facebookmetapixel
Yearender 2025: टैरिफ और वैश्विक दबाव के बीच भारत ने दिखाई ताकतक्रेडिट कार्ड यूजर्स के लिए जरूरी अपडेट! नए साल से होंगे कई बड़े बदलाव लागू, जानें डीटेल्सAadhaar यूजर्स के लिए सुरक्षा अपडेट! मिनटों में लगाएं बायोमेट्रिक लॉक और बचाएं पहचानFDI में नई छलांग की तैयारी, 2026 में टूट सकता है रिकॉर्ड!न्यू ईयर ईव पर ऑनलाइन फूड ऑर्डर पर संकट, डिलिवरी कर्मी हड़ताल परमहत्त्वपूर्ण खनिजों पर चीन का प्रभुत्व बना हुआ: WEF रिपोर्टCorona के बाद नया खतरा! Air Pollution से फेफड़े हो रहे बर्बाद, बढ़ रहा सांस का संकटअगले 2 साल में जीवन बीमा उद्योग की वृद्धि 8-11% रहने की संभावनाबैंकिंग सेक्टर में नकदी की कमी, ऋण और जमा में अंतर बढ़ापीएनबी ने दर्ज की 2,000 करोड़ की धोखाधड़ी, आरबीआई को दी जानकारी

Editorial: नीतिगत उपायों को मिलेगी नई दिशा

एनएसओ (NSO) के बुलेटिन में कहा गया है कि भारत में 15 वर्ष एवं उससे अधिक उम्र की आबादी की श्रेणी में बेरोजगारी दर 5.1 प्रतिशत से ऊपर रही है।

Last Updated- May 18, 2025 | 10:39 PM IST
महाराष्ट्र सरकार ने लाडली बहना के बाद घोषित की लाडला भाई योजना, Ladla Bhai Yojana: Maharashtra government announced Ladla Bhai Yojana

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने पिछले सप्ताह आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) का पहला मासिक बुलेटिन जारी किया। इस बुलेटिन में उल्लेख किया गया है कि भारत के आधिकारिक आंकड़े तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था की मांग पूरी करना शुरू कर चुके हैं। कई अर्थशास्त्री और विश्लेषक कह चुके हैं कि रोजगार की वास्तविक स्थिति समझने के लिए भारत में कम समय के अंतराल पर आंकड़े जारी करने की जरूरत है। आधिकारिक आंकड़ों के अभाव में विश्लेषक निजी स्रोतों से आंकड़ों का उपयोग कर रहे थे। इन आकड़ों की व्यापकता एवं उन्हें हासिल करने की विधि अक्सर सवाल के घेरे में आ रहे थे।

एनएसओ (NSO) के बुलेटिन में कहा गया है कि भारत में 15 वर्ष एवं उससे अधिक उम्र की आबादी की श्रेणी में बेरोजगारी दर 5.1 प्रतिशत से ऊपर रही है। हालांकि, गणना विधि में बदलाव के कारण इसकी तुलना पुराने श्रम आंकड़ों से सीधे तौर पर नहीं की जा सकती है। शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 6.5 प्रतिशत थी जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 4.5 प्रतिशत दर्ज की गई। रोजगार की स्थिति का आकलन करने के लिए सात दिन के ब्योरे पर आधारित इन आंकड़ों के अनुसार अप्रैल में श्रम भागीदारी दर 55.6 प्रतिशत थी और शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में काफी फर्क देखा गया। यह भी नजर में आया कि दोनों ही क्षेत्रों में श्रम बल में स्त्री-पुरुष अनुपात में ऊंचा अंतर लगातार बना हुआ है।

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने हाल में ही पीएलएफएस में कई बदलाव की घोषणा की थी जिनमें प्रमुख श्रम बाजार संकेतकों (जैसे ग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्रों के लिए श्रम भागीदारी दर और बेरोजगारी दर) के मासिक अनुमान जारी होने का नया प्रावधान भी शामिल है। तिमाही सर्वेक्षण की जद में अब ग्रामीण क्षेत्र भी आएंगे और सालाना रिपोर्ट कैलेंडर वर्ष के साथ जोड़ी जाएगी। इससे आंकड़ों की तुलना अंतरराष्ट्रीय श्रम आंकड़ों से बेहतर ढंग से हो पाएगी। इन बदलावों की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी। सीमित एवं अनियमित आधिकारिक आंकड़े समय रहते एवं साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने की राह में बड़ी बाधा के रूप में देखे जा रहे थे। भारत के श्रम बाजार में तेजी से बुनियादी बदलाव हो रहे हैं। तकनीकी बदलाव और महिला श्रमिकों की बढ़ी भागीदारी (हालांकि, यह अब भी काफी कम है) की इसमें बड़ी भूमिका रही है।

अन्य बदलाव में नमूने का दायरा बढ़ाना भी शामिल है। ग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्रों में रोटेशनल पैनल स्कीम की घोषणा की गई है। प्रत्येक चयनित परिवार का चार लगातार महीनों में चार बार सर्वेक्षण होगा, जिससे रोजगार से जुड़े विश्वसनीय रुझान सामने आ पाएंगे। गणना विधि के स्तर पर ऐसे बदलाव सर्वेक्षण की व्यवस्था एवं क्रियान्वयन में महत्त्वपूर्ण सुधार को गति दे रहे हैं। तकनीकी बाधाएं दूर करने के लिए भी एनएसओ ने कदम उठाए हैं। उदाहरण के लिए जानकारी के संग्रह के प्राथमिक स्तर पर एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए यह कंप्यूटर की मदद से व्यक्तिगत साक्षात्कार और अन्य वेब-आधारित ऐप्लिकेशन का इस्तेमाल कर रहा है।

मासिक पीएलएफएस की दिशा में सरकार का कदम बढ़ाना स्वागत योग्य कदम जरूर है मगर आंकड़े अब भी भारत में रोजगार की स्थिति पर लगातार सामने आ रही दिक्कतों की तरफ इशारा कर रहे हैं। उदाहरण के लिए 15 वर्ष एवं इससे अधिक उम्र वाली श्रेणी में महिला श्रम बल भागीदारी दर शहरी क्षेत्र में मात्र 25.7 प्रतिशत थी। श्रम बाजार में महिलाओं की कम भागीदारी समग्र भागीदारी दर पर काफी प्रतिकूल असर डाल रही है। भारत के शहरी क्षेत्रों में यह दर 50.7 प्रतिशत थी, जिसका आशय है कि इन क्षेत्रों में श्रम बल का आधा हिस्सा रोजगार में नहीं था और न ही रोजगार की तलाश कर रहा था।

15 से 29 वर्ष उम्र की श्रेणी में भागीदारी दर तो 41.2 प्रतिशत के साथ और भी कम है। इस समाचार पत्र एवं अन्य माध्यमों में यह बात लगातार उठती रही है कि भारत की विशाल एवं तेजी से बढ़ते श्रम बल के लिए रोजगार के सार्थक अवसर तैयार करना सबसे बड़ी नीतिगत चुनौती है। रोजगार की स्थिति पर नियमित रूप से आने वाले आंकड़े अर्थव्यवस्था की स्थिति बेहतर जानकारी देंगे और रोजगार के हालात पर चर्चा के साथ ही नीतिगत उपायों को नई दिशा देने में भी मदद करेंगे।

2030 तक वैश्विक चिप बाजार की 5% हिस्सेदारी पर नजर 

‘काम के दबाव’ के चलते इंजीनियर सुसाइड मामले में OLA ने जारी किया बयान

First Published - May 18, 2025 | 10:39 PM IST

संबंधित पोस्ट