राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने जब देश के सर्वोच्च पद की बागडोर संभाली थी, तो उसे एक क्रांतिकारी बदलाव कहा गया था। आखिर यह पहला मौका है, जब एक महिला इस पद पर बैठी थी।
पाटिल चाहतीं तो विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार रखने के लिए इस मौके का भरपूर इस्तेमाल कर सकती थी, लेकिन हुआ इसके ठीक उल्टा। पिछले साल जुलाई में इस कुर्सी पर बैठने के बाद से इन आठ महीनों में केवल 51 भाषण ही दिए हैं। इनमें से भी छह भाषण तो ऐसे मौके पर दिए गए, जो किसी भी राष्ट्रपति को देने होते हैं। जैसे बजट सत्र से पहले संसद के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करना, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह और गणतंत्र दिवस व स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राष्ट्र के नाम संदेश।
दूसरी तरफ, उनके पूववर्ती डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने तो इस मामले में एक तरह से रिकॉर्ड ही कायम कर दिया था। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान पूरे 1,020 भाषण दिए थे, यानी हर साल वह 250 भाषण दिया करते थे। साथ ही, उनके भाषणों में पॉवर प्वाइंट प्रेजेंटेशन और मल्टी मीडिया कॉन्फ्रेंशिंग की वजह से भी उनके भाषणों का काफी याद किया जाता है। इसलिए तो उनकी डिमांड आज भी काफी ज्यादा है।
वैसे, कांग्रेस वालों का कहना है कि पाटिल की तुलना कलाम से नहीं की जानी चाहिए। यह तुलना हो रही है, इसलिए तो पाटिल का कद कलाम के कद के आगे छोटा लग रहा है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ मंत्री का कहना है कि,’राष्ट्रपति साहिबा के साथ कुछ भी बुरा नहीं है। वह बराबर लोगों के सामने आती हैं और उनसे बातें करती रहती हैं। अगर कुछ गलत है तो वह है, पूर्व राष्ट्रपति कलाम साहब के साथ उनकी तुलना। उनका कार्यकाल बेहतरीन रहा था इसमें किसी को शक नहीं है, पर तुलना नहीं की जानी चाहिए।’
पाटिल ने अपने 8 महीनों के छोटे से कार्यकाल में अब तक केवल महिलाओं से जुड़ी हुई समस्याओं और स्वास्थ्य व शिक्षा जैसे दूसरी समाजिक समस्याओं को ही उठाया है। दूसरी तरफ, उनसे ज्यादा उत्साह तो कलाम में भरा रहता था। वह कई मामलों पर भाषण दे सकते थे, जबकि पाटिल के साथ यह बात नहीं है। वैसे, श्रीमती पाटिल राष्ट्रपति बनने से पहले चर्चा में ज्यादा रहती थी।
पहली बार वह खबरों में तब आई थीं, उन्होंने राजस्थान के राज्यपाल के तौर पर राज्य के धर्मिक स्वतंत्रता बिल पर हस्ताक्षर करने से साफ इनकार कर दिया था। फिर उन्होंने इस्लामिक हमलावरों को देश में परदा प्रथा लाने के लिए जिम्मेदार ठहराया। इस पर भी काफी हंगामा हुआ था। उनके इस बयान पर भी काफी हंगामा था कि ब्रह्मा कुमारी पंथ की धार्मिक प्रमुख ने उन्हें दर्शन दिए हैं। वैसे राष्ट्रपति की कुर्सी संभालने के बाद से वह चुपचाप ही रह रही हैं।
राष्ट्रपति भवन को नया रूप भी डॉ. कलाम के कार्यकाल के दौरान दिया गया था। उन्होंने ही राष्ट्रपति भवन मे रेनवाटर हार्विस्टिंग शुरू की थी। साथ ही, उनके राष्ट्रपति रहते ही राष्ट्रपति भवन ने अपनी सुविधाओं को किराए पर देना शुरू किया। साथ ही, कलाम की वैज्ञानिक शिक्षा और बाल अधिकार को लेकर की गई कोशिशों ने इस पद को एक नया रूप दिया।
वैसे, पाटिल की इकलौती तारीफ उनके बेटे करते हैं, जिनका कहना है काम में उलझी होने के कारण उनकी मां उनके साथ खाना नहीं खा पाती। इस बात से वे काफी दुखा रहते हैं। उनसे ज्यादा तो उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी पॉपुलर हैं।