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डेरिवेटिव संकट से बचाने के लिए केन्द्र से गुहार

Last Updated- December 06, 2022 | 12:42 AM IST

पंजाब स्थित टेक्सटाइल और स्टील फर्मो ने डेरिवेटिव संकट से राहत के लिए केंन्द्र सरकार और आरबीआई द्वारा उचित हस्तक्षेप की मांग उठाई है।


पंजाब के एपेक्स चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के पी डी शर्मा का कहना है कि लगभग तीन दर्जन से ज्यादा छोटे और मझोली फर्मे इस डेरिवेटिव संकट से प्रभावित हो रही है।


इसके अलावा इससे संबधित एक दर्जन मामले विभिन्न कोर्ट में दायर है और उसमें यह आरोप लगाया गया है कि छोटे और मंझोले फर्म इन निजी बैंको के कारण हाशिये पर चढ ग़ए है।


उन्होंने बताया कि टेक्सटाइल और स्टील फर्मो को इससे 10 से 12 करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है। उन्होंने कहा कि करेंसी डेरिवेटिव  में डॉलर, स्विस फ्रेंक और येन जैसी मुद्राएं बैंको को दी जा रही है। चैंबर ने लोक याचिका के द्वारा वित्त मंत्री पी चिंदबरम और आरबीआई के गवर्नर वाई वी रेड्डी से इन फर्मो को होने वाले घाटे से बचाने की गुहार की है।


शर्मा ने कहा कि कंरेसी डेरिवेटिव उत्पादों को बंद कर देना चाहिए। आजकल कंपनियां कंरेसी विरोधी गतिविधियों से बचने के लिए डेरिवेटिव कारोबार में हाथ आजमा रही है। इससे उनके कारोबार में बुरा प्रभाव पड़ रहा है और कई इकाइयां बंदी की कगार पर पहुंच चुकी हैं।


शर्मा ने आरोप लगाया कि डेरिवेटिव किसी अन्तर्निहित राजस्व के बिना ज्यादा कीमत प्राप्त करने की आशा के साथ बेचे जा रहे है। खरीदार कंपनियों ने लेखकों के तौर पर विकल्प तैयार किये है। लेकिन इस विकल्प पर आरबीआई द्वारा रोक लगी हुई है। इसलिए इनको सार्वजनिक तौर पर सबके सामने लाना फर्मो के लिए काफी घाटे का सौदा साबित हो रहा है। शर्मा ने कहा कि भोले-भाले ग्राहकों को कमोडिटी और कंरेसी में चलते उतार-चढ़ाव का लालच देकर बेचा जा रहा है।

First Published - April 29, 2008 | 11:00 PM IST

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