अर्पित जैन, मयंक जैन, जॉय दीप नाथ और उदित सानहार आईआईटी, खड़गपुर में कंप्यूटर साइंस और इंजिनियरिंग के चौथे साल के छात्र हैं।
आप पूछेंगे, तो उनमें खास क्या है? दरअसल, ये इस साल अपने साथियों की तरह कैंपस इंटरव्यू में नहीं बैठेंगे, बल्कि उन्होंने मिलकर ‘इंटिनियो’ नाम से एक कंपनी शुरू करने का फैसला लिया है। अब आप कहेंगे इसमें भी खास क्या है? ऐसा तो आईआईटी और आईआईएम के कई स्टूडेंट करते हैं। आपको बता दें कि उनके संस्थान की नई नीतियों की वजह से अगर उनकी यह कंपनी नहीं चली तो वह दो साल बाद भी अपने संस्थान में होने वाले कैंपस इंटरव्यू में बैठ पाएंगे।
अपने छात्रों के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए देश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान अपनी नीतियों में बदलाव कर रहे हैं। ये संस्थान इस बात का भी पूरा ध्यान रख रहे हैं कि अगर छात्रों के उद्यम नहीं चले तो उनके पास पूरे विकल्प मौजूद हों।मिसाल के तौर पर आईआईटी, खड़गपुर को ही ले लीजिए। इस संस्थान ने हाल ही में एक नई पहल की गई है। इस पहल का नाम है, डेफर्ड प्लेसमेंट प्रोग्राम।
इसका मकसद उन छात्रों की मदद करना है, जो उद्यमशीलता की चुनौती उठाने के लिए तैयार रहते हैं। इसके तहत जो छात्र अपना कोई उद्यम शुरू करना चाहते हैं, वे ज्यादा से ज्यादा दो साल के बाद भी कैंपस प्लेसमेंट के लिए बैठ सकते हैं। इससे कम से कम छात्रों में इस बात का डर तो खत्म हो जाएगा कि एक बार कैंपस प्लेसमेंट में बैठने से इनकार करने के बाद उन्हें दुबारा मौका नहीं मिल सकता। आईआईएम, अहमदाबाद ने भी अपनी नीतियों में कुछ ऐसे ही बदलाव किए हैं।
संस्थान के एक प्रोफेसर ने कहा कि, ‘इस बदलाव के बाद तो अपना बिजनेस शुरू करने की ख्वाहिश रखने वाले स्टूडेंट्स की तादाद तो दोगुनी हो गई है।’ आईआईएम, अहमदाबाद में इस साल 11 छात्रों ने अपना धंधा शुरू करने की खातिर या तो कैंपस प्लेसमेंट में बैठे हगी नहीं या ऑफर की गई नौकरियों को लात मार दी। इनमें से दो स्टूडेंट्स के पास तो इंवेस्टमेंट बैंकों की ओर से एक करोड़ रुपए से भी ज्यादा सेलरी का ऑफर था।
आईआईटी, खड़गपुर में छात्रों को इस प्रोग्राम का फायदा उठाने के लिए सबसे पहले सूचित करना होगा कि वह प्लेसमेंट में नहीं बैठना चाहते। फिर उन्हें ट्रेनिंग और प्लेसमेंट सेक्शन के अधिकारियों के समक्ष अर्जी दाखिल करनी होगी। इस अर्जी के साथ उन्हें अपने बिजनेस का प्रस्तावित प्लान भी पेश करना पड़ेगा। इसके बाद, संस्थान का रिसर्च एंड इंडस्ट्रीयल कंसल्टेंसी यूनिट उस प्लान की गंभीरता के साथ जांच करेगा।
फिर इस यूनिट की रिपोर्ट के आधार पर इस प्रोग्राम के तहत ट्रेनिंग और प्लेसमेंट सेक्शन छात्रों को रजिस्टर करेगे। इस पूरी प्रक्रिया का फायदा यह है कि छात्रों को कई असल मुसीबतों से दो-चार होने से पहले ही यह पता चल जाएगा कि उनका बिजनेस चल पाएगा या नहीं।एक्सएलआरआई जमशेदपुर ने भी एक ऐसी योजना लागू की है। इस योजना का फायदा 2008 और इसके बाद वाले बैचों के स्टूडेंट उठा पाएंगे।
संस्थान में प्लेसमेंट चेयरमैन उदय दामोदरन का कहना है कि,’इस साल से हम ऐसे छात्रों को प्लेसमेंट में दो साल की छूट देंगे, जो अपना अलग बिजनेस शुरू करना चाहते हैं। हमारा मकसद उद्यमी बनने की ख्वाहिश रखने वाले छात्रों की हर मुमकिन मदद करना है। इस तरह की योजनाओं से इतनी कम उम्र में रिस्क लेने वाले हमारे स्टूडेंट्स को काफी आत्मबल मिलता है।
‘ एक्सएलआरआई ने तो अपने छह छात्रों द्वारा शुरू किए गए एक उद्यम के लिए तीन लाख रुपए की सहायता राशि भी जारी की है। इन छह स्टूडेंट्स ने परिचय.कॉम के नाम से एक वेबलसाइट शुरू की है। इस वेबसाइट के जरिए अदिवासी इलाकों के कलाकार बड़े बाजारों से जोड़ने की कोशिश की गई है। इसके जरिए ये कलाकार अपनी कलाकृतियों को विदेशों में मौजूद कला के कद्रदानों को बेच सकते हैं।
संस्थान के शिबक मधुकर शुक्ला का कहना है कि, ‘इस वेबसाइट के लिए हम तो बस शुरुआती रकम देकर उनकी मदद कर रहे हैं।’ आईआईएम, कोलकाता में बिजनेसमैन बनने की चाहत रखने वालों की मदद की कोशिश शुरू हो चुकी है। इस साल इस संस्थान में अंकुर गत्तानी वो एकलौता स्टूडेंट था, जिसने प्लेसमेंट इंटरव्यू को ठुकरा कर अपनी एक ब्लॉगिंग वेबसाइट बनाई।
लाइफइनलाइंस.कॉम नामक इस वेबसाइट में लोग-बाग अपनी बात कह सकते हैं। और एक-दुसरे जुड़े रह सकते हैं।वहीं, गाजियाबाद का आईएमटी तो नैशनल इंटरप्रेन्योरशिप नेटवर्क (नेन) के साथ गठजोड़ की कोशिश कर कर रहा है, ताकि संस्थान में एक इंटरप्रेन्योरशिप सेल खोला जा सके। वह वेंचर कैपिटलिस्टों के साथ भी बात चीत कर रहा है, ताकि अपना बिजनेस शुरू करने की जुगत में लगे उसके स्टूडेंट्स को पैसों की कमी न सहनी पड़े।