उत्तर प्रदेश में दिनों-दिन बढ़ती कॉलेजों की संख्या एक समय के लिए छात्र-छात्रों में उत्साह का संचार कर सकती है लेकिन सच्चाई है कि राज्य की विभिन्न शिक्षण संस्थानों में इस वक्त फैक्लटी संकट विकट रूप धारण कर रही है।
लखनऊ में निजी और सार्वजनिक शिक्षण संस्थानों की बहुतायत है और यहां भी फैक्लटी संकट अपने चरम पर है। लखनऊ स्थित लड़कियों की एक प्रतिष्ठित डिग्री कॉलेज के प्रिंसिपल ने नाम न छापने की शर्त पर बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘संस्थान के लिए बेहतर शिक्षक खोज पाना दिनों दिन मुश्किल होता जा रहा है।’
राज्य में शैक्षणिक संस्थानों की संख्या 500 से भी अधिक है। ये संस्थान मुख्य रूप से निजी क्षेत्रों में आते हैं। उत्तर प्रदेश में लखनऊ विश्वविद्यालय, दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, रोहिलखंड विश्वविद्यालय और महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ सहित करीब 25 विश्विविद्यालय और भी हैं।
राज्य में फैक्लटी संकट के कारणों को स्पष्ट करते हुए यूपीटीयू के उपकुलपति प्रो. प्रेम व्रत ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि अकादमी को पेशे के रूप में अच्छी गुणवत्ता वाले लोगों में कमी आई है। व्रत ने बताया, ‘इसे विडंबना ही कहेंगे कि अकादमी और अनुसंधान को पेशे के रूप में अपनाने वाले लोगों में तेजी से कमी आ रही है।
वे इसे प्राथमिकता से नहीं ले रहे हैं।’ उन्होंने बताया कि अच्छी फैक्लटी शैक्षिक संस्थानों की प्रतिष्ठा, प्रसिध्दि और ब्रांड वैल्यू बनाने में बहुत अहम भूमिका निभाती है।
