facebookmetapixel
Gujarat Kidney IPO की शेयर बाजार में पॉजिटिव शुरुआत, 6% प्रीमियम पर लिस्ट हुए शेयरGold silver price today: सोने-चांदी के दाम उछले, MCX पर सोना ₹1.36 लाख के करीबDelhi Weather Today: दिल्ली में कोहरे के चलते रेड अलर्ट, हवाई यात्रा और सड़क मार्ग प्रभावितNifty Outlook: 26,000 बना बड़ी रुकावट, क्या आगे बढ़ पाएगा बाजार? एनालिस्ट्स ने बताया अहम लेवलStock Market Update: शेयर बाजार की सुस्त शुरुआत, सेंसेक्स 150 अंक गिरकर खुला; निफ्टी 25900 के नीचेबांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का निधन, 80 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांसStocks To Watch Today: InterGlobe, BEL, Lupin समेत इन कंपनियों के शेयरों पर आज रहेगा फोकसYear Ender: भारत के ऊर्जा क्षेत्र के लिए 2025 चुनौतियों और उम्मीदों का मिला-जुला साल रहानवंबर में औद्योगिक उत्पादन 25 महीने में सबसे तेज बढ़ा, विनिर्माण और खनन ने दिया बढ़ावाBPCL आंध्र प्रदेश रिफाइनरी में 30-40 फीसदी हिस्सेदारी विदेशी निवेशकों को बेचेगी, निवेश पर बातचीत शुरू

सन्नाटा है क्यों पसरा एस्कॉट्र्स अस्पताल में

Last Updated- December 05, 2022 | 4:32 PM IST

मुल्क में दिल के बेहतरीन अस्पतालों में से एक गिने जाने वाले एस्कॉट्र्स हार्ट इंस्टीटयूट एंड रिसर्च सेंटर के रिसेप्शन या स्वागत कक्ष का आज कल नजारा ही बदल हुआ है।


डॉ. नरेश त्रेहन और उनकी टीम के डॉक्टरों के जाने से पहले यहां हर समय भीड़ रहा करती थी। अस्पताल का रिसेप्शन स्वागत कक्ष कम और रेलवे प्लेटफॉर्म ज्यादा लगता था। हर तरफ चहल-पहल रहा करती थी। डॉक्टर से मिलने के लिए किसी मरीज को कम से कम 2-3 घंटे तो इंतजार करना ही पड़ता था।


लेकिन आज वही रिसेप्शन बिल्कुल खामोश और शांत रहता है। यहां आप लोगों की बेहद कम संख्या को भी आप नजरअंदाज नहीं कर सकते। फोर्टिस हेल्थकेयर के मैनेजिंग डाइरेक्टर शिवेंद्र मोहन सिंह की मानें तो यह तो उनके डॉक्टरों की कार्यकुशलता है, जिसकी वजह से वहां भीड़ नहीं लगती।


फोर्टिस ने 2005 में 585 करोड़ रुपए में इस अस्पताल को एस्कॉट्र्स लिमिटेड से खरीदा था। उनका कहना है, ‘हमने अस्पताल में एक नए मैनेजमेंट सिस्टम को लागू किया है। इसी वजह से यहां अब मरीजों को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ता है।’


 वैसे, हेल्थकेयर इंडस्ट्री के लोग-बाग उनकी बात से इत्तेफाक नहीं रखते। डॉ. त्रेहन के साथ एस्कॉट्र्स को अलविदा कहने वाले डॉक्टर अकेले में कहते हैं कि,’मरीज तो अस्पताल को नहीं, डॉक्टर को पहचानता है। इसीलिए तो लोगों ने अब एस्कॉट्र्स हार्ट इंस्टीटयूट से मुंह मोड़ लिया है।’ वैसे, उनकी बात में दम भी है।


 दुनिया के बाकी हिस्सों में भी मरीजों का ज्यादा लगाव डॉक्टर के साथ होता है न कि किसी अस्पताल के साथ। इसलिए तो वह उनके पीछे-पीछे दूसरे अस्पतालों तक जाते हैं।


हेल्थकेयर सेक्टर से जुड़े एक पुराने विश्लेषक का कहना है कि, ‘आखिरकार वह तो एस्कॉट्र्स अस्पताल की कोर टीम थी। फोर्टिस के अधिग्रहण के बाद उन्हें जाना पड़ा, तो लोगों की बेरुखी को देख बुरा नहीं लगना चाहिए।’शिवेंद्र मोहन सिंह का कहना है, ‘यह बात को सच है कि बीच में हमारे पास आने वाले मरीजों की तादाद घटी थी।


लेकिन आज की तारीख में हम काफी अच्छा कारोबार कर रहे हैं। आज हमारे अस्पताल के 80 फीसदी से ज्यादा कमरे भरे हुए हैं। हमने अपनी मैनेजमेंट पॉलिसी में बदलाव किए हैं, इस हमें उम्मीद हैं कि आने वाले महीनों में हमारे पास और भी ज्यादा मरीज आएंगे। दूसरी तरफ, अस्पताल की मरम्मत में भी जुट हुए हैं।


इससे हमारे पास बेड्स की तादाद 250 से बढ़कर 330 हो जाएगी।’ इस बीच फोर्टिस ने इस नामी अस्पताल में दूसरी सुविधाएं भी जोड़ने का फैसला किया है। सिंह के आलोचक इसे लोगों को लुभाने की एक नई कोशिश मानते हैं।


वहीं, खुद सिंह इसे अस्पताल के विकास बारे में असल रणनीति बताते हैं। उन्होंने कहा कि,’हम दिल की बीमारियों के इलाज की खासियत से अपना ध्यान नहीं हटा रहे हैं। हम तो यहां दूसरी बीमारियों के इलाज की सुविधा दे रहे हैं।


इससे हमारी कार्यकुशलता में इजाफा होगा। साथ ही, हम लोगों को बेहतर सुविधाएं भी मुहैया कराएंगे।’इसलिए तो कभी खास तौर दिल के बीमारों पर फोकस रखने वाले एस्कॉट्र्स हार्ट इंस्टीटयूट के ओपीडी में अब दूसरी बीमारियों का इलाज करने वाले डॉक्टर भी बैंठेगें। सिंह का कहना है कि,’ दिल के मरीजों को अक्सर कई और भी समस्याएं होती हैं। हमने जब इस अस्पताल को खरीदा था, तब यहां दूसरी समस्याओं का इलाज नहीं होता था।


 हम अपनी रणनीति के तहत अपने ओपीडी को मल्टी स्पेशलिटी ओपीडी में तब्दील कर रहे हैं। साथ ही, अब हृदय रोग से अलावा दूसरे रोगों से त्रस्त मरीज भी अस्पताल में मौजूद रोबॉट से इलाज की सुविधा ले पाएंगे। हम मरीजों के बीच अपनी वैल्यू को बढ़ाने के लिए हम संभव कदम उठाएंगे।’ वैसे, उनके आलोचक इसे अपने अस्तित्व को बचाए रखने की लड़ाई मान रहे हैं।

First Published - March 12, 2008 | 9:39 PM IST

संबंधित पोस्ट