दून घाटी विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (डीवीएसएडीए) के तहत आने वाले इलाकों के विकास के लिए मास्टर प्लान तो तैयार किया गया था, पर अब तक इस पर कोई काम नहीं हो पाया है।
देहरादून में अभी भी कई ऐसे इलाके हैं जहां संगठित और व्यवस्थित संरचना विकास के नाम पर लापरवाह तरीके से निर्माण गतिविधियां चलाई जा रही हैं। पिछले साल नवंबर में मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) की निगरानी में शहरी इलाकों के विकास के लिए मास्टर प्लान की घोषणा की गई थी।
उसके बाद से राज्य सरकार दून घाटी के बचे हुए इलाकों के विकास के लिए उदासीन नजर आने लगी है। इनमें से ज्यादातर इलाके ग्रामीण हैं। देहरादून जिले के 190 और टिहरी जिले के 135 गांवों समेत कुल 2,600 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्रफल डीवीएसएडीए के अंतर्गत आता है। इसमें सिलेकी, डोईवाला, हर्बटपुर, विकासनगर, साहसपुर, रानी पोखरी जैसे कुछ दूसरे छोटे कस्बे भी शामिल हैं। इसके लिए एक बड़ा भूखंड वन के लिए भी आरक्षित किया गया है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि देहरादून के ग्रामीण इलाकों के लिए जो मास्टर प्लान तैयार किया गया है, उस पर टाउन प्लानर लगातार काम कर रहे हैं, पर इसके लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गई है।
अधिकारी ने बताया, ‘उन्हें (टाउन प्लानरों को) इस काम में एक या दो साल भी लग सकता है।’ डीवीएसएडीए के लिए मास्टर प्लान की अवधि वर्ष 2001 में खत्म हो गयी थी। तब से ही दून घाटी में ताबड़तोड़ तरीके से निर्माण कार्य जारी है। यह अलग बात है कि जमीन के इस्तेमाल को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं होने के कारण निर्माण कार्य बिल्कुल अव्यवस्थित तरीके से चल रहा है।
