शहर में ऑटो पुर्जा और वाहन बनाने वाले निर्माताओं को इन दिनों मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीण आबादी को आसानी से ऋण उपलब्ध नहीं होने के कारण इनकी बिक्री का ग्राफ तेजी से नीचे आया है।
शहर में मझोले और लघु दर्जे की ऑटो पुर्जा बनाने वाले 50 से अधिक निर्माताओं को उनके उत्पादों के खरीदार नहीं मिल रहे हैं। मंदी के कारण निर्यात बाजार सूखा पड़ा है और उत्पादों की मांग भी घट रही है।
शहर की प्रमुख तीन पहिया वाहन निर्माता कंपनी जे एस ऑटो (जेएसए) के उत्पादों की बिक्री पिछले दिनों काफी घटी है। कंपनी लखनऊ में टेल्को संयंत्र को ऑटो पुर्जों की आपूर्ति करती है।
जेएसए के प्रबंध निदेशक सुरेश पुरी ने बताया, ‘ सारी समस्या क्षेत्र में वित्त उपलब्ध कराने को लेकर है। ग्रामीण आबादी के पास इतना पैसा नहीं होता कि वे डाउन पेमेंट का खर्चा उठा सकें।’
पुरी ने कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए जिले के ग्रामीण रोजगार केंद्रों को आगे आना चाहिए और बेरोजगार युवाओं के लिए फंड की व्यवस्था में मदद करनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए फंड जुटाने के मकसद से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति निगम का गठन किया गया था, पर जागरूकता के अभाव और नौकरशाही बाधाओं के कारण इसे अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली।’
उन्होंने कहा कि अगर फंड उपलब्ध कराने की व्यवस्था को बेहतर बनाना है तो इसके लिए राज्य सरकार को ही आगे आना होगा। पुरी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के बाजारों में विस्तार की काफी संभावनाएं हैं क्योंकि अभी भी यहां सालाना बिक्री का आंकड़ा 7,000 को पार नहीं कर पाया है।
उन्होंने कर्नाटक का उदाहरण देते हुए कहा कि लगभग इतनी ही आबादी वाले राज्य में सालाना बिक्री का आंकड़ा 12,000 से ऊपर है। इसकी वजह वहां लोगों को बड़ी आसानी से वित्त उपलब्ध होना है।
ऋण वितरण की स्थिति का जिक्र करते हुए पुरी ने कहा कि बैंक ग्रामीण ग्राहकों को 5,000 रुपये से अधिक का कर्ज देने के लिए तैयार नहीं है। शहर में तीन पहिया वाहनों की बिक्री में गिरावट आने की एक बड़ी वजह यह भी है कि यहां ऐसे वाहनों से 16 किलोमीटर से अधिक की यात्रा पर रोक लगी है।
कानपुर टेम्पो टैक्सी महासंघ के अध्यक्ष राम गोपाल पुरी ने कहा कि इस सीमा को बढ़ाया जाना चाहिए ताकि यात्रियों को सुविधा हो सके।