दिग्गज उर्वरक कंपनी इफको (IFFCO) 2,500 कृषि ड्रोन खरीदकर ग्रामीण इलाकों के चुनिंदा 5,000 उद्यमियों को सौंपेगी। इनका इस्तेमाल उर्वरक एवं रसायन छिड़कने के लिए किया जाएगा।
देश भर में नैनो उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा देने के अपने राष्ट्रीय अभियान के तहत इफको ऐसा कर रही है। किसी कृषि-रसायन कंपनी द्वारा ड्रोन की यह सबसे बड़ी खरीद है।
इफको ने एक बयान में कहा, ‘तकनीकी क्षमता, उत्पादन क्षमता, विनिर्माण प्रक्रिया, गुणवत्तापूर्ण प्रक्रिया, प्रशिक्षण पाठ्यक्रम और बुनियादी ढांचे का जिम्मा इफको ने ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया को सौंप दिया। उसने ड्रोन की विशेषताएं परखने के बाद बताया कि नैनो उर्वरक छिड़कने के लिए इफको द्वारा खरीदे जा रहे कृषि ड्रोन की तकनीकी विशेषताएं उद्योग के मानकों के अनुरूप हैं।’
सूत्रों ने कहा कि इफको ने पांच वेंडरों से जानकारी मांगी थी और जांच-परख के बाद ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया का चयन किया गया। कंपनी ग्रामीण क्षेत्रों में 5,000 से अधिक उद्यमियों को ये ड्रोन मुफ्त उपलब्ध कराएगी। ड्रोन के इस्तेमाल के लिए उद्यमियों को बकायदा प्रशिक्षण दिया जाएगा और उनका मार्गदर्शन किया जाएगा। इसका खर्च इफको ही उठाएगी।
सूत्रों ने कहा कि ड्रोन उड़ाने वालों के प्रशिक्षण एवं प्रमाणन का काम रिमोट पायलट प्रशिक्षण संगठन (आरपीटीओ) के केंद्रों में होगा। ये केंद्र नागर विमानन महानिदेशालय से मान्यता प्राप्त हैं।
योजना के अनुसार बैटरी चार्ज होने में आधा घंटा लगेगा और एक चार्जिंग के बाद ड्रोन तीन एकड़ क्षेत्र में नैनो यूरिया का छिड़क देगा। मगर उसमें लगी बैटरी से ड्रोन 18 से 22 मिनट ही उड़ सकता है। इसीलिए 20-20 मिनट की तीन उड़ानों के बाद बैटरी बदल दी जाएगी। उम्मीद है कि एक ड्रोन रोजाना 20 एकड़ रकबे में नैनो उर्वरक, पानी में घुलने वाले उर्वरक और नैनो डीएपी का छिड़काव कर देगा।
इफको ने कहा कि उसने कृषि ड्रोन, उर्वरक और आवश्यक सामान खेतों तक पहुंचाने के लिए 2,500 इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहन भी खरीदे हैं। इसके अलावा उसने नैनो उर्वरकों के उपयोग के लिए ट्रैक्टर पर लगने वाले बूम स्प्रेयर और होज रील स्प्रेयर का भी ऑर्डर दिया है।
कृषि ड्रोन बनाने वाली आयोटेकवर्ल्ड एविगेशन के संस्थापक दीपक भारद्वाज और अनूप उपाध्याय ने कहा, ‘हम उर्वरक, कीटनाशक कंपनियों सहित कृषि-रसायन कंपनियों से कृषि ड्रोन की मांग हमें बढ़ती दिख रही है। किसानों के अलावा ग्रामीण उद्यमियों और बड़े जमींदारों के पास से भी मांग बढ़ रही है।’