facebookmetapixel
Gold, Silver price today: सोने का वायदा भाव ₹1,09,000 के आल टाइम हाई पर, चांदी भी चमकीUPITS-2025: प्रधानमंत्री मोदी करेंगे यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो 2025 का उद्घाटन, रूस बना पार्टनर कंट्रीGST कट के बाद ₹9,000 तक जा सकता है भाव, मोतीलाल ओसवाल ने इन दो शेयरों पर दी BUY रेटिंग₹21,000 करोड़ टेंडर से इस Railway Stock पर ब्रोकरेज बुलिशStock Market Opening: Sensex 300 अंक की तेजी के साथ 81,000 पार, Nifty 24,850 पर स्थिर; Infosys 3% चढ़ानेपाल में Gen-Z आंदोलन हुआ खत्म, सरकार ने सोशल मीडिया पर से हटाया बैनLIC की इस एक पॉलिसी में पूरे परिवार की हेल्थ और फाइनेंशियल सुरक्षा, जानिए कैसेStocks To Watch Today: Infosys, Vedanta, IRB Infra समेत इन स्टॉक्स पर आज करें फोकससुप्रीम कोर्ट ने कहा: बिहार में मतदाता सूची SIR में आधार को 12वें दस्तावेज के रूप में करें शामिलउत्तर प्रदेश में पहली बार ट्रांसमिशन चार्ज प्रति मेगावॉट/माह तय, ओपन एक्सेस उपभोक्ता को 26 पैसे/यूनिट देंगे

देश में बेरोजगारी दर दिसंबर में और बढ़ी

Last Updated- December 22, 2022 | 9:17 PM IST
unemployment

भारत में बेरोजगारी दर बढ़ रही है। लॉकडाउन के झटके के बाद बेरोजगारी दर लगातार 6 से 8 फीसदी के बीच बनी हुई है। नवंबर में बेरोजगारी दर अब तक की अधिकतम 8 फीसदी पर पहुंच गई। इसके पहले अक्टूबर में भी यह अधिकतम के काफी करीब 7.8 फीसदी पर पहुंच गई थी। दिसंबर 2022 के लिए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि बेरोजगारी दर अधिकतम सीमा को भी पार कर जाएगी। ये आंकड़े लॉकडाउन के दौरान और उसके बाद के हैं।

दिसंबर माह के बीते सभी तीन हफ्तों में बेरोजगारी दर 8 फीसदी से भी अधिक रही है। दिसंबर के पहले सप्ताह यानी 4 दिसंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक बेरोजगारी दर 8.4 फीसदी रही। दूसरे सप्ताह में यह और भी बढ़कर 9.4 फीसदी पहुंच गई। हालांकि तीसरे सप्ताह में थोड़ा सुधार हुआ और यह दर थोड़ी खिसककर 8.9 फीसदी पर आ गई। साप्ताहिक बेरोजगारी दर से यह संकेत मिल रहा है कि चारों सप्ताह की औसतन बेरोजगारी दर में कोई सुधार आने की उम्मीद नहीं है। साप्ताहिक दरें कुछ हद तक और डराने वाली हैं।

​इन चार हफ्तों के मूविंग एवरेज से यह पता चलता है कि अक्टूबर के बाद से बेरोजगारी दर लगातार बढ़ती जा रही है। चार हफ्तों के मूविंग एवरेज को अगर देखा जाए तो अब तक सबसे कम बेरोजगारी दर सितंबर माह में देखी गई। 25 सितंबर को समाप्त हुई चार हफ्तों की बेरोजगारी दर 6.1 फीसदी पर आ गई थी। अब, 18 दिसंबर को समाप्त हुए सप्ताह में चार-सप्ताह का मूविंग एवरेज हाल के समय के अपने उच्चतम स्तर 8.6 फीसदी पर पहुंच गया।

यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि यह बढ़ती दर किस गति से जारी रहेगी। इसलिए यह दावा नहीं किया जा सकता कि आने वाले दिनों में बेरोजगारी दर की स्थिति और बिगड़ सकती है। हालांकि, यह थोड़ा चिंताजनक है कि बेरोजगारी दर में हालिया वृद्धि को लेकर इसका आंकड़ा नहीं है कि कितने लोग कृषि पर निर्भर हैं जो खेती के मौसम के अनुरूप रोजगार पाते हैं। अगर ऐसा होता, तो शीघ्र सुधार की अपेक्षा हो सकती थी। लेकिन, कृषि को वर्तमान में बिगड़ती बेरोजगारी दर के लिए कोई बहाना नहीं बनाया जा सकता।

रबी की फसल की कटाई अभी बेहतर स्थिति में चल रही है। 16 दिसंबर, 2022 तक के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 91 फीसदी क्षेत्रों में रबी फसल की बोआई इस बार की गई है। जबकि, इसके पहले के दो वर्षों में बोआई की दर 88 फीसदी थी। और इसके और पहले के दो वर्षों का आंकड़ा देखें तो बोआई और भी कम थी। इसलिए, कृषि बेरोजगारी को लेकर कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। जबकि देखा जाए तो ग्रामीण भारत में भी बेरोजगारी बढ़ गई है। 18 दिसंबर को खत्म हुए दिसंबर के तीसरे सप्ताह में औसत बेरोजगारी दर 8.4 पर पहुंच गई, जबकि नवंबर 2022 में यह दर 7.6 फीसदी पर थी।

दिलचस्प बात यह है कि जहां ग्रामीण बेरोजगारी दर अधिक है, वहीं ग्रामीण रोजगार दर भी अधिक है। ग्रामीण रोजगार दर का मतलब यह है कि ग्रामीण भारत पहले की तुलना में अधिक रोजगार पैदा कर रहा है, फिर भी पर्याप्त रोजगार प्रदान करने में सक्षम नहीं है। 18 दिसंबर तक ग्रामीण भारत में रोजगार दर 39 फीसदी थी। दिसंबर के पहले तीन हफ्तों में औसत रोजगार दर 38.6 फीसदी थी। ये अनुमान नवंबर 2022 में दर्ज ग्रामीण भारत में 37.5 फीसदी रोजगार दर के साथ बहुत अच्छी तरह से तुलना करते हैं। इसलिए कृषि सहित ग्रामीण भारत नवंबर की तुलना में बहुत अधिक लोगों को रोजगार दे रहा है। लेकिन, यह बढ़ती श्रम भागीदारी दर (एलपीआर) की मांग पूरी करने के लिए पर्याप्त नहीं है, जो नवंबर में 40.4 फीसदी से बढ़कर दिसंबर 2022 के पहले तीन हफ्तों में 42.2 फीसदी हो गई है।

भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में दिसंबर के पहले तीन सप्ताह के दौरान बेरोजगारी दर 8.4 फीसदी रही, जबकि शहरी इलाकों में इसी अवधि के दौरान 10 फीसदी की बेरोजगारी दर देखी गई। इससे यह पता चलता है कि ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी दर शहरी इलाकों से काफी कम है। शहरी भारत ने नवंबर 2022 में 9 फीसदी की बेरोजगारी दर दर्ज की थी। इसने पिछले एक वर्ष में तीन बार 9 फीसदी से अधिक की बेरोजगारी दर देखी है, लेकिन इसने जून 2021 के दूसरे लॉकडाउन के बाद से 10 फीसदी या उससे अधिक की बेरोजगारी दर नहीं देखी है। हालांकि अभी यह उम्मीद कम है कि दिसंबर में बेरोजगारी दर 10 फीसदी को पार कर जाए, लेकिन यह इस आंकड़े के काफी करीब होगी।

18 दिसंबर को खत्म हुए सप्ताह में बेरोजगारी दर रिकॉर्ड 10.9 फीसदी पर दर्ज की गई। इसके पहले के दो हफ्तों में क्रमश: 9.2 फीसदी और 9.7 फीसदी की बेरोजगारी दर देखी गई। लेकिन यह भी नवंबर के 9 फीसदी की दर से अधिक है। ग्रामीण भारत के जैसे ही शहरी भारत में भी रोजगार में बढ़ोतरी हो रही है। दिसंबर 2022 के पहले तीन सप्ताह में, औसत रोजगार दर 34.6 फीसदी थी, जबकि नवंबर 2022 में यह दर 34.4 फीसदी थी। यह बहुत बड़ी बढ़ोतरी नहीं है लेकिन अगर दिसंबर के अंत तक शहरी क्षेत्रों की रोजगार दर 34.6 फीसदी के करीब दर्ज की जाती है तो यह चौथा महीना होगा जब शहरी रोजगार दर में लगातार बढ़ोतरी हुई हो।

एलपीआर में तेजी से वृद्धि हुई है। 11 दिसंबर को समाप्त सप्ताह में 39 फीसदी की दर पर वृद्धि दर्ज की गई। इसके अगले सप्ताह यानी 18 दिसंबर को समाप्त हुए सप्ताह में यह दर बढ़कर 38.8 फीसदी हो गई। शहरी एलपीआर नवंबर 2022 के मध्य से काफी अधिक रहा है। 20 नवंबर को समाप्त सप्ताह के बाद से औसत साप्ताहिक शहरी एलपीआर 38.4 फीसदी पर है। यह 2020 के मध्य के बाद से देखे गए स्तरों से बहुत अधिक है। साप्ताहिक आंकड़ों से पता चलता है कि दोनों शहरी और ग्रामीण इलाकों में एलपीआर में बढ़ोतरी हो रही है। हालांकि, रोजगार दर में वृद्धि मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है और इसलिए भारत में बढ़ती बेरोजगारी दर देखी जा रही है।

(लेखक सीएमआईई प्रा. लि. के एमडी और सीईओ हैं)

First Published - December 22, 2022 | 9:17 PM IST

संबंधित पोस्ट