आम आदमी पार्टी सरकार ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि वह वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए पूर्ण लॉकडाडन जैसे कदम उठाने को तैयार है। हालांकि राज्य सरकार ने कहा कि यह लॉकडाउन संपूर्ण राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में लागू किया जाना चाहिए। दिल्ली सरकार ने एक शपथ पत्र में कहा, ‘जीएनसीटीडी (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार) स्थानीय उत्सर्जन पर नियंत्रण के लिए पूर्ण लॉकडाउन जैसे कदम उठाने को तैयार है। यह कदम तभी अर्थपूर्ण साबित होगा,यदि इसे दिल्ली से सटे पड़ोसी राज्यों में भी लागू किया जाता है। दिल्ली के छोटे आकार को देखते हुए इस लॉकडाउन का वायु गुणवत्ता पर बहुत सीमित प्रभाव पड़ेगा।’
राज्य सरकार ने कहा कि वायु प्रदूषण की समस्या को एनसीआर क्षेत्रों से जुड़े एयरशेड (वातावरण का वह हिस्सा, जो उत्सर्जन के फैलने के हिसाब से व्यवहार करता है) के स्तर पर सुलझाने की आवश्यकता है। उसने कहा कि अगर भारत सरकार या राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं निकटवर्ती क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग पूरे एनसीआर क्षेत्र के लिए लॉकडाउन का आदेश देता है तो वह इस कदम पर विचार करने के लिए तैयार है।
दिल्ली सरकार ने यह शपथ पत्र पर्यावरण कार्यकर्ता आदित्य दूबे और विधि छात्र अमन बांका की याचिका के जवाब में दाखिल किया है। इस याचिका में छोटे और सीमांत किसानों को पराली समाप्त करने वाली मशीनें नि:शुल्क मुहैया करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। दिल्ली सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया कि खराब होती वायु गुणवत्ता के मद्देनजर सभी स्कूल, कॉलेज, शैक्षणिक एवं प्रशिक्षण संस्थानों, कौशल विकास एवं प्रशिक्षण संस्थानों, अन्य प्रशिक्षण संस्थानों और (जहां परीक्षाएं हो रही हैं, उन्हें छोड़कर) सभी पुस्तकालयों को 20 नवंबर तक बंद करने के आदेश दिए गए हैं। राज्य सरकार ने कहा कि सभी निजी कार्यालयों को अपने कर्मियों को घर से काम करने की अनुमति देने की सलाह दी गई है ताकि 17 नवंबर तक सड़कों पर वाहनों की कम से कम आवाजाही सुनिश्चित की जा सके। उसने प्रतिवेदन दिया कि पिछले कई वर्षों में फरवरी से सितंबर तक वायु गुणवत्ता सूचकांक गंभीर श्रेणी में नहीं जाता है। दिल्ली सरकार ने कहा, ‘नवंबर 2021 में महीने के पहले 13 दिन में सात गंभीर (वायु गुणवत्ता वाले) दिन देखे गए और पंजाब एवं हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में भी इस दौरान वृद्धि हुई। दोनों राज्यों में पराली जलाए जाने की प्रतिदिन औसतन 4,300 घटनाएं हुईं। आप सरकार ने बताया कि शीर्ष अदालत के आदेश का अनुपालन करते हुए कनॉट प्लेस में बाबा खडग़ सिंह मार्ग पर एक स्मॉग टावर इस साल 23 अगस्त को स्थापित और चालू किया गया।
दिल्ली सरकार ने कहा कि 15 साल पुराने पेट्रोल एवं डीजल चालित वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है और निर्माण स्थलों और ध्वस्त की जा रही इमारतों की सख्ती से जांच हो रही है। शपथ पत्र में कहा गया है कि दिल्ली इलेक्ट्रिक वाहन नीति को मंजूरी दी गई है। राज्य सरकार ने कहा कि इस नीति का उद्देश्य दिल्ली में इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने को प्रोत्साहित करना और इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने के लिए आवश्यक अवसंचना स्थापित करना है। आप सरकार ने बताया कि दिल्ली में यात्री ई-रिक्शा का व्यापक रूप से उपयोग कर रहे हैं।
केंद्र को आपात बैठक करने के निर्देश
सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को अनावश्यक भवन निर्माण कार्यों, परिवहन एवं बिजली संयंत्रों का संचालन रोकने और घर से काम लागू करने जैसे कदमों पर विचार के लिए मंगलवार को आपात बैठक बुलाने के लिए कहा है। प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अगुआई वाले पीठ ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा एवं पंजाब और दिल्ली के संबंधित सचिवों को दालत की तरफ से बनाई गई समिति के समक्ष अपने प्रतिवेदन देने के लिए बैठक में भाग लेने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्य कांत भी इस पीठ में शामिल थे।
न्यायालय ने कहा, ‘प्रतिवादियों के शपथ पत्र दाखिल करने और सुनवाई के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि प्रदूषण बढऩे के लिए कुछ हिस्सों में पराली जलाए जाने के अलावा निर्माण गतिविधियां, उद्योग, परिवहन, ऊर्जा और वाहनों की आवाजाही मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम द्वारा कुछ निर्णय किए गए हैं,
लेकिन इसने सटीक तरीके से यह नहीं बताया है कि वे वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार कारकों को नियंत्रित करने के लिए क्या कदम उठाने जा रहे हैं।’ पीठ ने कहा कि इन परिस्थितियों के मद्देनजर केंद्र सरकार को मंगलवार को वायु प्रदूषण प्रभावी तरीके से नियंत्रित करने के लिए उपयुक्त विकल्पों पर विचार करने का निर्देश दिया गया है।
