अभी ज्यादा वक्त नहीं हुआ है
दुकानदारों की मानें तो जब से यह मॉल खुला है
, सेक्टर 18 के मार्केट में लोगों का आना 60 फीसदी तक कम हो गया है। वैसे, लंबे वक्त के बारे में सोच रहे विश्लेषकों का कहना है कि ग्राहकों की तादाद पहले की तरह तो नहीं हो पाएगी, लेकिन हां लोगों की गर्म होती जेब की वजह से दुकानदारों के गल्ले पर छाई ठंडक कम जरूर हो जाएगी। आखिर यहां नए कस्टमर भी तो आएंगे। इस उम्मीद पर तो दुकानदार तो लोगों को लुभाने की भरसक कोशिश कर रहे हैं। लेकिन कारोबारियों के हितों की रक्षा करने वाली एक मार्केट एसोसिएसन की कमी तो यहां के दुकानदारों को काफी खल रही है।लोगों को अपनी तरफ लाने के लिए इस मार्केट के कुछ कारोबारी फ्रेश माल का सहारा ले रहे हैं
, तो कुछ सेल पर दांव लगा रहे हैं। वैसे, सेल का सहारा लेने वाले दुकानदारों की मोटी तादाद का अंदाजा तो आपको पहली नजर में हो जाएगा। रेडीमेड कपड़ों के ब्रांड ‘कॉटंस‘ की इस मार्केट में मौजूद ऑउटलेट के मैनेजर आनंद गोयल का कहना है कि,’ग्रेट इंडिया प्लेस के आने के बाद से काफी असर पड़ा है। अब तक हमारे स्टोर में आने वालों लोगों की तादाद में 40 फीसदी की गिरावट आ चुकी है।‘ बिक्री बढ़ाने के लिए कंपनी ने अब विज्ञापनों और ऑफरों का सहारा ले रही है। कई बैंकों के साथ गठजोड़ करके वह अपने कस्टमर्स को स्वाइप कार्ड ऑफर कर रही है। इस कार्ड से दुकान के खरीदार रेस्तरांओं में छूट का लाभ उठा पाएंगे। साथ ही, कंपनी इस स्टोर में महिलाओं के कपड़े की रेंज भी उतारने के बारे में काफी सोच रही है।इस मॉल के ठीक सामने पड़ने वाले एक्शन शूज के रिटेल ऑउटलेट
, बेअन की हालत तो और भी पस्त है। मॉल से नजदीकी की कीमत इसे अपनी सेल्स में 50 फीसदी की बलि से चुकानी पड़ी। इस स्टोर के मैनेजर उमेश शर्मा ने बताया कि,’कंपनी ने सेल्स में इजाफे के लिए कई डिस्काउंट स्कीम्स तैयार कर रखे हैं। साथ ही, लोगों को लुभाने के लिए वह हर दिन सैकड़ों की तादाद में एसएमएस भी भेज रही है। खरीदारों को वह गिफ्ट कूपन भी दे रही है। इसके अलावा, हम अपने ऐड हर जगह दे रहे हैं, ताकि हमारी बिक्री बढ़े।‘ हालांकि, कुछ देर के बाद हथियार डालते हुए शर्मा कहते हैं,’मुझे भी लगता है कि हमारा भविष्य तो मॉल ही हैं।‘ इस दुकान के पास ही है सी एंड आर टेक्सटाइल प्रा. लि. का आउटलेट ‘द मैनेजमेंट ऑफ होम‘। घर को सजाने वाले सामानों की इस दुकान ने ग्रेट इंडिया मॉल से दो–दो हाथ करने के लिए कई प्रमोशनल ऑफरों की बरसात कर दी है।वैसे
, इस मार्केट में कुछ दुकानदार ऐसे भी हैं, जिनका दावा है कि इस मॉल से उनकी बिक्री पर ज्यादा असर नहीं पड़ रहा। मिसाल के लिए एक स्थानीय फुटवियर स्टोर, पॉल शूज को ही ले लीजिए। इस दुकान के मालिक सचिन महाजन का कहना है कि,’सच कहूं तो पहले एक–दो महीने तो सेल काफी गिरी। यहां आने वाले लोगों की तादाद भी काफी कम हो गई थी। हालांकि, पुराने ग्राहकों को हमारे पास वापस आने में ज्यादा वक्त नहीं लगा। आखिर हम उनके साथ इतनी अच्छी तरह से जो पेश आते हैं। उन्हें इस तरह बर्ताव तो कहीं और नहीं मिलेगा।‘फिक्की के अरविंद सिंघातिया भी कहते हैं
,’छोटी–मोटी दुकान में आपको जो अपनापन मिलेगा, उसकी उम्मीद आप मॉल या हाइपरमार्केट में नहीं कर सकते। मॉल या हाइपर मार्केट में आप बस एक संख्या बन कर रह जाते हैं। इस आलम में आप अपनेपन की उम्मीद तो नहीं कर सकते न।‘ वहीं, छोटी–मोटी दुकानों के स्टॉफ या दुकानदारों को चीजों के बारे मे पूरी जानकारी होती। वहीं, मॉल्स या हाइपर स्टोर्स के कर्मचारियों को यह जानकारी नहीं होती है।वैसे
, ग्राहकों के साथ अच्छे संबंध और भारी छूट भी लोगों को इन दुकानों की ओर लाने में नाकामयाब हो रहे हैं। वजह है, इस धारणा का टूटना कि मॉल केवल अमीरों के लिए हैं।बेअन के मैनेजर शर्मा का कहना है
,’जब लोगों को 500 रुपए में ही जूते मिल जाएंगे, तो हमारी सेल्स में कमी हो गई ही न।‘ दस लाख वर्ग फीट में फैले इस मॉल में बिग बाजार भी मौजूद है। इस वजह से लग्जरी सामानों के साथ–साथ कम पैसों में खरीदारी की इच्छा रखने वालों की भीड़ भी इसी ओर आ रही है। इस वजह से सेक्टर 18 के बाजार पर दोहरी मार पड़ी है। साथ ही, हफ्ते के अंत में इस मॉल की चमक दमक और एयरकंडीशनर की ठंडी बयार की वजह से यहां घूमने के लिए आने वालों की भी अच्छी–खासी तादाद इस मॉल की तरफ मुड़ जाती है। इससे भी दुकानदार काफी परेशान हैं।लेवाइस ऑउटलेट के मैनेजर रितेश गुप्ता का कहना है कि
,’यह भी हमारे घाटे की एक अहम वजह है। यही लोग तो आगे चलकर खरीदार बनते हैं और हमें अपने ग्राहकों के बेस को मजबूत करने में मदद मिलती है।‘ उनके मुताबिक इस मॉल के कारण उनकी दुकान को भी 30 फीसदी का मोटा घाटा उठाना पड़ रहा है। दरअसल, लेवाइस का एक स्टोर मॉल में भी मौजूद हैं। मार्केट का माहौल भी तो अच्छा नहीं है। नालियां खुली हुईं हैं और ट्रैफिक की समस्या भी जबरदस्त है। एक स्टोर के मैनेजर आजम खान का कहना है कि, ‘हमें तो नालियों की सफाई भी खुद ही करवानी पड़ती है। साथ ही, यहां बिजली की दिक्कत भी जबरदस्त है।‘ एक स्टोर के मैनेजर आजम खान का कहना है कि, ‘हमें तो नालियों की सफाई भी खुद ही करवानी पड़ती है। साथ ही, यहां बिजली की दिक्कत भी जबरदस्त है।‘कुछ दुकानदार इस बदहाली का ठीकरा एकजुटता की कमी पर भी फोड़ते हैं। एक ब्रांडेड स्टोर के मैनेजर ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि
,’यहां के हालात सुधारने को लेकर एकजुटता की घोर कमी है। यहां एसोसिएसन तो है, पर बस नाम का। बदहाली के लिए नोएडा अथोरिटी भी कम दोषी नहीं है। आप ही बताइए, यहां स्ट्रीट लाइट भी ठीक से नहीं जलती है। यह जगह क्या मॉल की भड़कदार रोशनियों से मुकाबला करेगी। हमने लोकल पुलिस के साथ मिलकर ट्रैफिक की हालत सुधारने की काफी कोशिश की, लेकिन सारी कोशिश पानी में मिल गई।‘यह शायद साथ मिलकर किए गए किसी प्रयास की ही कमी है
, जिसकी वजह से इस नामी मार्केट की दुकानों का बेड़ा गर्क हो रहा है। एक अच्छे कारोबारी एसोसिएसन ने न केवल बदहाली को लेकर दुकानदारों की मांग को ऊपर तक पहुंचाया होता, बल्कि एकजुट आवाज का असर भी ज्यादा होता। अर्नेस्ट एंड यंग के पिनाकीराजन मिश्र का कहना है कि,’हो सकता है, एक अकेले दुकानदार के लिए कोई स्कीम चलाना मुश्किल हो, लेकिन मार्केट एसोसिएसन इसके लिए ऐसे दुकानदारों की मदद कर सकती है।‘