वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने महामारी से जूझ रही अर्थव्यवस्था की मदद के लिए नए उपायों की घोषणा की है। ये घोषणाएं ऐसे समय पर की गई हैं जब उच्च तीव्रता वाले तमाम संकेतक आर्थिक सुधार के संकेत दर्शा रहे हैं और विश्लेषक अपने अनुमानों में संशोधन कर रहे हैं। उदाहरण के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के अध्ययन के अनुसार यदि सुधार बरकरार रहा तो भारतीय अर्थव्यवस्था वर्ष की तीसरी तिमाही में ही संकुचन से बाहर आ जाएगी। अक्टूबर की मौद्रिक नीति समिति ने इसके चौथी तिमाही में संकुचन से बाहर निकलने का अनुमान जताया था। मूडीज ने भी पूरे वर्ष के दौरान आर्थिक गतिविधियों में आने वाली कमी के अनुमान को संशोधित किया है। त्योहारी मांग के अलावा कोविड के मामलों में आ रही कमी ने भी रुझानों को मजबूत किया है। हालांकि दिल्ली में कोविड की स्थिति अभी भी चिंताजनक है, परंतु सच तो यही है कि चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में काफी धीमापन आएगा और इसे नीतिगत सहायता की आवश्यकता भी होगी। आत्मनिर्भर भारत को लेकर तीसरा पैकेज और 10 अहम क्षेत्रों के लिए उत्पादन संबंधी प्रोत्साहन योजना इस सिलसिले में आवश्यक थे क्योंकि इससे विनिर्माण उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी।
सरकार ने अपनी कुछ पिछली घोषणाओं की स्थिति की जांच करके भी अच्छा किया है। मिसाल के तौर पर 28 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पोर्टेबल राशन कार्ड योजना के अधीन लाया जा चुका है। बिजली वितरण कंपनियों को एक लाख करोड़ रुपये मूल्य की नकदी प्रदान की जा चुकी है। अन्य नए उपायों में सरकार संगठित क्षेत्र में एक तय स्तर से कम वेतन वाले रोजगार सृजित करने में मदद करेगी। उसने कामत समिति द्वारा चिह्नित संकटग्रस्त क्षेत्रों में कंपनियों की मदद के लिए ऋण गारंटी योजना का विस्तार किया है। हालांकि यह सशर्त होगा। इससे उन क्षेत्रों की कंपनियों को मदद मिलेगी जो कोविड संबंधी कठिनाइयों से जूझ रही हैं। इस योजना की अवधि पांच वर्ष होगी और इसमें मूलधन के पुनर्भुगतान पर एक वर्ष का ऋण स्थगन शामिल है।
दूसरा महत्त्वपूर्ण हस्तक्षेप अचल संपत्ति क्षेत्र में किया गया। सरकार शहरी क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए 18,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि मुहैया कराएगी। इससे इस क्षेत्र में स्थिरता आएगी। सरकारी अनुमानों के मुताबिक इससे 78 लाख रोजगार तैयार होंगे। सरकार आयकर अधिनियम में संशोधन कर ऐसे मामलों में राहत प्रदान करेगी जहां लेनदेन सर्किल दर से नीचे हुआ हो। अंतर को 10 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी किया जाएगा। यह बात अहम है क्योंकि आर्थिक मंदी के चलते अचल संपत्ति कीमतों में काफी कमी आ गई है। यह कमी स्थानीय सरकारों द्वारा तय सर्किल दर में परिलक्षित नहीं हुई। माना जाना चाहिए कि इससे देश में अनबिके मकानों की तादाद कम होगी। अन्य घोषणाओं के अनुसार सरकार राष्ट्रीय निवेश एवं बुनियादी ढांचा फंड में इक्विटी डालेगी। इससे फंड बढ़ाने और मध्यम अवधि में बुनियादी ढांचा योजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने में मदद मिलेगी। सरकार पीएम गरीब कल्याण रोजगार योजना के लिए 10,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि मुहैया कराएगी। इसका इस्तेमाल महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत रोजगार देने में किया जाएगा। ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना इस वर्ष कारगर रही है और इसने देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान घरों को लौटे प्रवासी श्रमिकों को जरूरी सहायता मुहैया कराई। सरकार ने पहले इस योजना के आवंटन में 40,000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की थी। कुल मिलाकर सरकार ने वित्तीय गतिरोध के बावजूद आर्थिक गतिविधियों की मदद की गुंजाइश निकालकर अच्छा किया है। कुछ टीकाकारों ने व्यय में भारी इजाफा करने या कर कटौती का सुझाव दिया था लेकिन भारत के लिए वह जोखिम भरा हो सकता था।
