अब पुणे में घर बनाना और भी टेढ़ी खीर हो गया है। पुणे के रियल एस्टेट व्यापारियों ने रिहायशी इलाकों में घरों के निर्माण कार्य की कीमत 50 रुपये प्रति वर्गफुट से बढ़ाकर 400 रुपये प्रति वर्गफुट कर दी गई।
जमीनों की बड़ी कीमतों के पीछे इस्पात और सीमेंट के दामों में हुई बढ़ोत्तरी और पुणे नगर महापालिका (पीएमसी) द्वारा संशोधित विकास की प्रीमियम दरों का बढ़ाया जाना है।’प्रमोटर्स एंड बिल्डिंग एसोसिएसन ऑफ पुणे (पीबीएपी) के अध्यक्ष ललीतकुमार जैन ने बताया कि निर्माण कार्य में लागत के बढ़ने और पीएमसी द्वारा कर की दर में बढ़ोतरी ने हमें निर्माण कार्य में बढ़ी हुई दरों को 20 अप्रैल 2008 से ही लागू करने के लिए मजबूर कर दिया है।’
पिछले दो वर्षो में पुणे के रियल एस्टेट क्षेत्र में तेजी की स्थिति बनी हुई थी। पिछले साल पुणे के 60 लाख वर्ग फीट क्षेत्र में आईटी क्षेत्र का साम्राज्य स्थापित किया गया है। इससें लगभग 6000 हजार नए रोजगार पैदा हुए थे। इसके अलावा पुणे के औद्योगिक क्षेत्रों रंजनगांव, तालेगांव, पीरनगुट और चाकन में 25,000 हजार नए रोजगारों का सृजन हुआ।
सेवा और खुदरा क्षेत्र ने भी पिछले साल 25,000 हजार लोगों की रोजगार आवश्यकता को पूरा किया था। लेकिन इसके बावजूद शहर में 1,00,000 नए लोगों की फौज रोजगार की तलाश में शहर में जुड़ चुकी है।पुणे में पिछले साल बिल्डरों ने लगभग 35,000 हजार घरों का निर्माण किया था। जैन ने मीडिया को यह भी बताया कि पिछले दो वर्षो में रियल एस्टेट क्षेत्र में मांग व आपूर्ति में बड़ा अंतर होना, निर्माण दरों के अचानक बढ़ने का यह एक बड़ा कारण रहा।
इस्पात के दामों भी 32,000 हजार प्रति टन से बढ़कर 52,000 हजार प्रति टन हो गए और इसके साथ ही सीमेंट के दामों में भी बढोतरी लगातार जारी है। इन सबके बावजूद पीएमसी ने भी रिहायशी योजनाओं के लिए विकास और प्रीमियम दरों को 200 फीसदी से बढ़ा कर 400 फीसदी कर दिया है।पुणे के 80 फीसदी रियल एस्टेट व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था पीबीएपी ने कीमतों में हुई इस बढ़ोतरी से निबटने के लिए एक रिपोर्ट जारी की है।
रिपोर्ट में केंद्र द्वारा सीमेंट और इस्पात के दामों में कटौती करने के उपायों को सुझाना चाहिए। इसके साथ पीएमसी और पुणे जिला प्रंबधन को नागरिक बुनियादी ढांचा विकसित करने का प्रयत्न करना चाहिए। ऐसा करने से भारी संख्या में पड़े रिहायशी इलाकों को विकसित किया जा सकेगा। इसके अलावा महाराष्ट्र से मजदूरों का लगातार बढ़ता पलायन निर्माण दरों को बढ़ने का एक प्रमुख कारण है।