हरियाणा पावर जेनरेशन कार्पोरेशन लिमिटेड (एचपीजीसीएल)ने झार जिले में 1320 मेगावाट का पावर प्रोजेक्ट लगाने की योजना बनाई है।
यह प्रोजेक्ट केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के दिशा-निर्देशों पर बनाया जाएगा और इसमें 7,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा।
एचपीजीसीएल के वित्त आयुक्त और प्रधान सचिव अशोक लवासा ने कहा है कि एचपीजीसीएल ने इस प्रोजेक्ट में पारदर्शिता और भारत सरकार से मानक बोली के लिए तय किए गए दिशा-निर्देशो की सार्थकता को जानने के उद्देश्य से एक तकनीकि कमेटी का गठन किया गया था।
इस प्रोजेक्ट के लिए लगने वाली बोली का आयोजन कमेटी के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों के सामने किया गया था।
इस कमेटी में एचपीजीसीएल के निदेशक जी डी मेहता, एचपीजीसीएल के चीफ ऑफ आपरेशन जे सी किनरा के अलावा एचपीजीसीएल के कई वरिष्ठ और पावर क्षेत्र की तीन बड़ी कपनियों के प्रतिनिधि शमिल है।
इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय शुल्क नीति के अंतर्गत लागू किया जाएगा। ताकि उपभोक्ता को विश्वसनीय और अच्छी बिजली प्रतिस्पर्धी भावों पर दी जा सकीं। इस नीति का मुख्य उद्देश्य बिजली की खरीद के लिए प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना है।
इसके लिए लाइसेंसो का वितरण और बिजली की खरीद में पारदर्शिता के लिए सावधानी बरती जाती है।
एचपीजीसीएल की प्रंबध निदेशक ज्योति अरोरा ने कहा है कि इस प्रोजेक्ट से झार जिलें में बिजली की मांग और पूर्ति में सामंजस्य बनाया जा सकेगा। हरियाणा में पिछले साल की अपेक्षा बिजली की मांग14 फीसदी बढ़ गई। यह बढ़ोत्तरी तेजी से हुए औद्योगिक विकास, नगरीकरण और कृषि में खपत के बढ़ने से आई है।
ऊर्जा मंत्रालय ने इस प्रोजेक्ट में कोयले को उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 9 फरवरी को एक आरएफक्यु जारी किया। यह आरएफक्यू हरियाणा बिजली नियंत्रण कमीशन (एचईआरसी) की सहमति के बाद जारी किया गया।
इस प्रोजेक्ट की क्षमता 1320 मेगावाट तय की गई है। आरएफक्यू के लिए मूल्यांकन समिति के प्रमुख से सहमति के मिलने के बाद ड्राफ्ट (आरएफक्यू और पीपीए) योग्य बोली लगाने वालों को 10 जुलाई 2007 को जारी कर दिए गए थे।
बोली लगाने वालों के साथ 31 जुलाई 2007 को एक सम्मेलन आयोजित किया गया था। इसके बाद आरएफपी और पीपीए कागजातों की अंतिम प्रति को एचईआरसी की स्वीकृति के लिए भेज दिया गया था।
एचईआरसी से मंजूरी मिलने के बाद इन कागजातों को बोली लगा कर चुने गए संभावित व्यक्तियों को सौत दिया जाएगा। ज्योति अरोरा ने यह भी बताया कि इस प्रोजेक्ट के लिए 1221 एकड़ जमीन का अधिग्रहण अंतिम दौर पर है।
साथ ही साथ इस प्रोजेक्ट से उत्पन्न होने वाली पर्यावरण समस्या से निबटने के लिए वन और पर्यावरण मंत्रालय से बात-चीत भी चन रही है।
इस प्रोजेक्ट के लिए आवश्यक कोयले को कोल इंडिया लिमिटेड ,सेंट्रल कोल फील्ड और महानदी कोल फील्ड से उपलब्ध करवाएगा। इसके अलावा सिंचाई मंत्रालय भी इस प्रोजेक्ट के लिए 150 क्यूसेक पानी को उपलब्ध करवाएगा।