जब आप 50 लाख रुपये जैसी भारी-भरकम रकम निवेश करते हैं, तो स्वाभाविक रूप से उम्मीद करते हैं कि आपके निवेश की वैल्यू बढ़ेगी। हालांकि, पिछले एक दशक (10 साल) में कई निवेशकों ने यह अनुभव किया है कि अलग-अलग एसेट क्लास में निवेश का प्रदर्शन काफी भिन्न रहा है, और लोकेशन की इसमें बड़ी भूमिका रही है। यह बात खास तौर पर रियल एस्टेट में सच साबित होती है, जहां रिटर्न काफी हद तक लोकेशन पर निर्भर करता है। पर्सनल फाइनेंस एडवाइजरी फर्म 1 फाइनेंस रिसर्च ने यह विश्लेषण किया है कि अगर पिछले 10 वर्षों में विभिन्न एसेट क्लास में 50 लाख रुपये निवेश किए गए होते, तो उनका प्रदर्शन कैसा रहा होता।
लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए शेयर बाजार हमेशा से एक पसंदीदा विकल्प रहा है और पिछले 10 वर्षों में भी इसका जलवा बरकरार रहा। अगर आपने 10 साल पहले इक्विटी में ₹50 लाख लगाए होते तो आज वो बढ़कर ₹1.77 करोड़ हो जाते, यानी हर साल औसतन 13.5% का शानदार रिटर्न। ऐतिहासिक तौर पर भी शेयर बाजार ने दूसरे एसेट्स के मुकाबले ज्यादा कमाई कराई है। लेकिन ये भी याद रखना जरूरी है कि शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव ज्यादा होता है, यानी शॉर्ट टर्म में जोखिम भी बना रहता है।
सोने को हमेशा से एक सुरक्षित निवेश विकल्प माना जाता है, और पिछले दशक में इसने भी शानदार रिटर्न दिए हैं। अगर आपने 10 साल पहले सोने में ₹50 लाख लगाए होते तो आज उनकी वैल्यू ₹1.55 करोड़ हो गई होती, यानी हर साल करीब 12% का रिटर्न। सोने को अक्सर महंगाई और आर्थिक अनिश्चितता के खिलाफ सुरक्षा के तौर पर देखा जाता है, इसलिए यह कम जोखिन उठाने वाले निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प बना रहता है। पिछले 10 वर्षों में भले ही सोने का रिटर्न इक्विटी जितना हाई नहीं रहा हो, लेकिन बाजार में उथल-पुथल के समय इसने स्थिर और भरोसेमंद ग्रोथ जरूर दी है।
भारतीय निवेशकों का पारंपरिक फेवरेट रहा रियल एस्टेट, पिछले दशक में अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तरह के रिटर्न देता नजर आया।
गुरुग्राम: देश के कुछ इलाकों में रियल एस्टेट ने कमाल कर दिखाया। उदाहरण के लिए गुरुग्राम को ही ले लीजिए। यहां अगर आपने 10 साल पहले ₹50 लाख का निवेश किया होता, तो आज उसकी वैल्यू ₹2.24 करोड़ हो गई होती, यानी हर साल 16.2% का जबरदस्त रिटर्न। इसका बड़ा कारण दिल्ली के आसपास तेजी से हुआ विकास और अर्बनाइजेशन है, जिसने गुरुग्राम को रियल एस्टेट निवेश के लिए एक हॉटस्पॉट बना दिया।
ग्रेटर मुंबई: वहीं दूसरी ओर, भारत के सबसे महंगे बाजारों में गिने जाने वाले ग्रेटर मुंबई में रियल एस्टेट का प्रदर्शन काफी फीका रहा। यहां ₹50 लाख का निवेश बढ़कर सिर्फ ₹87 लाख तक पहुंचा, यानी महज 5.7% का सालाना रिटर्न। यह अंतर दिखाता है कि महंगे और सैचुरेटेड बाजारों में निवेश करते वक्त किन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि ऊंचे दाम अक्सर रिटर्न को दबा देते हैं।
स्रोत: 1 फाइनेंस रिसर्च
*डेटा 31 मार्च, 2025 तक का है। एनुअल रिटर्न प्रत्येक एसेट क्लास से प्राप्त कुल रिटर्न (कीमत में बढ़ोतरी + ब्याज/डिविडेंड/रेंटल यील्ड) के आधार पर दर्शाए गए हैं।
*रियल एस्टेट रिटर्न 1 फाइनेंस के हाउसिंग टोटल रिटर्न इंडेक्स पर आधारित हैं।
रियल एस्टेट पूरी तरह से लोकेशन पर निर्भर करता है। कुछ शहरों और इलाकों में जबरदस्त ग्रोथ देखने को मिली है, जबकि कुछ जगहें पीछे रह गईं। इसका मतलब है कि निवेशकों को कहीं भी निवेश करने से पहले वहां की स्थानीय आर्थिक स्थिति, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और अन्य जरूरी पहलुओं का अच्छे से आकलन करना चाहिए।