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सियासी हलचल: होनहार मंत्री किंजरापु नायडू के कंधे पर कई दायित्व

नायडू मोदी सरकार में होनहार युवा चेहरा हैं। वह अच्छी तरह जानते हैं कि विमानन क्षेत्र में कंपनियों के बीच चल रही होड़ और दूसरे झमेलों में निष्पक्ष रहकर काम कैसे करना है।

Last Updated- September 13, 2024 | 9:26 PM IST
Political turmoil: Many responsibilities on the shoulders of promising minister Kinjarapu Naidu होनहार मंत्री किंजरापु नायडू के कंधे पर कई दायित्व

नागर विमानन मंत्री किंजरापु राम मोहन नायडू के पास कई दायित्व हैं। 36 वर्षीय नायडू तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) से मोदी सरकार में एक मात्र कैबिनेट मंत्री हैं और संभवतः वह देश के इतिहास में अब तक के सबसे कम उम्र के नागर विमानन मंत्री हैं। वह तेदेपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं और जून में संपन्न लोक सभा चुनाव में तीसरी बार श्रीकाकुलम लोक सभा क्षेत्र से जीते हैं। उन्होंने वाईएसआर कांग्रेस के उम्मीदवार को 3 लाख से अधिक मतों से शिकस्त दी।

श्रीकाकुलम लोक सभा क्षेत्र में सभी विधानसभा क्षेत्रों (श्रीकाकुलम, इच्छापुरम, पलासा, टेक्कली, पतपटनम, अमुदलावलसा और नरसन्नपेटा) में तेदेपा के उम्मीदवार भी मध्यम से बड़े अंतर से विजयी रहे। नायडू का कद काफी बढ़ गया है इसलिए उनसे अपेक्षाएं भी अधिक हो गई हैं।

बतौर मंत्री नायडू को कई दायित्व दिए गए हैं जिनमें देश के भीतर सफर के लिए हवाई किराये काबू में रखना, देसी विमानन क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को बढ़ावा देना, नए हवाई अड्डों का विकास करना एवं वर्तमान हवाई अड्डों के विनिवेश को आगे बढ़ाना, रखरखाव, मरम्मत और पुनर्विकास (एमआरओ) को वित्त मंत्रालय से मिली गति को बरकरार रखना और राज्यों को विमान ईंधन पर करों में कटौती (भारत में विमानन ईंधन पर अधिक कर इस क्षेत्र के परिचालन में सबसे बड़ी बाधा हैं) के लिए मनाना शामिल हैं।
ये सभी बड़ी चुनौतियां हैं मगर नायडू इन्हें पूरा करने के लिए कदम बढ़ा रहे हैं।

नागरिक उड्डयन का नियमन करने वाले वर्तमान विमानन अधिनियम का मसौदा 1934 में तैयार हुआ था। तब से इस अधिनियम में कम से कम 21 संशोधन चुके हैं, जिनमें पिछले नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी द्वारा 2023 में किए गए संशोधन भी शामिल हैं।

नायडू ने इन संशोधनों से कोई छेड़छाड़ नहीं की मगर नए कानून को भारतीय वायुयान विधेयक का नाम दिया है और इसमें ‘मेक इन इंडिया’ को काफी हद तक शामिल करने का प्रयास किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि नया विधेयक और भविष्योन्मुखी हो सकता था। विशेषज्ञों के अनुसार इसमें पर्यावरण की सुरक्षा के उपाय शामिल किए जा सकते थे क्योंकि दुनिया की नजर में भारत जलवायु परिवर्तन के जोखिमों से निपटने के प्रयासों में गंभीरता नहीं दिखा रहा।

कई लोग विमानन उद्योग को सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाला क्षेत्र मानते हैं। विधेयक में पर्यावरण सुरक्षा से जुड़े पहलू समाहित किए जाते तो इससे भारत की विश्वसनीयता बढ़ जाती। इसके अलावा विधेयक में भारत में असैन्य विमान बनाने की दिशा में बढ़ने के तौर-तरीकों का जिक्र नहीं है। यहां समस्या यह है कि नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) वायुयान उत्पादन से जुड़े सभी मुद्दों के लिए यूएस फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन की दुहाई देता है। विधेयक में भारत ने इस क्षेत्र में अपने मानक तैयार नहीं किए हैं।

मगर नायडू ऐसे मंत्री है जिन्हें नापसंद या नजरअंदाज करना बहुत मुश्किल है। संसद के पिछले सत्र के दौरान कारगिल में असैन्य हवाई अड्डा बनाने की संभावनाओं पर सवाल पूछे गए थे, जिनका उत्तर देते समय नायडू से भूल हो गई थी। हालांकि नायडू को इलाके और मुद्दे की अच्छी समझ थी किंतु उन्होंने कहा कि कारगिल की भौगोलिक संरचना को देखते हुए वहां मौजूदा ‘सैन्य हवाई अड्डे’ में सुविधाओं का विस्तार करना कठिन कार्य है। इस पर लद्दाख से निर्दलीय सांसद हाजी मोहम्मद हनीफा जान ने उन्हें याद दिलाया कि यह असैन्य हवाई अड्डा ही था, जिसे सेना को पट्टे पर दिया गया था।

नायडू ने तत्काल अपने उत्तर में सुधार किया और कहा कि यह भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) का हवाई अड्डा था, जिसे सुरक्षा बलों को दिया गया था। मगर कारगिल जैसे हिस्से में ‘रक्षा’ एक संवेदनशील शब्द है इसलिए नायडू से हुई भूल तत्काल पकड़ में आ गई। बहरहाल उनका यह विचार पूरी संजीदगी से सभी लोगों तक पहुंचा कि कारगिल और लद्दाख को देश के बाकी हिस्सों से लगातार जोड़े रखना सरकार की जिम्मेदारी है।

उनका संदेश साफ था कि दुर्गम भौगोलिक संरचना के कारण ये क्षेत्र पांच महीने देश के शेष हिस्सों से लगभग कटे रहते हैं मगर यह स्थिति बदलने की जरूरत है। नायडू की पृष्ठभूमि सभी जानते हैं। जब 2012 में उनके पिता के येरन नायडू (तेदेपा सांसद एवं 1996 में कैबिनेट मंत्री) की एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई तो वह सिंगापुर से देश लौट आए। नायडू श्रीकाकुलम से जुड़ गए और 2014 में यहां से चुनाव लड़ा। तब उनकी उम्र महज 26 वर्ष थी। तब से उन्होंने लोक सभा चुनाव में मात नहीं खाई है। वह इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर हैं और लॉन्ग आईलैंड यूनिवर्सिटी से एमबीए भी किया है।

विदेश में रहने एवं काम करने का प्रभाव उनकी सोच में दिख रहा है। जब इस साल जून में दिल्ली हवाई अड्डे का एक हिस्सा ढह गया और जबलपुर तथा राजकोट में लगभग इसी तरह की घटनाएं हुईं तो हवाई अड्डों में बने बुनियादी ढांचे पर सवाल उठने लगे। नायडू ने तत्काल हवाई अड्डों की बनावट में त्रुटियों का पता लगाने के लिए जांच समिति गठित कर दी।

मगर नागर विमानन क्षेत्र में बुनियादी ढांचे की ज्यादा बड़ी समस्याएं हैं। भारत में विभिन्न विमानन कंपनियों ने 1,000 से अधिक विमानों के ऑर्डर दिए हैं। क्या देश के हवाई अड्डे इतने विमानों को संभाल पाएंगे? संभवतः जब यह बात उनके जेहन में आई तो सबसे पहले उन्होंने आंध्र प्रदेश में भोगपुरम हवाई अड्डे का निरीक्षण किया। भोगपुरम हवाई अड्डा विशाखापत्तनम में मौजूदा नौसेना के हवाई अड्डे की जगह लेगा।

इस हवाई अड्डे पर फिलहाल देसी उड़ानें आ-जा रही हैं। मगर नौसैनिक हवाई अड्डा होने के कारण यहां देसी विमानन कंपनियां कुछ समय के लिए ही काम कर पाती हैं, जबकि मांग बहुत ज्यादा है। इससे हवाई किराया काफी बढ़ जाता है। भोगपुरम का विकास जी एम राव का जीएमआर समूह कर रहा है, जिसका ताल्लुक भी श्रीकाकुलम से है।

यह कहना गलत होगा कि नायडू का अपने राज्य पर अधिक ध्यान है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल में बिहार और पश्चिम बंगाल में हवाई अड्डों के लिए 3,000 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं।

नायडू के कमान संभालने के बाद उनके मंत्रालय ने जलविमान (सी प्लेन) परिचालन से जुड़े दिशानिर्देश जारी किए हैं। कुछ लोग कह सकते हैं कि इन दिशानिर्देशों का लाभ केरल और तमिलनाडु को मिलेगा मगर इसमें कोई शक नहीं कि गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों को भी फायदा होगा। कनाडा की समुद्री जहाज निर्माता कंपनी डी हैविलैंड कह चुकी है कि वह भारत को एक नए बाजार के रूप में देख रही है। कंपनी का कहना है कि उसकी नजर केवल जल विमान बेचने पर नहीं है बल्कि वह विमान बनाने के लिए भारत से पुर्जे भी मंगाना चाहती है।

नायडू मोदी सरकार में होनहार युवा चेहरा हैं। वह अच्छी तरह जानते हैं कि विमानन क्षेत्र में कंपनियों के बीच चल रही होड़ और दूसरे झमेलों में निष्पक्ष रहकर काम कैसे करना है मगर उनके कदमों पर सभी की नजरें रहेंगी।

First Published - September 13, 2024 | 9:26 PM IST

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