अपनी आत्मकथा में लालू प्रसाद ने चारा घोटाले में अपनी गिरफ्तारी के घटनाक्रम का जिक्र किया है। यह बात जुलाई 1997 की है जब केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने घोषणा की थी कि उसके पास उनके खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री एम करुणानिधि ने उन्हें इस्तीफा देने की सलाह दी।
कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम केसरी ने यह सुझाव दिया कि उनकी जगह उनकी पत्नी राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बन सकती हैं। राज्यपाल एआर किदवई ने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में किसी की जरूरत है क्योंकि अगर अदालत जमानत देने से इनकार करती है और उन्हें न्यायिक हिरासत में लेने का आदेश देती है तब लालू के लिए काम करना व्यावहारिक रूप से असंभव होगा।
उन्होंने अपनी जीवनी के लेखक को बताया, ‘तकनीकी रूप से, मुझे इस्तीफा देने की कोई आवश्यकता नहीं थी लेकिन मैंने मानदंड तय करते हुए पद छोड़ने का फैसला किया।’
सितंबर 2014 में भी कुछ ऐसा ही घटनाक्रम हुआ जब तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता को आय से अधिक संपत्ति के आरोप में दोषी ठहराए जाने के बाद जेल भेज दिया गया था। रविवार का दिन था।
उन्होंने अपनी परिवहन मंत्री सेंतिल बालाजी सहित अपनी पार्टी के कुछ सहयोगियों को जेल में नाश्ते पर बैठक के लिए बुलाया और उनसे विधायक दल का नया नेता चुनने की सलाह दी। इसके बाद उन्होंने अपनी पसंद के हिसाब से ओ पनीरसेल्वम का नाम लिया जो उस बैठक में मौजूद थे।
अब दिल्ली के हाल के घटनाक्रम पर विचार करें तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इस बात पर कोई आपत्ति नहीं है कि उनके समर्थक कहें कि वह जेल से भी दिल्ली सरकार चलाएंगे और चला सकते हैं।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दिल्ली आबकारी घोटाले में उन्हें तलब किए जाने के कुछ दिन बाद ही उन्होंने अपने सहयोगियों की बैठक बुलाई जिन्होंने उनसे कहा कि उन्हें पद नहीं छोड़ना चाहिए और इस तरह किसी उत्तराधिकारी का नाम तय करने की बात भी लगभग अप्रासंगिक हो गई। दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने कहा, ‘हम जेल में कैबिनेट की बैठक करने के लिए अदालत की अनुमति लेंगे।‘
केजरीवाल ने ईडी को पहले ही पत्र लिखकर कहा था कि वह पूछताछ के लिए उपलब्ध नहीं होंगे। उन्होंने आम आदमी पार्टी (आप) के उम्मीदवारों का प्रचार करने के लिए मध्य प्रदेश की यात्रा की।
अपने भाषण में उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि जब चुनाव के परिणाम आएंगे तब मैं जेल में रहूंगा या बाहर रहूंगा। आप केजरीवाल को गिरफ्तार कर सकते हैं। लेकिन आप केजरीवाल के विचारों को कैसे रोक सकते हैं?’
हालांकि प्रवर्तन निदेशालय ऐसा करने में काफी दिलचस्पी ले रहा है और अगर ऐसा होता है तब उपराज्यपाल वी के सक्सेना को विधानसभा की बैठक बुलाने, सदन का नया नेता चुनने का निर्देश देने में बहुत कम समय लगेगा।
अगर ऐसा नहीं भी होता है तब विधानसभा भंग की जा सकती है और राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया जाएगा। दिल्ली भारत की राजधानी है और यहां बिना मुख्यमंत्री के काम नहीं चल सकता है।
संभव है कि आम आदमी पार्टी भी यह फैसला करे कि सोच-समझ कर एक उत्तराधिकारी ‘नामित’ कर दिया जाए। यह नाम आतिशी का भी हो सकता है जो कई मंत्रियों के जेल में बंद होने के बाद से मंत्री के रूप में कई काम संभाल रही हैं।
इसमें पर्यावरण मंत्री गोपाल राय का नाम भी हो सकता है जिनका नाम आप के अहम नेताओं में शामिल है। संजय सिंह और मनीष सिसोदिया का नाम भी संभावित विकल्पों में हो सकता था लेकिन वे दोनों पहले से ही जेल में हैं।
अगर केजरीवाल जेल चले भी जाते हैं तो इस बात की संभावना नहीं है कि आम आदमी पार्टी के समर्थन में अखिल भारतीय स्तर पर कोई बड़े विद्रोह जैसी स्थिति बनेगी। ऐसे कई अधिकारी हैं जो पार्टी के इस हश्र पर दुखी नहीं होंगे क्योंकि पार्टी का रुख अफसरशाहों के प्रति बहुत तालमेल वाला नहीं बताया जाता है।
हालांकि एक बार मामला पूरा हो जाने के बाद इसमें शायद ही कोई संदेह है कि केजरीवाल चुनाव लड़ने की स्थिति में होंगे और वह दिल्ली के दिल को फिर से जीतने में सक्षम होंगे।
यही बात भाजपा को परेशान कर रही है और बात सिर्फ इतनी भर नहीं है कि उसने एक राज्य, आप के चलते गंवा दिया बल्कि पार्टी को गुजरात विधानसभा चुनाव में भी 13 प्रतिशत वोट मिले। गुजरात में इतना वोट दिग्गज भाजपा नेता केशुभाई पटेल भी तब हासिल नहीं कर पाए थे जब उन्होंने भाजपा से बगावत करते हुए अपनी पार्टी बनाई थी।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि आप लगातार मजबूत होती जा रही है और पिछले साल इसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल गया। केजरीवाल ने इस सफर को ‘अकल्पनीय’ बताया। उन्होंने कहा, ‘ऐसा लगता है कि कल ही साढ़े 10 साल पहले हमने अपनी पार्टी बनाई थी। उस वक्त किसी ने सोचा भी नहीं था कि पार्टी को एक विधायक मिलेगा और आज, 10 वर्षों में आप एक राष्ट्रीय पार्टी बन गई है।’
दिल्ली के मतदाताओं के एक वर्ग के बीच ‘आप’ की लोकप्रियता के बारे में कोई संदेह नहीं है। पूर्वी विनोद नगर के एक सरकारी स्कूल में जर्मन और स्पेनिश जैसी भाषा सीखने के विकल्पों के साथ, दूसरी भाषा के तौर पर फ्रेंच पढ़ाई जाती है।
मोहल्ला क्लीनिक की बात करें तो उनमें से कुछ काम नहीं करते लेकिन कई अच्छी तरह संचालित हो रहे हैं। वातानुकूलित सार्वजनिक बसें महिलाओं और बच्चों से भरी हुई हैं जिसमें उनका कोई किराया नहीं लगता है।
हालांकि आम आदमी पार्टी को कई वैचारिक मुद्दों पर बराबर ही दोषी माना जाना चाहिए। इसके एक मंत्री ने रामायण के सुंदर कांड का पाठ कराने का आदेश दिया जो हर हफ्ते संभवतः सरकारी खर्च पर होना था। पार्टी बुजुर्गों को तीर्थस्थान की यात्रा भी काफी रियायती दरों पर कराने की योजना जारी रख रही है।
लेकिन पार्टी ने मतदाताओं को यह समझाने की जरा भी जहमत नहीं उठाई कि वह बिलकिस बानो के बलात्कार के दोषियों की सजा माफी में गुजरात सरकार की भूमिका को किस तरह देखती है। हालांकि आप के नेता गोपाल इटालिया ने कहा कि यह कदम निंदनीय है लेकिन मनीष सिसोदिया ने इस पर जोर न देते हुए कहा कि पार्टी विकास के मुद्दों को लेकर ज्यादा चिंतित है।
दिल्ली में भाजपा नेताओं का कहना है कि वे चाहते हैं कि केजरीवाल को लंबे समय तक परिदृश्य से दूर रखा जाए। हालांकि यह समझना बेहद मुश्किल है कि जो पार्टी एमसीडी चुनाव हार गई हो वह इस स्थिति का फायदा किस तरह उठाएगी। कांग्रेस के बारे में बहुत कुछ कहने के लिए नहीं है। इन हालात को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि दिल्ली में एक और कोहरा छाने वाला है। हालांकि अभी इसका इंतजार करना होगा।