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Editorial- स्पष्ट जनादेश: अगली सरकार के लिए हरियाणा में चुनौतियां कुछ सरल, मगर जम्मू-कश्मीर में हालात हो सकते हैं और कठिन

हरियाणा चुनाव नतीजों ने उनका पूर्वानुमान लगाने वालों और राजनीतिक पंडितों को गलत साबित किया। इन सभी का मानना था कि चुनाव में कांग्रेस को स्पष्ट बढ़त हासिल है।

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बीएस संपादकीय   
Last Updated- October 08, 2024 | 9:57 PM IST

हरियाणा तथा जम्मू-कश्मीर (केंद्रशासित प्रदेश) के विधान सभा चुनाव नतीजे मंगलवार को सामने आए। ये नतीजे अपनी-अपनी तरह से उल्लेखनीय हैं। हरियाणा में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी करने में कामयाब रही और इस दौरान उसका मत प्रतिशत भी सुधरा। भाजपा को इस बार 40 फीसदी से अधिक मत मिले जबकि 2019 के विधान सभा चुनाव में पार्टी को 36.5 फीसदी मत हासिल हो सके थे।

कांग्रेस ने भी अपने मत प्रतिशत में सुधार किया और 2019 के 28 फीसदी के मुकाबले इस बार पार्टी को 39 फीसदी मत मिले लेकिन इसके बावजूद वह भाजपा को 10 वर्ष के शासन के पश्चात भी अपदस्थ करने में नाकाम रही। कांग्रेस को कुल मिलाकर 37 सीट पर जीत मिली जबकि भाजपा 90 सीट वाली विधान सभा में 48 सीट के साथ बहुमत का आंकड़ा छूने में कामयाब रही।

यह बात भी ध्यान देने लायक है कि हरियाणा चुनाव नतीजों ने उनका पूर्वानुमान लगाने वालों और राजनीतिक पंडितों को गलत साबित किया। इन सभी का मानना था कि चुनाव में कांग्रेस को स्पष्ट बढ़त हासिल है।

राजनीतिक ढंग से बात करें तो हरियाणा के नतीजों से दो ऐसे निष्कर्ष निकलते हैं जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है। पहला, भाजपा में अपनी स्थिति को आंकने और आवश्यक बदलाव करने की असाधारण क्षमता है। पार्टी ने इस वर्ष के आरंभ में प्रदेश में अपना मुख्यमंत्री बदल दिया और 10 में से पांच लोक सभा क्षेत्रों में हारने के बाद उनसे अपना गुणा गणित बिठाया और विधान सभा चुनावों में ऐतिहासिक जीत दर्ज की।

दूसरी बात, भाजपा ने यह जीत तब हासिल की जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी के लिए अधिक प्रचार भी नहीं किया। कुछ टीकाकारों ने इसे कमजोरी का संकेत माना लेकिन परिणाम बताते हैं कि पार्टी ने अपने लिए एक मजबूत चुनावी मशीनरी तैयार कर ली है।

अब तीसरी बार बन रही भाजपा सरकार को राज्य में विकास की प्रक्रिया को आगे ले जाना होगा। बीते दशकों के दौरान राज्य ने कृषि से परे विनिर्माण और सेवा क्षेत्र को अपनाया है और उसकी प्रति व्यक्ति आय में इजाफा हुआ है। इस प्रक्रिया को आगे ले जाने की आवश्यकता है। निकट भविष्य में भाजपा के कुछ वादे राज्य सरकार पर वित्तीय बोझ डाल सकते हैं। इनमें महिलाओं को 2,100 रुपये मासिक सहायता, कॉलेज जाने वाली छात्राओं को स्कूटी, गरीब परिवारों को सस्ती घरेलू गैस और दो लाख सरकारी नौकरियों के वादे शामिल हैं।

हालांकि चालू वर्ष में राज्य का राजकोषीय घाटा राज्य सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 2.8 फीसदी तक रहने का अनुमान है लेकिन यह बात ध्यान देने वाली है कि पूंजीगत व्यय पर असर पड़ा है। जैसा कि इस समाचार पत्र का विश्लेषण दर्शाता है पूंजीगत आवंटन 2019-20 के जीएसडीपी के 2.4 फीसदी से घटकर चालू वर्ष में 1.3 फीसदी रह गया है। अगर राज्य को क्षमता निर्माण करना है और वृद्धि की गति को बरकरार रखना है तो इसमें बदलाव लाना होगा।

हरियाणा की अगली सरकार के सामने मौजूद कामों और चुनौतियों को अपेक्षाकृत सरल ढंग से समझा जा सकता है जबकि जम्मू-कश्मीर में हालात अधिक कठिन हो सकते हैं। कांग्रेस और नैशनल कॉन्फ्रेंस का चुनाव पूर्व गठबंधन वहां अगली सरकार बनाने जा रहा है लेकिन हालात अतीत से एकदम अलग होंगे।

2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त कर प्रदेश को केंद्रशासित प्रदेश में बदल दिया गया था। इस केंद्रशासित प्रदेश की नई सरकार के पास पहले की राज्य सरकार जैसे अधिकार नहीं होंगे और वह केंद्र सरकार के नियंत्रण में रहेगी। अब जबकि वहां एक निर्वाचित सरकार होगी तो केंद्र को भी शीघ्र ही उसका राज्य का दर्जा बहाल करना चाहिए।

ऐसा करने से नई सरकार देश की किसी भी अन्य राज्य सरकार की तरह काम कर सकेगी और मतदाताओं की अपेक्षाओं को पूरा कर सकेगी। व्यापक राजनीतिक स्तर पर जहां हर राज्य के चुनाव अलग होते हैं, वहीं मंगलवार के नतीजे महाराष्ट्र और झारखंड के आगामी चुनावों में भाजपा का मनोबल बढ़ाएंगे।

First Published : October 8, 2024 | 9:57 PM IST