बढ़ती मुद्रास्फीति पर अंकुश के लिए उठाए गए कदमों का असर बाजार पर दिखने लगा है। त्यौहार के बावजूद बाजारों में रौनक नजर नहीं आ रही है। कारोबारियों के मुताबिक मांग नहीं निकलने के कारण बाजार की गति काफी धीमी हो गयी है।
हालांकि कारोबारियों को इस बात की उम्मीद है कि सितंबर महीने से छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने से बाजार की रौनक लौट सकती है।
कारोबारियों ने बताया कि 24 अगस्त को जन्माष्टमी है। और इसके चार-पांच दिन पहले से ही बाजारों में गहमागहमी बढ़ जाती थी।
कारोबार आम दिनों के मुकाबले 30 फीसदी तक बढ़ जाता था। लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। व्यापार में 10 फीसदी तक की गिरावट पहले ही आ चुकी है। यानी कि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले कारोबार में 40 फीसदी की कमी आ चुकी है।
चांदनी चौक के मिठाई विक्रेता रामधनी कहते हैं, रक्षा बंधन के दौरान तीन से चार दिनों में वे 50 हजार रुपये से अधिक की मिठाई बेचते थे, लेकिन इस साल ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने इस दौरान मात्र 38 हजार रुपये का कारोबार किया।
व्यापारी कहते हैं कि हर चीज की लागत में कम से कम 15 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो चुकी है। दूसरी तरफ सरकार ने कर्ज के ब्याज की द रों में इजाफा कर बाजार से नकदी को कम कर दिया है। जिससे हर चीज की मांग में कमी आयी है। मांग से ही बाजार का पूरा चक्र चलता है।