विकास और औद्योगिकरण से जुड़ी परियोजनाओं के लिए अपनी जमीन देने वाले लोगों के लिए झारखंड सरकार एक आकर्षक योजना लेकर जल्द ही आने वाली है।
झारखंड सरकार की 2.5 लाख करोड़ की लागत और 64 सहमति पत्रों पर आधारित पुनरुद्धार और पुर्नस्थापन योजना अपने अंतिम चरण में है। योजना लगभग तैयार है और इस अगले महीने जारी किए जाने की उम्मीद जताई जा रही है। उम्मीद जताई जा रही है कि नई राहत और पुनर्वास योजना के लागू होने के बाद जमीन अधिग्रहण को लेकर लोगों के विरोध में कमी आएगी।
यह योजना अपनी जमीन खोने वाले लोगों की जीवनशैली को 10 गुना बेहतर बनाने का लक्ष्य करके बनाई गई है। योजना के तहत इन लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए छतिपूर्ति देने के अलावा कई तरह के उपायों का प्रावधान किया गया है। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की वार्षिक क्षेत्रीय बैठक में झारखंड के उप-मुख्यमंत्री सुधीर महत्तो ने बताया कि इस योजना मंर जमीन खोने वाले लोगों के लिए कुछ खास किया गया है। इस योजना के तहत अगले तीस सालों तक जमीन देने वाले लोगों को 1,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से हर महीने क्षतिपूर्ति दी जाएगी।
इसके अलावा 10 एकड़ से ज्यादा जमीन वाले भूमिहीनों को प्रति माह 10,000 हजार रुपये क्षतिपूर्ति के दिये जायेंगे। खास बात यह है कि क्षतिपूर्ति की सर्वाधिक सीमा 10,000 हजार रुपये ही है। इसके अलावा जमीन देने वाले लोगों को को विकसित हो रहे क्षेत्रों में खोई हुई भूमि का 10वां हिस्सा जीविका कमाने के लिए दिया जाएगा। महत्तो ने कहा कि इस योजना में जिन लोगों की जमीन ली गई है, उनकी आवश्यकताओं का पूरा ध्यान रखा गया है।
ऐसा करने से नंदीग्राम जैसी घटनाओं के फिर से घटित होने की संभावना पूरी तरह से खत्म हो जायेगी। राज्य सरकार ने वर्तमान में झारखंड में कार्यरत कंपनियों और भविष्य में इस क्षेत्र में अपने संयंत्रों को लगाने वाली कंपनियों से इस योजना में सहयोग देने की गुजारिश की है। एक कंपनी के प्रतिनिधि ने इस बाबत कहा कि इस योजना का क्रियान्वित होना काफी कठिन काम है।
इस योजना में दी जाने वाली क्षतिपूर्ति राशि बहुत ज्यादा है। इसलिए कंपनियों द्वारा इसमें किसी तरह की रुचि दिखाना मुश्किल ही है। झारखंड में देश का 35 फीसदी खनिज भंडार उपस्थित है। इसके अलावा स्टील की देशी और विदेशी कंपनियों ने झारखंड में अपने प्लांटो को लगाने की योजना भी बना रखी है।