महामारी काल में क्रिप्टोकरेंसी ने परिसंपत्ति वर्ग में एक अलग पहचान बनाई है। कारोबारी मात्रा तथा बाजार पूंजीकरण, दोनों स्तरों पर सबसे अधिक लोकप्रिय दो क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन तथा इथीरियम हैं। जनवरी के बाद से बिटकॉइन की कीमतों में लगभग 141 प्रतिशत की तेजी आई है जबकि इथीरियम की कीमतें 250 प्रतिशत से ज्यादा हो चुकी हैं। दोनों क्रिप्टोकरेंसी तीन साल के उच्चतम स्तर पर हैं। क्रिप्टोकरेंसी किसी मात्रा का डिजिटल भंडारण है। ये कॉइन भौतिक मुद्रा (रुपये, डॉलर इत्यादि) से अलग डिजिटल तौर पर भंडारित रहते हैं और किसी भी केंद्रीय बैंक द्वारा इनका संचालन नहीं किया जाता। किसी कॉइन को कई हिस्सों में बांटा जा सकता है और प्रत्येक अंश को उसके अनूठे कोड द्वारा परिभाषित किया जाता है। प्रत्येक क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन की सत्यता को ब्लॉकचेन पर जांचा जाता है और देखा जाता है कि संबंधित कॉइन दिए गए वॉलेट में उपलब्ध है अथवा नहीं। इस बात की भी जांच की जाती है कि कोई एक कॉइन दो लेनदेन में प्रदर्शित तो नहीं किया गया।
लेकिन क्रिप्टोकरेंसी के अपने जोखिम हैं। अगर आपका पासवर्ड हैक कर लिया गया तो आपके पास बचने का कोई साधन नहीं है। हालांकि क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट से संबंधित निजी एवं सार्वजनिक कुंजी अलग-अलग होती हैं और उसके लिए शा-256 एनकोडिंग तकनीक का उपयोग किया जाता है, लेकिन हैकर को किसी भी तरह आपकी निजी कुंजी का पता चल गया तो आपकी क्रिप्टोकरेंसी खतरे में हैं। इसलिए क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन में जोखिम भी बहुत अधिक है। बिटकॉइन साइबर अपराधियों के लिए काफी प्रचलित मुद्रा है, जिस कारण इसकी छवि पर सवालिया निशान लगते रहते हैं। हालांकि इसका एक लाभ यह है कि अगर आपको निजी एवं सार्वजनिक कुंजी याद है तो किसी इलेक्ट्रॉनिक या भौतिक रिकॉर्ड के बिना भी आप क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन कर सकते हैं। क्रिप्टो का उपयोग आम लेनदेन में काफी कम किया जाता है। लेकिन सीमापार लेनदेन के लिए वे काफी उपयोगी हैं। वे लेनदेन के खर्च को कम से कम रखने के साथ ही सरकारी नियंत्रणों से मुक्त सीमापार लेनदेन को सुविधाजनक बनाते हैं। रुपये में बिटकॉइन खरीदकर उसे अमेरिकी डॉलर में बेचना, रुपया-डॉलर विनिमय का एक आम तरीका बन गया है। जापान और कोरिया जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं सहित कुछ राष्ट्रों ने क्रिप्टोकरेंसी को कारोबारी लेनदेन के तौर पर उपयोग करने की अनुमति दी है। वहीं, कुछ देशों ने इनपर प्रतिबंध भी लगाया है। कई देशों में क्रिप्टोकरेंसी की वैधता ग्रे एरिया में है या उन्हें कल एवं वस्तु के तौर पर माना जा रहा है। किसी कला की तरह, क्रिप्टो में थोड़ा आंतरिक मूल्य हो सकता है लेकिन मांग के आधार पर इसकी कीमत बहुत अधिक हो सकती है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने क्रिप्टोकरेंसी के लेनदेन पर बैंकिंग प्रतिबंध लगा दिया था, जिसे मार्च 2020 में उच्चतम न्यायालय ने हटा दिया। कई एक्सचेंजों पर भारतीय रुपये में क्रिप्टोकरेंसी का लेनदेन कर सकते हैं। हालांकि यह भी संभव है कि भविष्य में विधायी कार्रवाई के माध्यम से क्रिप्टोकरेंसी कारोबार पर दोबारा प्रतिबंध लगा दिया जाए। अगर आप क्रिप्टोकरेंसी में कारोबार करते हैं तो आपको इसके लिए तैयार रहना चाहिए। विनियामक एवं डिजिटल जोखिम के अलावा अस्थिर कीमतें भी चिंता का विषय रहती हैं। क्रिप्टोकरेंसी में दैनिक स्तर पर कीमतों में उतार-चढ़ाव शेयर, डेरिवेटिव एवं विदेशी मुद्रा की तुलना में अधिक है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कीमत को प्रभावित करने वाला कोई भी कारक मौलिक नहीं है। इनकी कीमतों को पूरी तरह मांग एवं आपूर्ति के अनुसार तय किया जाता है जिनमें समाचारों के माध्यम से बनाई गई जन-भावना का भी योगदान रहता है। वर्ष 2015 से दैनिक स्तर पर बिटकॉइन की अधिकतम एवं निम्नतम कीमतों में 5 प्रतिशत से अधिक का अंतर है। क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में स्थान विशेष के आधार पर भी अंतर देखा जाता है। इसलिए कीमतों में अधिक अंतर होने पर एक्सचेंजों पर आर्बिट्राज होना काफी आम है। इसके अलावा किसी लेनदेन के सत्यापन की गति फिलहाल धीमी है। अधिक मात्रा वाले लेनदेन के ब्लॉकचेन सत्यापन में फिलहाल काफी समय (कुछ मिनट या कुछ घंटे का) लगता है। लेकिन सीमापारीय भौतिक मुद्रा लेनदेन में लगने वाले समय (2-4 दिन) से यह कम है।
सभी जोखिमों को देखते हुए सवाल उठता है कि आखिर क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन क्यों किया जाए? क्रिप्टोकरेंसी में संभावित रिटर्न काफी अधिक है। संकट के समय क्रिप्टोकरेंसी काफी लाभदायक रही है। अनिश्चितता के समय क्रिप्टोकरेंसी निवेश के लिए सोने की तरह कारगर रही हैं।
दरअसल वर्ष 2008 के सबप्राइम संकट के बाद सतोशी नाकोमोते नामक एक अनजान शख्स या व्यक्तियों के समूह ने बिटकॉइन की अवधारणा को जन्म दिया और वर्ष 2011-12 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान इसके विस्तार के साथ साथ कीमतों में भी काफी तेजी देखी गई। जब भी भू-राजनीतिक तनाव या वित्तीय उथल-पुथल का समय आता है तो क्रिप्टोकरेंसी लाभदायक साबित होती हैं। उदाहरण के तौर पर भारत में नोटबंदी के बाद क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में तेज उछाल आई थी।
तो क्या वैश्विक अनिश्चितता वर्ष 2021 में भी जारी रहेगी?
इसकी काफी ज्यादा संभावना है कि ऐसा ही होगा। हालांकि टीके के विकास को लेकर खबरें आ रही हैं लेकिन 7 अरब लोगों के टीकाकरण में लंबा वक्त लगेगा। वैश्विक अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल हो रही है। भूराजनीतिक संकट भी दिखाई दे रहे हैं जैसे ब्रेक्सिट, अमेरिका में सत्ता संक्रमण, सीरिया, यूक्रेन बनाम रूस, पोलैंड और हंगरी बनाम यूरोपीय संघ, भारत-चीन आदि।
वैश्विक अर्थव्यवस्था को अपने आकार में आने में करीब दो वर्ष या उससे ज्यादा समय लग सकता है। क्रिप्टोकरेंसी शुद्ध लाभ प्रदान कर सकती हैं हालांकि मध्यम स्तर पर कई बार कीमतों में गिरावट देखी जा सकती है। अगर आप किसी कलाकृति को निवेश के तौर पर खरीदने में सहज हैं तो समान जोखिम के साथ क्रिप्टो ज्यादा प्रतिफल दे सकती हैं।
