facebookmetapixel
Jaiprakash Associates को खरीदने की दौड़ में Adani ग्रुप सबसे आगे, Vedant को पछाड़ा!अगले पांच साल में डिफेंस कंपनियां R&D पर करेंगी ₹32,766 करोड़ का निवेश, रक्षा उत्पादन में आएगी तेजीEPFO Enrolment Scheme 2025: कामगारों के लिए इसका क्या फायदा होगा? आसान भाषा में समझेंउत्तर प्रदेश में MSMEs और स्टार्टअप्स को चाहिए क्वालिटी सर्टिफिकेशन और कौशल विकासRapido की नजर शेयर बाजार पर, 2026 के अंत तक IPO लाने की शुरू कर सकती है तैयारीरेलवे के यात्री दें ध्यान! अब सुबह 8 से 10 बजे के बीच बिना आधार वेरिफिकेशन नहीं होगी टिकट बुकिंग!Gold Outlook: क्या अभी और सस्ता होगा सोना? अमेरिका और चीन के आर्थिक आंकड़ों पर रहेंगी नजरेंSIP 15×15×15 Strategy: ₹15,000 मंथली निवेश से 15 साल में बनाएं ₹1 करोड़ का फंडSBI Scheme: बस ₹250 में शुरू करें निवेश, 30 साल में बन जाएंगे ‘लखपति’! जानें स्कीम की डीटेलDividend Stocks: 80% का डिविडेंड! Q2 में जबरदस्त कमाई के बाद सरकारी कंपनी का तोहफा, रिकॉर्ड डेट फिक्स

केरल में कमल खिला पाएंगे राजीव चंद्रशेखर!

नई जिम्मेदारी के लिए सम्मानित होते चंद्रशेखर की जो तस्वीरें आईं, उनमें वह नीले कुर्ते में दिख रहे थे और उनकी जेब पर उड़ता पक्षी काढ़ा गया था।

Last Updated- March 28, 2025 | 10:42 PM IST
BJP
प्रतीकात्मक तस्वीर

मलयालम पर उनकी खास पकड़ नहीं है। कई मशहूर और दिग्गज वक्ताओं वाले राज्य केरल में उन्हें प्रभावशाली वक्ता भी नहीं माना जाता। केरल में उन्होंने ज्यादा वक्त भी नहीं बिताया है। लेकिन राजीव चंद्रशेखर को हाल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की केरल इकाई का प्रमुख नियुक्त किया गया है। उनकी नियुक्ति यह सोचकर की गई है कि उन्हें खतरा नहीं माना जाएगा और वे पार्टी की गुटबाजी वाली इकाई को एकजुट कर देंगे।

नई जिम्मेदारी के लिए सम्मानित होते चंद्रशेखर की जो तस्वीरें आईं, उनमें वह नीले कुर्ते में दिख रहे थे और उनकी जेब पर उड़ता पक्षी काढ़ा गया था बिल्कुल वैसा ही, जैसा भारतीय वायु सेना का प्रतीक उड़ता हुआ गरुड़ है। असल में चंद्रशेखर खुद को फौजी का बेटा कहते हैं, जो अहमदाबाद में जन्मे और देश भर की छावनियों जैसे लद्दाख, जोरहाट और दिल्ली में पले-बढ़े। उनके पिता एयर कमोडोर एमके चंद्रशेखर का वायु सेना में बहुत सम्मान था। शुरुआत से ही वायु सेना के संपर्क में आने के कारण उनके भीतर फौजियों जैसा मिजाज घर कर गया। इसी कारण उन्होंने रक्षा सेवाओं का लगातार पक्ष लिया चाहे पूर्व रक्षा मंत्री स्वर्गीय मनोहर पर्रिकर के साथ वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) के साथ गहन चर्चा हो या चिकित्सा कोर में नर्सों के लिए बेहतर सुविधाओं जैसी छोटी सी बात हो।

1940 के दशक का एक डकोटा डीसी-3 विमान ब्रिटेन में कबाड़ में जाने वाला था मगर वह उसे खरीदकर भारत लाए और उसे उड़ने लायक बनाकर 2018 में वायु सेना को उपहरा में दे दिया। चंद्रशेखर कहते हैं कि यह बात उनसे बरदाश्त नहीं हो रही थी कि बांग्लादेश मुक्ति संघर्ष में भारत की सेवा करने वाला विमान कबाड़ में बिक जाए।

चंद्रशेखर अपने पिता की तरह सेना में जाते तब उनका जीवन बेहद अलग होता। मगर उन्होंने मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में इलेक्ट्रिकल इंजीनियर की पढ़ाई का फैसला किया और 1984 में स्नातकोत्तर डिग्री के लिए अमेरिका चले गए। उन्होंने डिग्री नौ महीने में ही पूरी कर ली और उन पर विनोद धाम की नजर पड़ गई। वह बताते हैं कि धाम की वजह से ही वह इंटेल पहुंच गए, जहां उनके अलावा केवल दो इंजीनियर सीपीयू बनाते थे और अगली पीढ़ी के चिप्स पर काम कर रहे थे। इंटेल का कोई भी 486 प्रोसेसर उठा लीजिए उस पर राजीव चंद्रशेखर और उस परियोजना पर काम कर रहे 30 अन्य इंजीनियरों के नाम होंगे।

अमेरिका में ही उनकी मुलाकात अंजू से हुई जो एमबीए की पढ़ाई कर रही थीं और बाद में उनकी पत्नी बनीं। अंजू केरल के मशहूर और प्रतिष्ठित उद्यमी टीपी गोपालन नांबियार की बेटी हैं, जिन्हें लोग टीपीजी कहते हैं। नांबियार 1963 में पलक्कड़ आए और रक्षा बलों के लिए पैनल मीटर बनाते थे। बाद में अपने कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स और दूरसंचार कारोबार को बचाने के लिए वह बेंगलूरु चले गए क्योंकि केरल में उन दिनों उद्योग के अनुकूल माहौल नहीं था।

उनके दामाद को बीपीएल मोबाइल कम्युनिकेशंस और बीपीएल सेल्युलर की होल्डिंग कंपनी बीपीएल कम्युनिकेशंस चलाने के लिए दे दी गई। चंद्रशेखर ने 1991 में सेल्युलर लाइसेंस के लिए बोली लगाई। बीपीएल मोबाइल 2001 तक भारत में सबसे बड़ी सेल्युलर ऑपरेटरों में शामिल हो गई थी। उसके बाद उन्होंने अपनी कंपनी को एक कंसोर्टियम में मिलाने की कोशिश की। मगर सौदा हो नहीं पाया। जीएसएम और सीडीएमए की जंग उनके लिए दूसरा झटका थी। चंद्रशेखर ने एक तरह से उस कारोबार में पहले कदम उठाने की कीमत चुकाई, जो बहुत जोखिम भरा था। अपने ससुर के साथ उनका मतभेद था, जिसे बाद में सुलझा लिया गया। लेकिन कारोबार बेचना पड़ा और यह भी नहीं पता कि कितने में बिका।

चंद्रशेखर ने 2005 में जब बीपीएल मोबाइल छोड़ी तब कंपनी का मूल्य 1.1 अरब डॉलर आंका गया था। नए बाजारों में निवेश के मकसद से 10 करोड़ डॉलर के साथ उसी साल जुपिटर कैपिटल की बुनियाद रखी गई। उसने एशियानेट न्यूज प्राइवेट लिमिटे में भी निवेश किया। चंद्रशेखर ने 2018 में भाजपा में आने से पहले निदेशक मंडल से इस्तीफा दे दिया।

वह 2006 और 2012 में राज्य सभा के निर्दलीय सदस्य रहे तथा 2018 में भाजपा में जाने के बाद फिर राज्य सभा पहुंच गए। उन्होंने डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 बनाने में अहम भूमिका निभाई। भाजपा को उन पर इतना भरोसा था कि 2021 में पुदुच्चेरी विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के वरिष्ठ सहयोगी निर्मल सुराणा के साथ उन्हें भी प्रभारी बना दिया गया। दोनों ने उस केंद्रशासित प्रदेश में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार बनवा दी। कुछ ही महीनों में चंद्रशेखर कौशल विकास और इलेक्ट्रॉनिकी मंत्री के तौर पर केंद्रीय मंत्रिमंडल में पहुंच गए। चुनाव हारने की वजह से वह तीसरी मोदी सरकार में नहीं पहुंच पाए।

चंद्रशेखर केरल में अगले महीने मई में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी को नए सिरे से खड़ा करेंगे तो बोर्ड रूम के विवाद सुलझाने का उनका तजुर्बा बहुत काम आएगा। केरल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अच्छी पैठ है मगर भाजपा वोट हिस्सेदारी बढ़ने (2024 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को 19.21 प्रतिशत वोट मिले, जो 2019 से 3.57 प्रतिशत अधिक रहे) के बाद भी अपनी पैठ को सीटों में नहीं बदल पा रही है। चंद्रशेखर इन वोटों को सीटों में तब्दील करने ही आए हैं मगर उनके पास एक साल के आसपास ही बचा है।

First Published - March 28, 2025 | 10:30 PM IST

संबंधित पोस्ट