भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आईआईएम) में हुई फीस बढ़ोतरी के मद्देनजर सामान्य वर्ग के छात्रों को बैंकों से लोन प्राप्त करने में थोड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है।
इनमें से ज्यादातर छात्रों को लोन प्राप्त करने के लिए गारंटी के रूप में कुछ संपत्ति भी बैंक के पास रखनी पड़ेगी।मिसाल के तौर पर आईआईएम अहमदाबाद ने अपनी फीस में तकरीबन 3 गुना बढ़ोतरी की है। संस्थान की फीस 4 लाख रुपये थी, जिसे बढ़ाकर 11.5 लाख रुपये कर दिया गया है।
इसके अलावा आईआईएम कोलकाता ने अपनी फीस 5 लाख से बढ़ाकर 7.5 लाख रुपये दी है। आईआईएम बेंगलौर और आईआईएम लखनऊ की फीस क्रमश: 5 लाख से 8 लाख रुपये और 4 लाख से 5 लाख रुपये कर दी गई है। साथ ही, लैपटॉप और किताबों के लिए छात्रों को 4-5 लाख रुपये अतिरिक्त भी खर्च करने पड़ेंगे।
इन खर्चों के मद्देनजर आईआईएम में 2 साल का मैनेजमेंट कोर्स करने के लिए हर छात्र को 9 से 15 लाख रुपये के बीच खर्च करना होगा। इन खर्चों को ध्यान में रखते हुए छात्रों को लोन के लिए बैंकों के पास अपनी संपत्ति रखनी पड़ेगी। लोन की राशि कम होने की वजह से पहले छात्रों को ऐसा नहीं करना पड़ता था।
हालांकि इन संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों को लोन देने में बैंक अब भी नहीं हिचकिचाएंगे, लेकिन सिक्युरिटीज की जरूरत बढ़ जाएगी। अब तक भारत में पढ़ाई के लिए मिलने वाले लोन की उच्चतम सीमा 10 लाख रुपये है। इसमें शुरुआती 4 लाख रुपये तक के लिए किसी भी तरह की कागजी कार्रवाई की जरूरत नहीं होती। इसके बाद 7.5 लाख तक के लोन के लिए गारंटर की जरूरत है। इसके बाद की राशि पर संपत्ति का कागज जमा करना पड़ता है।
रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, 4 लाख रुपये तक के लोन के लिए ब्याज दर प्राइम लेंडिंग रेट (पीएलआर) से ज्यादा नहीं होना चाहिए। 4 लाख से ऊपर के लोन के लिए पीएलआर और 1 फीसदी अतिरिक्त ब्याज का प्रावधान है। उदाहरण के लिए कोई भारतीय बैंक किसी ग्रैजुएट, पोस्टग्रैजुएट या प्रोफेशनल कोर्स के लिए 10 लाख का एजुकेशनल लोन ऑफर करता है। 4 लाख रुपये तक के लिए वर्तमान ब्याज दर 12.5 फीसदी है, जबकि इससे ऊपर की राशि पर 13 फीसदी ब्याज देना पड़ेगा।
आईआईएम लखनऊ से पास करने वाले अमित रॉय (बदला हुआ नाम) ने 7.2 लाख का एजुकेशनल लोन लिया था। अभी वह 14 हजार रुपये महीने के हिसाब से इस कर्ज का भुगतान कर रहे हैं, जो उनके हाथ में आने वाले वेतन का 20 फीसदी है। वह 7 साल तक कर्ज की किस्त अदा करते रहेंगे। उन्होंने बताया कि उनके ज्यादातर सहकर्मी ऐसी किस्त अदा कर रहे हैं।
इस आधार पर कहा जा सकता है कि सबसे क्रीम छात्र भी अपने करियर की शुरुआत लोन के साथ ही करेंगे। जरा उस स्थिति की कल्पना कीजिए जब इन छात्रों के पहले सैलरी चेक से ही कर्ज की मासिक किस्त कटनी शुरू हो जाएगी। हालांकि ऐसा नहीं है कि यह कोई नई बात है। साथ ही आईआईएम छात्रों को कुछ और समय के लिए लोन पर निर्भर रहना पड़ेगा।
आईआईएम कोलकाता में एक साल की पढ़ाई पूरी कर चुके राजीव मिश्रा (बदला हुआ नाम) ने पिछले साल भारतीय स्टेट बैंक से 7.5 लाख रुपये का लोन लिया। इसी तरह लोन लेने वाले ऐसे छात्रों की कमी नहीं है। ऐसे सभी छात्रों को भरोसा है कि उनका वेतन कर्ज की राशि से काफी ज्यादा होगा।
पिछले कुछ साल में आईआईटी और आईआईएम छात्रों की बढ़ती लोन की मांग के मद्देनजर बैंक भी इन कर्जों का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए खुद को तैयार करने में जुट गए हैं। बैंकों को लगता है कि इन कर्जों के भुगतान में कोई भी समस्या आड़े नहीं आएगी।