facebookmetapixel
नया साल, नए नियम: 1 जनवरी से बदल जाएंगे ये कुछ जरूरी नियम, जिसका सीधा असर आपकी जेब पर पड़ेगा!पोर्टफोलियो में हरा रंग भरा ये Paint Stock! मोतीलाल ओसवाल ने कहा – डिमांड में रिकवरी से मिलेगा फायदा, खरीदेंYear Ender: क्या 2026 में महंगाई की परिभाषा बदलेगी? नई CPI सीरीज, नए टारगेट व RBI की अगली रणनीतिGold–Silver Outlook 2026: सोना ₹1.60 लाख और चांदी ₹2.75 लाख तक जाएगीMotilal Oswal 2026 stock picks: नए साल में कमाई का मौका! मोतीलाल ओसवाल ने बताए 10 शेयर, 46% तक रिटर्न का मौकाYear Ender: 2025 में चुनौतियों के बीच चमका शेयर बाजार, निवेशकों की संपत्ति ₹30.20 लाख करोड़ बढ़ीYear Ender: 2025 में RBI ने अर्थव्यवस्था को दिया बूस्ट — चार बार रेट कट, बैंकों को राहत, ग्रोथ को सपोर्टPAN-Aadhaar लिंक करने की कल है आखिरी तारीख, चूकने पर भरना होगा जुर्माना2026 में मिड-सेगमेंट बनेगा हाउसिंग मार्केट की रीढ़, प्रीमियम सेगमेंट में स्थिरता के संकेतYear Ender 2025: IPO बाजार में सुपरहिट रहे ये 5 इश्यू, निवेशकों को मिला 75% तक लिस्टिंग गेन

माटी के कलाकारों को नए बाजारों की तलाश

Last Updated- December 07, 2022 | 8:40 AM IST

देश में मिट्टी शिल्प उद्योग के लिए यह बिखराव का समय है, हालांकि बाजार के जानकारों का मानना है कि उत्पादों के मूल्यवर्धन और बेहतर डिजायन पर काम किया जाए तो उद्योग नए सिरे से पैर पसार सकता है।


एक अनुमान के मुताबिक भारत में करीब 17 लाख कुम्हार हैं। ये कुम्हार परंपरागत ज्ञान के सहारे अपने पेशे को आगे बढ़ा रहे हैं। इनमें से 95 प्रतिशत कुम्हार लाल रंगे के परंपरागत बर्तन बनाते हैं। इन बर्तनों की न तो ज्यादा मांग है और न ही इनके लिए अच्छी कीमत मिल पाती है।

हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) के अध्यक्ष और कार्यपालक निदेशक राकेश कुमार ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि ‘कुम्हार उत्पादों को बनाने के तरीके और डिजायन में बदलाव लाए तो उनके लिए एक बड़ा बाजार खुला पड़ा है। आकर्षक डिजायन और रंग वाले मिट्टी के सामान की घरों में, होटल की लॉबी में और ऑफिस में सजावट के लिए काफी मांग हैं।’ उन्होंने बताया कि खुर्जा, जयपुर, आजमगढ़ और चंबा में इस दिशा में अच्छे प्रयोग किए जा रहे हैं। मिट्टी के बर्तनों पर पॉलीयूरेथीन का कोट करके उन्हें वाटर प्रूफ और स्क्रेच प्रूफ बनाया जा सकता है।

यूरोप, जापान, अमेरिका और आस्ट्रेलिया में मिट्टी के बने उत्पादों की मांग भी बढ़ रही है। हालांकि संसाधनों के अभाव में इन बाजारों तक पहुंच कायम कर पाना मुश्किल है। कुम्हारों के पास गिरवी रखने के लिए कोई संपत्ति नहीं होने के कारण कारोबार बढाने के लिए वे बैंकों से कर्ज भी हासिल नहीं कर पाते हैं।

उम्मीद की किरण

छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में स्थित गांव बोंदा से उम्मीद की एक किरण जगी है। गांव के 10 कुम्हारों ने गरहत लाल की अगुवाई में एक स्वयं सहायता समूह बनाया। समूह को पहले 10,000 रुपये और बाद में बेहतर प्रदर्शन के चलते ढाई लाख रुपये का कर्ज मिला। इसमें से 50 प्रतिशत राशि स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना के तहत अनुदान के तौर पर मिली। उन्होंने मिट्टी के खिलौने बनाना सीखा और आज उनका सालाना मुनाफा 3 लाख रुपये का हैं।

First Published - June 30, 2008 | 9:41 PM IST

संबंधित पोस्ट