facebookmetapixel
Stocks To Watch Today: डील, डिमांड और डिफेंस ऑर्डर, आज इन शेयरों पर रहेगी बाजार की नजरघने कोहरे की मार: दिल्ली समेत पूरे उतरी क्षेत्र में 180 से अधिक उड़ानें रद्द, सैकड़ों विमान देरी से संचालितनए साल पर होटलों में अंतिम समय की बुकिंग बढ़ी, पर फूड डिलिवरी करने वाले गिग वर्कर्स के हड़ताल से दबावबांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का निधन, विदेश मंत्री एस जयशंकर ढाका जाएंगे अंतिम संस्कार मेंकमजोर गर्मी-लंबे मॉनसून के चलते 2025 में सुस्त रहा उपभोक्ता टिकाऊ सामान बाजार, पर GST कटौती से राहत‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद बदला देश का सुरक्षा सिद्धांत, अब सीधे वार के लिए भारत तैयारउम्मीदों पर सवार ग्रामीण अर्थव्यवस्था! GST राहत और बढ़ी खपत ने संवारा, आय को लेकर उम्मीदें मजबूतMapmyIndia के मैपल्स ऐप में मेट्रो, रेल व बस रूट जुड़े, पब्लिक ट्रांसपोर्ट हुआ और आसान31 दिसंबर की गिग कर्मियों की हड़ताल से क्विक कॉमर्स पर संकट, जोमैटो-स्विगी अलर्ट मोड मेंAI से बदलेगा बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग उद्योग, कैपजेमिनाई-WNS डील ने खोली नई राह

…और रोशन हो गया बंगाल

Last Updated- December 07, 2022 | 4:00 PM IST

यह पश्चिम बंगाल में सरकारी बिजली कंपनियों की त्रासदी से लेकर खुशहाली तक के सफर की कहानी है।


वामपंथी शासन वाले इस राज्य के बिजली क्षेत्र ने अभी दो साल पहले से ही लाभ कमाना शुरू किया है। इससे पहले उसकी स्थिति कुछ और ही थी। सरकार ने पिछले साल बिजली बोर्ड को वितरण कंपनी और पारेषण कंपनी में विभाजित कर दिया गया था। आज ये दोनों ही कंपनियां स्वतंत्र रूप से लाभ कमा रही हैं।

पश्चिम बंगाल राज्य बिजली वितरण कंपनी लिमिटेड (डब्लूबीएसईडीसीएल) के अध्यक्ष मलय डे ने बताया कि सबसे दिलचस्प बात यह है कि ये सारे बदलाव बिना किसी प्रदर्शन और अदालती मामलों के हुए हैं। डब्ल्यूएसईडीसीएल ने अपने पहले साल (2007-08) के परिचालन में 6,500 करोड़ रुपये की कमाई की है, जो दूरसंचार कंपनी एमटीएनएल या फिर रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ के मुकाबले अधिक है।

दीगर बात है कि कंपनी को 50 करोड़ रुपये का ही शुध्द लाभ हुआ है। डे ने बताया कि बिजली नियामक ने यह सुनिश्चित किया है कि ट्रेडिंग मुनाफे का 90 फीसदी हिस्सा उपभोक्ताओं में ही बांट दिया जाएगा और इस कारण कंपनी के पास मुनाफे का 10 प्रतिशत हिस्सा ही बच पाता है।

उन्होंने बताया कि, ‘बीते साल 760 करोड़ रुपये के संभावित लाभ को उपभोक्ताओं के बीच ही बांट दिया गया था, हालांकि इस दौरान कंपनी  सिर्फ 400 करोड़ रुपये की ही कमाई कर सकी है।’ तो आखिर इस बदलाव की असल वजह क्या है डे कहते हैं, ‘मीटर’। साल 2002 में सौ फीसदी इलेक्ट्रानिक मीटर परियोजना को शुरू किया गया था।

यह कोई पूंजी प्रधान प्रक्रिया नहीं थी। इसमें सिर्फ करीब 100 करोड़ रुपये ही अभी तक निवेश किए गए हैं। उल्लेखनीय है कि डब्लूबीएसईडीसीएल बोर्ड के 10 सदस्यों में पूर्व दूरसंचार सचिव श्यामल घोष, गेल के पूर्व अध्यक्ष प्रशांत बनर्जी, इंडियन एल्युमिनियम के पूर्व अध्यक्ष तपन मित्रा और पूर्व वाणिज्यि सचिव एस एन मेनन स्वतंत्र निदेशक के तौर पर शामिल हैं।

राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव (ऊर्जा) सुनिल मित्रा ने बताया, ‘हमारी पूरी कवायद सरकार द्वारा संचालित है।’ डे ने बताया कि अब उत्पादन पर नजर रखी जा रही है। 70 लाख उपभोक्ताओं के लिए 21,700 कर्मचारियों की व्यवस्था की गई है। दूसरे शब्दों में कहें तो एक कर्मचारी करीब 320 उपभोक्ता को सेवाएं देगा। हालांकि जो वैश्विक मानक है वह एक कर्मचारी पर 700 उपभोक्ताओं का है। बताते चलें कि तीन साल पहले एक कर्मचारी पर केवल 178 उपभोक्ता थे।

बदली फिजा

डब्ल्यूएसईडीसीएल ने बीते वित्त वर्ष के दौरान 6,500 करोड़ रुपये का परिचालन लाभ कमाया
कंपनी ने इलेक्ट्रॉनिक मीटर लगाने पर दिया विशेष जोर

First Published - August 8, 2008 | 10:01 PM IST

संबंधित पोस्ट