दिसंबर में फिसलने के बाद जनवरी में उपभोक्ताओं की धारणा में सुधार के संकेत मिल रहे हैं। लगातार पांच महीनों तक चढऩे के बाद दिसंबर 2021 में उपभोक्ता सूचकांक नीचे लुढ़क गया था और 57.6 (सितंबर-दिसंबर 2015 के 100 के आधार पर) तक सिमट कर रह गया था। इससे पहले यह जून में दर्ज 47.7 से बढ़कर नवंबर में 60.3 के स्तर पर पहुंच गया था। कोविड-19 महामारी की वजह से लगाई गई पाबंदियों के बाद अप्रैल 2020 में कमजोर होने के बाद नवंबर में दर्ज 60.3 स्तर सूचकांक का सबसे मजबूत प्रदर्शन था। इसके बाद यह जून से नवंबर 2021 के बीच 26.4 प्रतिशत की मजबूत दर से आगे बढ़ा था। दिसंबर में सूचकांक में आई गिरावट चौंकाने वाली थी। दिसंबर में सूचकांक में 4.5 प्रतिशत की तेज गिरावट आई थी।
हालांकि जनवरी में 9, 16 और 23 तारीख को समाप्त हुए सप्ताहों में उपभोक्ता धारणा सूचकांक औसतन 59.9 के स्तर पर रहा है। फिर 23 जनवरी, 2022 को उपभोक्ता धारणा सूचकांक का 30 दिनों का मूविंग एवरजेज 61 पर पहुंच गया। यह आंकड़ा नवंबर में दर्ज स्तर से भी आगे निकल गया है। इन आंकड़ों से सूचकांक में सुधार जारी रहने के संकेत मिल रहे हैं। मगर सुधार की दर लचर दिख रही है। साप्ताहिक सूचकांक दर्शाते हैं कि उपभोक्ता धारणा दिसंबर के शुरू में कमजोर हो गई थी और उस महीने चारों सप्प्ताहों के दौरान यह निचले स्तर पर रही। हालांकि 2 जनवरी को समाप्त हुए सप्ताह में पहली बार इन साप्ताहिक सूचकांकों में सुधार दिखा। यह इस बात का संकेत है कि दिसंबर के अंत से ही सुधार दिखना शुरू हो गया था और उसके बाद जनवरी में भी यह सिलसिला जारी रहा।
जनवरी के शुरुआती आंकड़े लचर इसलिए कहे जा सकते हैं क्योंकि 2 जनवरी को समाप्त सप्ताह के दौरान 6.9 प्रतिशत तेजी के बाद साप्ताहिक वृद्धि दर अगले सप्ताह कम होकर 2.1 प्रतिशत रह गई और बाद के सप्प्ताहों में इसमें 3 प्रतिशत की गिरावट आ गई। 23 जनवरी को समाप्त सप्ताह में साप्ताहिक सूचकांक 4.9 प्रतिशत उछल गया। इस सप्ताह सूचकांक 61.2 के स्तर पर पहुंच गया। मगर जनवरी में हरेक सप्ताह दर्ज उतार-चढ़ाव से अनिश्चितता का संकेत दे रहे हैं।
जनवरी में उपभोक्ता धारणा सूचकांक दिसंबर के 57.6 का स्तर पार कर जाने की उम्मीद है। यह भी हो सकता है कि यह नवंबर में दर्ज 60.3 के स्तर से भी आगे निकल जाए। मगर जून से नवंबर के दौरान दर्ज रुझानों के अनुरूप अनुामनित स्तर को पार करना इसके लिए मुश्किल हो सकता है। दूसरे शब्दों में कहें तो 61 से अधिक का स्तर पार करना शायद संभव नहीं हो पाए। कोविड-19 महामारी से पूर्व दर्ज करीब 108 का स्तर पार करने के लिए सूचकांक को खासा जोर लगाना पड़ेगा और इसमें अधिक समय भी लग सकता है। उपभोक्ता धारणा सूचकांक दर्शाता है कि परिवार अपनी मौजूदा आर्थिक स्थिति और भविष्य की संभावनाओं को लेकर क्या सोचते हैं। पंरपरागत तौर पर भारत में उपभोक्ता अपेक्षा सूचकांक वर्तमान आर्थिक हालात सूचकांक से अधिक रहा है। यह संकेत देता है कि भारत में लोग आम तौर पर अधिक सकारात्मक होते हैं और भविष्य को लेकर भी आशान्वित रहते हैं। शायद मौजूदा परिस्थितियों की तुलना में उपभोक्ता अपेक्षा सूचकांक का अधिक स्तर दो बातों भविष्य को लेकर बेहतर उम्मीद और वर्तमान रहन-सहन से असंतुष्टि को दर्शाता है।
मौजूदा रहन-सहन को लेकर असंतुष्टि इसलिए थी क्योंकि वर्तमान आर्थिक हालात सूचकांक की तुलना में उपभोक्ता अपेक्षा सूचकांक कोविड-19 महामारी के दौरान कई गुना बढ़ गया। मार्च 2018 और मार्च 2020 के दौरान औसतन उपभोक्ता अपेक्षा सूचकांक वर्तमान आर्थिक हालात सूचकांक से 0.94 प्रतिशत अधिक था। दोनों सूचकांकों के बीच अंतर का दायरा -2 प्रतिशत से लेकर 2.8 प्रतिशत के बीच था। अप्रैल 2020 और दिसंबर 2021 के बीच उपभोक्ता धारणा सूचकांक वर्तमान आर्थिक हालात सूचकांक से औसतन 11.04 प्रतिशत अधिक रहा था। इन दोनों सूचकांकों में अंतर का दायरा 7 प्रतिशत से 20 प्रतिशत था। आखिर ऐसी क्या वजह रही होगी जिससे परिवारों ने अधिक जोखिम एवं अनिश्चितता के वर्तमान समय में भी भविष्य को लेकर तुलनात्मक रूप से अधिक उम्मीद जताई है?
संभवत: लोगों के रहन-सहन का स्तर कोविड महामारी के दौरान इतना नीचे चल गया कि वे यह मानने के लिए तैयार नहीं थे कि भविष्य में उनकी हालत इससे भी खराब हो सकती है। हां, भविष्य को लेकर उम्मीदें तर्क पर आधारित नहीं थी और लोगों को लगा कि उनकी स्थिति अब और बदतर नहीं होगी।
जनवरी के शुरुआती नतीजे दर्शाते हैं कि वर्तमान आर्थिक हालात सूचकांक सुधार को दम दे रहा है। यह एक सकारात्मक संकेत है। जनवरी के पहले तीन सप्ताहों के लिए सूचकांकों का औसत प्रदर्शन संकेत देता है कि दिसंबर 2021 की तुलना में जनवरी 2022 में उपभोक्ता सूचकांक 3.9 प्रतिशत दर से चढ़ेगा। वर्तमान आर्थिक हालात सूचकांक 6.3 प्रतिशत चढ़ा है और उपभोक्ता अपेक्षा सूचकांक 2.5 प्रतिशत के संतोषजनक दर से आगे बढ़ा है। इसके बावजूद उपभोक्ता अपेक्षा सूचकांक 60.9 के स्तर के साथ वर्तमान आर्थिक हालात सूचकांक (58.2) की तुलना में अधिक है। वर्तमान आर्थिक हालात में तेजी से सुधार और भविष्य को लेकर अधिक सकारात्मक रहना एक अच्छा संकेत है। मगर और अधिक तेज गति से सुधार और भविष्य को लेकर थोड़ा और सकारात्मक रवैया रखने की जरूरत है।
(लेखक सीएमआईई के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी हैं)