संसद के मानसून सत्र का पहला हफ्ता हंगामे की भेंट चढ़ने के बाद अब सोमवार से राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति से जुड़े दो बड़े मुद्दों—पहलगाम आतंकी हमला और ऑपरेशन सिंदूर—पर जबरदस्त बहस होने की उम्मीद है। सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और विपक्षी दलों के बीच इन विषयों पर आमने-सामने की टक्कर तय मानी जा रही है।
सूत्रों के अनुसार, इस बहस में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर अपनी बात रखेंगे। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी बहस में हस्तक्षेप करने के संकेत हैं ताकि सरकार की राष्ट्रीय सुरक्षा पर “मजबूत और निर्णायक” नीति को उजागर किया जा सके।
विपक्ष की ओर से राहुल गांधी (लोकसभा) और मल्लिकार्जुन खड़गे (राज्यसभा) मोर्चा संभाल सकते हैं, वहीं समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव समेत कई विपक्षी नेता सरकार को कटघरे में खड़ा करने की तैयारी में हैं।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने 25 जुलाई को बताया कि विपक्ष ने पहलगाम और ऑपरेशन सिंदूर पर सोमवार को लोकसभा में और मंगलवार को राज्यसभा में बहस पर सहमति दी है। दोनों सदनों में 16-16 घंटे की बहस निर्धारित की गई है, जो व्यावहारिक रूप से इससे अधिक समय तक चल सकती है।
विपक्ष सरकार से पहलगाम हमले (22 अप्रैल) में 26 नागरिकों की मौत को लेकर खुफिया तंत्र की विफलता पर जवाब मांग रहा है। साथ ही, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता के दावों को भी विपक्ष ने सरकार की विदेश नीति की असफलता करार दिया है।
वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर को सौ फीसदी सफल बताया है और कहा है कि भारत ने पाकिस्तान से जुड़ी आतंकी गतिविधियों के खिलाफ ‘नया सामान्य’ (New Normal) तय किया है। भारत ने इस ऑपरेशन में पाक अधिकृत कश्मीर और पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था, जिसके बाद पाकिस्तान की ओर से की गई जवाबी कार्रवाई में दोनों देशों के बीच चार दिन तक संघर्ष चला।
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सरकार की ओर से अनुराग ठाकुर, सुधांशु त्रिवेदी, निशिकांत दुबे जैसे नेता हिस्सा लेंगे। साथ ही, वे सात सांसद भी बोल सकते हैं जो ऑपरेशन सिंदूर के बाद दुनियाभर के 30 से अधिक देशों में भारत का पक्ष रखने के लिए गए थे। इनमें शिवसेना के श्रीकांत शिंदे, जदयू के संजय झा, और टीडीपी के हरीश बालयोगी शामिल हैं।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर, जिन्होंने अमेरिका में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था, की भूमिका को लेकर संशय बना हुआ है। थरूर द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के प्रति सरकार के रुख का समर्थन करने से पार्टी में उनकी स्थिति थोड़ी जटिल हो गई है। हालांकि, वे एक महत्वपूर्ण प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे, इसलिए संभावना है कि उन्हें भी बोलने का मौका मिल सकता है।
पहले सप्ताह में संसद का कामकाज इसलिए भी बाधित हुआ क्योंकि विपक्ष ने बिहार में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) अभियान को लेकर चर्चा की मांग की। विपक्ष का आरोप है कि यह अभियान चुनाव से पहले भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। जबकि चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह प्रक्रिया केवल वैध मतदाताओं की पहचान सुनिश्चित करने के उद्देश्य से हो रही है।
रिजिजू ने कहा है कि हर मुद्दे पर एक साथ चर्चा नहीं हो सकती और SIR पर बहस का निर्णय संसदीय नियमों के अनुसार बाद में लिया जाएगा।
(बीजेपी, कांग्रेस मीडिया सेल एवं एजेंसी इनपुट के साथ)
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