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SEBI के निर्देश से FPI को होगा फायदा, मगर ऊंचा शुल्क वसूल सकते हैं कस्टोडियन

सेबी ने FPI के लिए सौदे के अगले दिन ही धनप्रे​षण की व्यवस्था शुरू की है। इससे FPI को मौजूदा टी+2 यानी सौदे के दिन के बाद दो दिन के बजाय T+1 में पैसा उपलब्ध हो जाता है।

Last Updated- September 02, 2024 | 9:19 PM IST
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विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए ब्रोकर की तरह काम करने वाले संरक्षक (कस्टोडियन) तेजी से प्रेषण पर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) का निर्देश 9 सितंबर से लागू होने के बाद अपना शुल्क बढ़ाने की योजना बना रहे हैं।

सेबी ने एफपीआई के लिए सौदे के अगले दिन ही धनप्रे​षण की व्यवस्था शुरू की है। इससे एफपीआई को मौजूदा टी+2 यानी सौदे के दिन के बाद दो दिन के बजाय सौदे के अगले दिन (टी+1) पैसा उपलब्ध हो जाता है। बाजार नियामक के इस कदम से एफपीआई को फायदा होगा मगर कस्टोडियन को ग्राहकों के पैसों से मिलने वाली ब्याज आय का नुकसान हो सकता है।

वर्तमान में ग्राहकों के पैसों से मिलने वाला ब्याज कस्टोडियन अपने पास रख लेते थे। यह करीब 1 लाख करोड़ रुपये है जिस पर ओवरनाइट बैंक दर की तरह ही ब्याज मिलता है। नियामक के अधिकारियों का मानना है कि एफपीआई को मिलने वाले लाभ से उनकी बढ़ी हुई लागत की भरपाई हो जाएगी।

सेबी के एक वरिष्ठ अ​धिकारी ने कहा, ‘पैसे मिलने में देर होने, खास तौर पर ऊंची ब्याज दरों के कारण एफपीआई को जितना नुकसान होगा, उससे नए नियम से कहीं ज्यादा फायदा होगा।’

अ​धिकतर कर सलाहकार फर्मों और कस्टोडियन समयसीमा को घटाने के नियम से सहमत हैं। प्राइस वाटरहाउस में पार्टनर सुरेश स्वामी ने कहा, ‘कस्टोडियन को रात आठ बजे तक कारोबार का ब्योरा देने के लिए कहा गया है जबकि कर सलाहकारों से सुबह 9 बजे तक हिसाब-किताब देने को कहा गया है। इससे एफपीआई को अगले दिन की ट्रेडिंग में पैसा लगाने की सहूलियत होगी और उन्हें घरेलू बाजार में अन्य निवेशकों के समान मौका मिलेगा।’

एक कस्टोडियन के दो अन्य अधिकारियों ने कहा कि फिलहाल वे एफपीआई से मामूली या नगण्य शुल्क लेते हैं क्योंकि उन्हें ब्याज से कमाई हो जाती है। मगर शुद्ध ब्याज आय घटने से शुल्क बढ़ाया जा सकता है।

उद्योग के भागीदारों ने कहा कि उम्मीद है कि एफपीआई अपने पैसों को अन्य संपत्तियों में तेजी से लगाने में सक्षम होंगे और इससे होने वाला लाभ उनके द्वारा भुगतान किए जाने वाले शुल्क से अधिक होगा।

बैंक-आधारित कस्टडी सेवा से जुड़े एक अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘हमें परिचालन से संबंधित समस्या नहीं है आय के मौजूदा स्रोत बंद हो जाते हैं तो अधिक शुल्क या अन्य शुल्क लगाए जा सकते हैं। कई एफपीआई अलग-अलग जगहों पर होते हैं और उनका समय अलग-अलग होता है, ऐसे में उन्हें इतने कम समयसीमा में पैसों की जरूरत नहीं भी हो सकती है। हालांकि ऐसे कोष प्रबंधक जो इन पैसों का उपयोग आर्बिट्रेज में करना चाहते हैं, उनके लिए यह अच्छा अवसर होगा।’

एक अन्य कस्टोडियन ने कहा, ‘नियामक दुनिया को यह बताने का प्रयास कर रहा है कि भारत सभी निवेशकों के लिए सुलभ है और यहां कारोबार करना आसान है। वे नहीं चाहते हैं कि मध्यस्थ के हाथों में ग्राहकों का पैसा रहे।’

कर सलाहकारों का कहना है कि वे परिचालन संबंधी मुद्दों का हल निकाल रहे हैं और नए आदेश के अनुरूप अपनी टीमों को अलग-अलग शिफ्ट में तैनात कर दिया है। डोविटेल कैपिटल में सीईओ-फंड्स बिज़नेस रोहित अग्रवाल ने कहा, ‘कस्टोडियन के नकदी प्रवाह पर असर पड़ने की उम्मीद है मगर यह अपेक्षाकृत कम होगा। यह भी ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है कि आईपीओ और एमएससीआई पुनर्संतुलन जैसे मामले में उच्च तरलता महत्त्वपूर्ण होती हैं।’

First Published - September 1, 2024 | 10:24 PM IST

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