड पर स्थित है और कांतिवियर क्लब द्वारा प्रवर्तित है।
थापर ने कहा कि पार्क की स्थापना 69 एकड़ क्षेत्र पर की जाएगी। इसमें से 53 हेक्टेयर जमीन पहले ही अधिग्रहित की जा चुकी है। इस पार्क में कुल 75 विनिर्माण इकाइयों की स्थापना की जाएगी जिनमें से 35 जमीन अधिग्रहण के लिए राशि का भुगतान कर चुकीं हैं। उन्होंने बताया कि इस परियोजना की कुल लागत 40 करोड़ रुपये है और एकीकृत टेक्सटाइल पार्क योजना (एसआईटीपी) के तहत कपड़ा मंत्रालय इसमें 40 प्रतिशत का योगदान कर रहा है।
थापर ने बताया कि कपड़ा मंत्रालय की सहायता की पहली किस्त के तौर पर 4 करोड़ रुपये जल्द ही मिलने का अनुमान है। इस धन राशि के मिलने के बाद बुनियादी ढांचागत कार्य की शुरुआत की जाएगी। इसमें सड़क का निर्माण, सिवरेज और डे्रनेज पाईप बिछाना शामिल है। थापर ने कहा कि परिधान पार्क के विपरीत लुधियाना में बन रहे टेक्सटाइल पार्क का उद्देश्य यहां के छोटे और मझोले उद्यमियों की मदद करना है।
उनके मुताबिक लुधियाना के 90 से 95 प्रतिशत तक छोटे और मझोले टेक्सटाइल उद्योग पार्क में आ जाएंगे। उन्होंने कहा कि कपड़ा मंत्रालय टेक्सटाइल उद्योग को बढ़ावा देने के लिए विशेष छूट दे रहा है लेकिन संवेदनशीलता के अभाव में इनमें से ज्यादातर राशि का बेहतर इस्तेमाल नहीं हो पाता है। उन्होंने कहा कि लुधियान में टेक्सटाइल पार्क बनने के बाद छोटे और मझोले उद्योगों के बीच केन्द्रीय सहायता के बेहतर इस्तेमाल के लिए जागरुकता बढ़ेगी।
कपड़ा मंत्रालय प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष योजना (टीयूएफएस) और दूसरी योजनाओं के जरिए उद्योगों को सहायता देती है लेकिन अधिकांश उद्यमियों को इस बारे में जानकारी नहीं हाती है। टेक्सटाइल उद्योग के लिहाज से लुधियाना काफी महत्वपूर्ण शहर है।
देश के विभिन्न हिस्सों में कारोबार के अलावा कपड़ों के निर्यात में भी लुधियाना की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है। उन्होंने बताया कि हाल में अमेरिकी डालर के मुकाबले रुपये की तेजी के चलते निर्यात प्रभावित हुआ है। मुद्रा की तेजी के असर से उद्योगों को बचाने के लिए सरकार को अधिक राहत देनी चाहिए। कपड़ों के वैश्विक बाजार में भारत की प्रमुख हिस्सेदारी है।