उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद जिले के बारा और करछना में दो अल्ट्रा मेगा बिजली परियोजना (यूएमपीपी) की स्थापना के लिए छह कंपनियों से मिली वित्तीय बोली को 11 अप्रैल को खोला जाएगा।
इन संयंत्रों की कुल उत्पादन क्षमता 3,300 मेगावाट है।राज्य सरकार बारा और करछना में क्रमश: 1,980 मेगावाट और 1,320 मेगावाट उत्पादन क्षमता वाले बिजली संयंत्रों की स्थापना कर रही है। ये दोनों संयंत्र नवीनतम प्रौद्योगिकी पर आधारित होंगे।
इससे पहले वित्तीय बोली को 5 अप्रैल को खोलना था। हालांकि, बोली के लिए दाखिल बांड्स को अधूरा पाने पर इसे टाल दिया गया था। इस महत्वपूर्ण ताप बिजली परियोजनाओं के आवंटन के लिए तकनीकी बोली और वित्तीय बोली की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। उत्तर प्रदेश बिजली निगम लिमिटेड (यूपीपीसीएल) के प्रबंध निदेशक अवनीश अवस्थी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि कुछ बोली बांड्स में अधिकृत हस्ताक्षर और अंक नहीं थे।
उन्होंने बताया कि ‘इन बोलीदाता से अपनी बोलियों में संशोधिन करने और अपना जवाब 8 अप्रैल तक दाखिल करने के लिए कहा गया। हमें उनके जवाब मिल गए हैं और अब हम संतुष्ट हैं। वित्तीय बोली को शुक्रवार को खोला जाएगा।’
उन्होंने बताया कि दोनो अल्ट्रा मेगा बिजली संयंत्रों को सार्वजनिक निजी भागीदारी के जरिए स्थापित किया जाएगा। राज्य सरकार 11वीं पंच वर्षीय योजना के दौरान बिजली उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर 10,000 मेगावाट से अधिक से अधिक करने की योजना पर काम कर रही है। बारा परियोजना के लिए चार कंपनियों ने बोली दाखिल की है। ये कंपनियां जिंदल स्टील एंड पॉवर, एनटीपीसी, लैंको इंफ्राटेक और रिलायंस पॉवर हैं।
इसके अलावा करछना परियोजना के लिए कलकत्ता इलेक्ट्रिक सप्लाई कंपनी, जिंदल स्टील एंड पॉवर, जेएसडब्ल्यू एनर्जी, रिलायंस पॉवर और लैंको इंफ्राटेक ने अपनी बोलियां दाखिल की है। इस समय उत्तर प्रदेश को अपनी बिजली मांग की कमी को पूरा करने के लिए केन्द्रीय सेक्टर और अन्य राज्यों से बिजली का आयात करना पड़ता है।
गर्मी के महीनों में उत्तर प्रदेश में बिजली की मांग और आपूर्ति का अंतर और भी बढ़ जाता है। पिछले कई वर्षो के दौरान उत्तर प्रदेश की बिजली उत्पादन क्षमता में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है जबकि इस दौरान मांग में कई गुना इजाफा हो चुका है। बिजली निगम ने बिजली कि व्यवस्था में सुधार के लिए कई आवश्यक कदम उठाए हैं।