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कुशीनगर परियोजना ने पकड़ी रफ्तार

Last Updated- December 10, 2022 | 6:42 PM IST

काफी दिनों तक ठंडे बस्ते में पड़े रहने के बाद आखिरकार उत्तर प्रदेश सरकार ने कुशीनगर में प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर ध्यान देना शुरू कर दिया है।
इस मेगा परियोजना के लिए विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने का जिम्मा इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग ऐंड फाइनैंशियल सर्विसेज लिमिटेड (आईएलऐंडएफएस) को सौंपा गया है। इस परियोजना पर काम में तेजी लाने के लिए हाल ही में एक बैठक बुलाई गई थी।
इस हवाईअड्डे के निर्माण से क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। बुद्ध की नगरी होने के कारण देश विदेश के तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को इस जगह में दिलचस्पी है मगर बुनियादी सुविधाओं के अभाव में वे यहां से दूरी बनाए रखते हैं।
इस हवाईअड्डे के जरिए कुशीनगर को जापान, म्यानमार, कोरिया, चीन, थाईलैंड, भूटान और श्रीलंका से सीधे जोड़ा जा सकेगा। दरअसल, इन्हीं देशों से सबसे अधिक संख्या में पर्यटक बुद्ध की इस नगरी में घूमने आते हैं। उत्तर प्रदेश के पर्यटन सचिव और राज्य पर्यटन विकास निगम के प्रबंध निदेशक अवनीश अवस्थी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि इस परियोजना के निर्माण की गाड़ी ने रफ्तार पकड़ी है।
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस हवाईअड्डे के लिए ब्लूप्रिंट तैयार करने में थोड़ा समय लगेगा। राज्य सरकार की योजना कुशीनगर में सार्वजनिक-निजी हिस्सेदारी के तहत एक अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा बनाने की है। साथ ही सरकार डिजाइन बिल्ट फाइनैंस ऑपरेट ट्रांसफर के तहत एक बुद्धिस्ट सर्किट बनाने की तैयारी में भी है।
सरकार के पास इस हवाईअड्डे के निर्माण के लिए कुशीनगर में 160 हेक्टेयर जमीन है और बाकी की जमीन का अधिग्रहण आईएलऐंडएफएस की रिपोर्ट को देखने के बाद किया जाएगा। इस सर्किट में सारनाथ, कुशीनगर, संकिसा कौशांबी, श्रावस्ती और कपिलवस्तु इलाके  शामिल हैं जिन्हें देखने के लिए दुनियाभर से तीर्थयात्री आते हैं।
खासतौर पर जापान और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों से आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या सबसे अधिक होती है। आईएलऐंडएफएस को इस परियोजना के लिए ब्लूप्रिंट तैयार करते वक्त एएसआई नियमों का पालन करना पड़ेगा ताकि स्थानीय अर्थव्यवस्था को इससे लाभ मिल सके।
इधर, राज्य का पर्यटन विभाग भी राज्य भर में करीब 70 होटलों और गेस्ट हाउस का मूल्यांकन करने में जुटा है। अवस्थी ने बताया कि 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों के पहले सरकार इन संपत्तियों में 76 फीसदी हिस्सेदारी को बेचना चाह रही है।

First Published - March 3, 2009 | 2:30 PM IST

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