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मीडिया-मनोरंजन जगत के मानचित्र का नये सिरे से रेखांकन जारी

Last Updated- December 12, 2022 | 12:33 AM IST

हाल ही में देश की दो बड़ी प्रसारण कंपनियों सोनी और ज़ी ने ऐसे सौदे पर हस्ताक्षर किए जिसे देश के सबसे बड़े मीडिया सौदों में से एक कहा जा सकता है। यदि सबकुछ ठीकठाक रहा तो सोनी-ज़ी एक संयुक्त कंपनी बन जाएगी जिसके पास टेलीविजन दर्शकों की 28 फीसदी हिस्सेदारी, 14,000 करोड़ रुपये का राजस्व और फिल्म तथा ओटीटी कारोबार में अच्छी खासी हिस्सेदारी होगी। यदि दोनों कंपनियों का विलय होता है तो सोनी जो 82.5 अरब डॉलर के विशाल साम्राज्य का हिस्सा है, वह नई कंपनी में 1.57 अरब डॉलर का निवेश करेगी। यानी तकनीक (स्ट्रीमिंग) और सामग्री (खेल, फिल्म और अन्य सामग्री) में ढेर सारा निवेश।
इस सौदे के बाद वायकाम 18, सन और डिज्नी-स्टार को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा। वे क्या खरीदते हैं, किसके साथ समझौता करते हैं और इससे देश का 1.3 लाख करोड़ रुपये का भारतीय मीडिया और मनोरंजन बाजार क्या आकार लेता है, इस पर हम जैसे विश्लेषकों और संवाददाताओं की नजर रहेगी।
प्रश्न यह है कि क्या भारतीय मीडिया जगत के मानचित्र इस सौदे के साथ नया रूप ले रहा है? सिंगापुर की कंपनी मीडिया पार्टनर्स एशिया के कार्यकारी निदेशक विवेक कूटो का मानना है कि इसकी शुरुआत रुपर्ट मर्डोक के साथ हुई। वह कहते हैं कि 2017 में जब मर्डोक ने फॉक्स को डिज्नी के हाथों बेचने की प्रक्रिया शुरू की थी तो उन्होंने ऐसी घटनाओं का सिलसिला आरंभ किया जिनकी बदौलत वैश्विक मीडिया परिदृश्य में बदलाव शुरू हुआ। चूंकि स्टार का स्वामित्व फॉक्स के पास था इसलिए भारत पर इसका असर महसूस किया जा रहा है। विकसित देशों में प्रसारण कंपनियां विलय अथवा अधिग्रहण के जरिये सुदृढ़ीकरण कर रही हैं ताकि अपना पैमाना बढ़ा सकें। उनकी कोशिश गूगल, फेसबुक, ऐपल जैसी बड़ी टेक-मीडिया कंपनियों से मुकाबला करने की है। ये कंपनियां मीडिया और मनोरंजन जगत में तेजी से रसूख  बढ़ा रही हैं।
यहां मैं कूटो से सहमत नहीं हूं।  मेरा मानना है कि इसकी शुरुआत नेटफ्लिक्स के साथ हुई। उस वक्तनहीं जब सन 1990 के दशक में वह डीवीडी किराये पर देती थी। तब भी नहीं जब 2010 में उसने स्ट्रीमिंग की शुरुआत की। इसका आरंभ 2013 में हुआ जब इसने अपना पहला मूल कार्यक्रम हाउस ऑफ काड्र्स पेश किया।  यह कार्यक्रम केवल सफल नहीं रहा बल्कि इसने ऐसा कारोबार खड़ा किया जिसमें नेटफ्लिक्स मानक है। ऐसा उपभोक्ता अनुभव और राजस्व दोनों मोर्चों पर हुआ। करीब 25 अरब डॉलर के राजस्व और करीब 21 करोड़ सबस्क्राइबर के साथ यह दुनिया की सबसे बड़ी भुगतान आधारित ओटीटी है। ऑस्कर्स, गोल्डन ग्लोब अथवा अन्य अवार्ड में नेटफ्लिक्स के शो और फिल्में तमाम श्रेणियों में विजेता रही हैं। सबसे बढिय़ा प्रतिभाएं नेटफ्लिक्स के पास जाती हैं क्योंकि वह रचनात्मक आजादी, पैसा और दर्शक सब प्रदान करता है। नेटफ्लिक्स का उभार हुआ और उसी समय ऐपल ने टेलीविजन जगत में कदम रखा, एमेजॉन प्राइम वीडियो ने शो पर पैसे लगाने शुरू किए और गूगल तथा फेसबुक ने दर्शक अपने साथ जोड़े। फॉक्स, डिज्नी, वायकॉम जैसे बड़े स्टूडियो को भी महसूस हुआ कि परिदृश्य बदल रहा है।
प्रकाशन और संगीत की तरह फिल्म और टेलीविजन जगत में भी नई कंपनियों का दबदबा होगा। इनमें ऐपल (1.5 अरब उपयोगकर्ता, 274 अरब डॉलर राजस्व), अल्फाबेट (गूगल और यूट्यूब की मूल कंपनी, कुल 4 अरब उपयोगकर्ता और 183 अरब डॉलर राजस्व), फेसबुक (2.8 अरब उपयोगकर्ता, 86 अरब डॉलर राजस्व) और एमेजॉन (386 अरब डॉलर राजस्व) शामिल हैं। यदि स्टूडियो और बड़ी प्रसारण कंपनियों को एक साथ बैठकर बेहतरीन सामग्री और तकनीक के लिए बोली लगानी थीं तो उन्हें अपना काम का पैमाना बढ़ाना था। तभी सुदृढ़ीकरण की शुरुआत हुई। मर्डोक बिक्री करने वाले पहले व्यक्ति साबित हुए।
जब मर्डोक डिज्नी के साथ सौदेबाजी कर रहे थे तब ज़ी में बदलाव आया क्योंकि उसकी होल्डिंग कंपनी एस्सेल समूह पर भारी कर्ज था। आज प्रवर्तक सुभाष चंद्र और उनके परिवार के पास उस कंपनी के केवल 4 फीसदी शेयर हैं जो उन्होंने खुद बनाई थी। ज़ी के पास हिंदी, मराठी, तमिल, बांग्ला और अन्य भारतीय भाषाओं में भारी तादाद में दर्शक हैं। यह एक ऐसी परिसंपत्ति है जो लाभदायक साबित होगी।
मनोरंजक वीडियो क्षेत्र में दबदबे की लड़ाई डिज्नी-स्टार (60 अरब डॉलर की द वॉल्ट डिज्नी कंपनी का हिस्सा), जियो (92 अरब डॉलर के रिलायंस इंडस्ट्रीज के स्वामित्व वाली), 13 अरब डॉलर वाली दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल, गूगल के यूट्यूब, नेटफ्लिक्स, एमेजॉन प्राइम वीडियो तथा कुछ अन्य कंपनियों के बीच होगी। 10,000 करोड़ रुपये से कम आकार वाला हर प्रसारक साझेदार तलाश रहा है। ऐसे में बची कंपनियों में अनेक को बाजार में बचे रहने के लिए विलय करना होगा।
कलानिधि मारन का सन नेटवर्क क्या करेगा इसे लेकर पहले ही चर्चा चालू है। ज़ी की तरह 3,800 करोड़ रुपये का सन भी मुनाफे की दृष्टि से अच्छी स्थिति में है। टीवी दर्शकों में उसकी हिस्सेदारी 10 प्रतिशत है। सभी भाषाओं, भौगोलिक क्षेत्रों और शैलियों में सन टीवी भारत में सबसे अधिक देखा जाने वाला चैनल है। यह सोनी-ज़ी के साथ जाएगा या वायकॉम 18 के साथ यह देखना होगा।  एक समय ऐसा भी था जब सोनी और सन के विलय की चर्चा थी। दूसरी ओर वायकॉम 18 रिलायंस की कंपनी है और वह प्रतीक्षा कर सकती है। फिलहाल तो यह सिलसिला जारी रहेगा।

First Published - October 3, 2021 | 11:26 PM IST

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