अगले साल फरवरी में अबू धाबी में होने जा रही विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की मंत्रिस्तरीय बैठक (एमसी13) में पर्यावरण संबंधी मसलों पर विकसित देशों द्वारा समझौते को आगे बढ़ाए जाने को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है।
व्यापार और पर्यावरण पर बनी समिति (सीटीई) की बैठक में भारत ने कहा, ‘भारत का मानना है कि डब्ल्यूटीओ के सदस्यों को पर्यावरण के मसले पर नियम बनाने के किसी दौड़ में नहीं पड़ना चाहिए और एमसी 13 से जुड़े किसी मसले पर चर्चा इस समझ के आधार पर होनी चाहिए। इस सिललिसे में हमने यह भी पाया है कि पिछली व्यापार वार्ता समिति में कुछ सदस्यों के बयान पर्यावरण पर विशिष्ट एमसी13 परिणाम को आगे बढ़ाने में सावधानी बरतने की सलाह देते हैं।’
इसने कहा है कि ऐसा लगता है कि पहले यह साफ करने की जरूरत है कि डब्ल्यूटीओ की क्या भूमिका है और पर्यारवरण पर चर्चा में वह क्या कर सकता है। डब्ल्यूटीओ में चल रही सुधार को लेकर चर्चा के हिस्से के रूप में डब्ल्यूटीओ के विचार-विमर्श के काम में सुधार के लिए यूरोपीय संघ द्वारा हाल ही में प्रकाशित एक पेपर में डब्ल्यूटीओ सदस्यों की राय शामिल की गई है।
सीटीई की बैठक में ईयू ने कहा कि पर्यावरण और जलवायु को लेकर सदस्य देशों की दिलचस्पी बढ़ रही है और डब्ल्यूटीओ के एजेंडे में इसे प्रमुखता दी जा रही है, जिससे कि जलवायु और पर्यावरण संबंधी चुनौतियों से निपटा जा सके।
इसमें कहा गया है, ‘ इसका मकसद व्यापार संबंधी पर्यावरण उपायों पर पारदर्शिता, तालमेल और नीतिगत संवाद बढ़ाना है। हम उन उपायों पर जल्द जानकारी के आदान प्रदान और उपायों के तौर तरीके पर चर्चा का सुझाव दे रहे हैं।
जिससे व्यापार पर प्रतिबंध के प्रभाव को कम करते हुए जलवायु और पर्यावरण का अधिकतम लाभ मिल सके। हमारा यह भी सुझाव है कि उपाय लागू होने के बाद भी चर्चा जारी रहनी चाहिए और व्यापार को सुविधाजनक बनाने के तरीकों पर भी विचार किया जाना चाहिए।’
यूरोपीय संघ को समर्थन करते हुए जापान ने कहा है कि इन बिंदुओं पर चर्चा की जाए, जिससे संभावित तत्वों को एमसी13 के पहले लागू किया जा सके और साल के अंत तक इस पर अवधारणा संबंधी सत्र का आयोजन किया जा सके।
स्विटजरलैंड ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन को रोकना अब पूरी तरह से डब्ल्यूटीओ के एजेंडे के रूप में चिह्नित किया जा चुका है। उसने कहा है जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता को नुकसान और प्रदूषण न सिर्फ वैश्विक चुनौती के रूप में चिह्नित हैं, बल्कि हमें अगली मंत्रिस्तरीय बैठक में इसके समाधान पर काम करने की जरूरत है।
मालदीव के प्रतिनिधि ने कहा कि अब ठोस, प्रभावी परिणामों को लेकर चर्चा शुरू करना जरूरी है। ऑस्ट्रेलिया ने कहा कि वह डब्ल्यूटीओ के जीवंत विमर्श के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें व्यापार नीति और पर्यावरण व विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन पर अंतरसंबंध पर अधिक ध्यान केंद्रित हो।
बहरहाल अमेरिका ने कहा कि ठोस परिणाम आने को लेकर बातचीत करना अभी जल्दबाजी होगी। उसने कहा कि एमसी13 अब एक साल से कम दूर है और हम इसमें संभावनाएं देख रहे हैं।