ऐसे समय में जब बिजली की किल्लत की वजह से देश के ज्यादातर हिस्से घुप्प अंधेरे की काली चादर में सिमटे हुए हैं, पश्चिम बंगाल सरकार देश के बाकी राज्यों से मौजूदा बिजली संसाधनों का कुशल प्रबंधन करने की पेशकश कर रही है।
राज्य में बिजली वितरक के रूप में पश्चिम बंगाल राज्य बिजली नियामक आयोग मुख्य भूमिका निभा रहा है। डब्ल्यूबीएसईआरसी को हाल ही में सभी राज्यों के बिजली उत्पादन संयंत्र तथा पारेषण और वितरण नेटवर्क का ‘ऊर्जा ऑडिट’ चुना गया है। आयोग के अधिकारी ने बताया कि मौजूदा बुनियादी सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए हम लोगों ने साल 2015 तक बिजली उत्पादन को करीब 10 फीसदी बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।
आयोग के परामर्शदाता (इंजीनियरिंग) सी आर भौमिक ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हम लोग न केवल देश के पहले और एक मात्र ऊर्जा ऑडिट हैं बल्कि हम लोगों ने ऊर्जा दक्षता के लिए प्रत्येक प्लांट और लाइसेंस को साल 2015 तक बढ़ाने का लक्ष्य भी रखा है।’
टाटा ऊर्जा अनुसंधान संस्थान (टेरी) के वाई अब्बी ने बताया, ‘राज्य के मौजूदा बिजली इंफ्रास्ट्रक्चर को देखते हुए ऊर्जा दक्षता को फिलहाल 3 से 5 फीसदी बढाने की पूरी गुंजाइश है। इसके बाद राज्यों में बिजली की उपलब्धता के हिसाब से इसे 10 फीसदी तक बढ़ा दिया जाएगा।’ अब्बी टेरी के ऊर्जा परामर्शदाता हैं।